नैनीताल : उत्तराखंड की जेलों में फोन की सुविधा न होने का मामला नैनीताल हाई कोर्ट की शरण में पहुंचा था. ऐसे में इस मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को 3 महीने के भीतर उत्तराखंड के जेलों में फोन सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं.
मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में राज्य सरकार द्वारा बताया गया कि उनके द्वारा देश के विभिन्न राज्यों की जेलों का निरीक्षण किया गया. अब उसी के आधार पर उत्तराखंड की जेलों में भी फोन सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. बता दें कि देहरादून जेल में बंद पूर्व सैनिक विनोद सिंह बिष्ट ने नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नाम पत्र भेजकर कहा था कि प्रदेश की जेलों में टेलीफोन सुविधा नहीं है, जिससे सजा काट रहे कैदियों को काफी दिक्कतें हो रही है.
उन्होंने कहा था कि वह अपने परिजनों से बात नहीं कर पाते जिसको मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने लेटर (पत्र) पीआईएल मानते हुए याचिका स्वीकार की. सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से शपथ-पत्र पेशकर बताया कि उत्तराखंड के जेलों में तीन माह के भीतर कैदियों के लिए फोन सुविधा शुरू कर दी जाएगी.
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वहीं, पिछली सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार को मामले में जवाब पेश करने के आदेश दिए थे. जिसके बाद प्रदेश के कारागार सचिव नितेश झा द्वारा महानिदेशक कारागार को पत्र भेजकर हाईकोर्ट में विचाराधीन जनहित याचिका का हवाला देते हुए उत्तराखंड के सभी जेलों में बंद कैदियों को बीएसएनएल के माध्यम से टेलीफोन सुविधा देने के निर्देश दिए थे, जिस पर सैद्धांतिक सहमति हो चुकी थी.