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सुल्ताना डाकू की कहानी सुनें लोगों की जुबानी, बताया रॉबिनहुड जैसा

आपने सुल्ताना डाकू के किस्से और कहानियां तो खूब सुनीं होंगी. लेकिन आज हम ऐसे गांव से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिसका नाम सुल्ताना डाकू के नाम पर रखा गया है. ये गांव हल्द्वानी के पास है. गांव का नाम सुल्ताननगरी है.

sultana
सुल्तान नगरी गांव
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Published : Sep 3, 2021, 12:26 PM IST

हल्द्वानी: डाकुओं के बारे में सोचते ही आंखों के सामने जंगल में हाथों में बंदूक थामे, बड़ी-बड़ी मूंछों वाले आदमी की तस्वीर उभरकर आती है. रियल लाइफ में डाकुओं ने अपनी हुकूमत कायम रखने के लिए लोगों के खून से अपने हाथ रंगे थे. जिसे याद कर आज भी लोग सिहर जाते हैं. इन्हीं में से एक कुख्यात सुल्ताना डाकू भी था, जिसकी इमेज उस समय रॉबिनहुड डाकू की थी. वहीं हल्द्वानी में सुल्ताना डाकू के नाम पर ही एक गांव बसा हुआ है. यहां के ग्रामीण सुल्ताना डाकू के किस्से और कहानियां बड़े चाव से सुनाते हैं.

गुफा में बनती थी डकैती की रणनीति: 1920 के दशक में सुल्ताना डाकू का पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर, नजीबाबाद, मुरादाबाद क्षेत्र के साथ-साथ वर्तमान समय में उत्तराखंड के उधम सिंह नगर और नैनीताल जिले में आतंक बताया जाता था. बताया जाता था कि सुल्ताना डाकू जमीदारों को लूट कर गरीबों में बांटता था. सुल्ताना डाकू लूटमार के दौरान 1920 के दशक में हल्द्वानी से महज 8 किलोमीटर दूर सुल्ताननगरी गांव की पहाड़ियों में गुफा में छिपा करता था. वह अपने दल बल के साथ यहां छिपा करता था. सुल्ताना डाकू आज नहीं है, लेकिन सुल्ताना डाकू के नाम पर आज सुल्ताननगरी गांव जरूर है. यहां के लोग आज भी बुजुर्गों द्वारा बताई गई कहानियों को सुनाते हैं.

सुल्ताना डाकू के नाम पर सुल्ताननगरी गांव

रॉबिन हुड वाली छवि: सुल्ताननगरी गांव के बुजुर्ग भूपाल राम बताते हैं कि उनकी मां बताती थी कि 1920 के समय सुल्ताना डाकू का बोलबाला था. वह अमीरों को लूट कर गरीबों में बांटता था. सुल्ताननगरी गांव के पहाड़ में आज भी उसकी गुफा के अवशेष हैं. इसी गुफा में वह अपने दल बल के साथ छिपा करता था. गुफा अब पहाड़ में दब चुकी है. बताया जाता है कि सुल्ताना डाकू जमीदारों के यहां डकैती डालता था और उनको चिट्ठी भेजकर डकैती डालने का दिन और समय बताता था. उसी समय वह जमींदार के घर पहुंच डकैती डालता था. सुल्ताना डाकू गरीबों की बेटियों की शादियां कराता और उनको खाने-पीने का सामान उपलब्ध कराता था.

पढ़ें- हरीश रावत ने जताई आशंका, बोले- परिवर्तन यात्रा में किसी नेता पर फेंका जा सकता है तेजाब

अंग्रेजों की नाक में किया था दम: यही नहीं सुल्ताना डाकू भेष बदलने में भी माहिर था. भेष बदलकर अपने दल बल के साथ घोड़े में बैठकर लूटमार करने जाता था. यही कारण है कि सुल्ताननगरी गांव का नाम डाकू सुल्ताना के नाम पर पड़ा है. यही नहीं लामाचौड़ गांव में सुल्ताना डाकू ने जमीदार खड़क सिंह के यहां डकैती डाली तो उस समय ब्रिटिश पुलिस ने उसको पकड़ लिया. इस दौरान बड़ी संख्या में आए ग्रामीणों ने सुल्ताना डाकू को छुड़ाने की कोशिश की. लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. आखिरकार अंग्रेजों ने सुल्ताना डाकू को फांसी पर चढ़ा दिया.

बाजपुर में भी था ठिकाना: गांव के गंगा सहाय ने बताया कि उनके बुजुर्ग बताते थे कि सुल्ताना डाकू बिजनौर का रहने वाला था और लूटमार करते हुए हल्द्वानी भी पहुंचता था. उस समय सुल्ताना डाकू उधम सिंह नगर के बाजपुर होते हुए हल्द्वानी पहुंचता था और सुल्ताननगरी गांव में अपनी गुफा में रुकता था. गुफा से डकैती डालने की योजना बनाता था. बताते हैं कि आज भी बाजपुर और रामनगर के बीच उसकी चोर कोठरिया हैं जहां वह छिपता था. जबकि बाजपुर में उसका कुआं हुआ करता था, जहां वह रुकता था और उसी कुएं से पानी पीता था.

पढ़ें-खुशखबरी: 10 सितंबर को दून में लगेगा रोजगार मेला, ऑनलाइन करें आवेदन

सुल्ताना के नाम पर पड़ा गांव का नाम: सुल्ताननगरी के जनप्रतिनिधि अर्जुन बिष्ट बताते हैं कि इस गांव में करीब ढाई सौ परिवार रहते हैं. उन्होंने बताया कि सुल्ताना डाकू के नाम पर ही इस गांव का नाम सुल्ताननगरी रखा गया. यही नहीं जब सुल्ताना डाकू मरा तो उसकी लूटी हुई संपत्ति से हल्द्वानी के एमबी स्कूल का निर्माण हुआ. ग्रामीणों के अनुसार 1924 के आसपास सुल्ताना डाकू को अंग्रेज पुलिस ने लामाचौड़ से डकैती डालते हुए गिरफ्तार किया था. बता दें कि सुल्ताना डाकू पर कई किताबें लिखी जा चुकी हैं और फिल्में बन चुकी हैं. लेकिन सुल्ताना डाकू पर लोगों की अलग-अलग राय है. कोई उसका जन्म स्थान मुरादाबाद तो कोई नजीबाबाद बताता है. लेकिन आज भी सुल्ताना डाकू का वास्ता सुल्ताननगरी गांव से बताया जाता है.

हल्द्वानी: डाकुओं के बारे में सोचते ही आंखों के सामने जंगल में हाथों में बंदूक थामे, बड़ी-बड़ी मूंछों वाले आदमी की तस्वीर उभरकर आती है. रियल लाइफ में डाकुओं ने अपनी हुकूमत कायम रखने के लिए लोगों के खून से अपने हाथ रंगे थे. जिसे याद कर आज भी लोग सिहर जाते हैं. इन्हीं में से एक कुख्यात सुल्ताना डाकू भी था, जिसकी इमेज उस समय रॉबिनहुड डाकू की थी. वहीं हल्द्वानी में सुल्ताना डाकू के नाम पर ही एक गांव बसा हुआ है. यहां के ग्रामीण सुल्ताना डाकू के किस्से और कहानियां बड़े चाव से सुनाते हैं.

गुफा में बनती थी डकैती की रणनीति: 1920 के दशक में सुल्ताना डाकू का पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर, नजीबाबाद, मुरादाबाद क्षेत्र के साथ-साथ वर्तमान समय में उत्तराखंड के उधम सिंह नगर और नैनीताल जिले में आतंक बताया जाता था. बताया जाता था कि सुल्ताना डाकू जमीदारों को लूट कर गरीबों में बांटता था. सुल्ताना डाकू लूटमार के दौरान 1920 के दशक में हल्द्वानी से महज 8 किलोमीटर दूर सुल्ताननगरी गांव की पहाड़ियों में गुफा में छिपा करता था. वह अपने दल बल के साथ यहां छिपा करता था. सुल्ताना डाकू आज नहीं है, लेकिन सुल्ताना डाकू के नाम पर आज सुल्ताननगरी गांव जरूर है. यहां के लोग आज भी बुजुर्गों द्वारा बताई गई कहानियों को सुनाते हैं.

सुल्ताना डाकू के नाम पर सुल्ताननगरी गांव

रॉबिन हुड वाली छवि: सुल्ताननगरी गांव के बुजुर्ग भूपाल राम बताते हैं कि उनकी मां बताती थी कि 1920 के समय सुल्ताना डाकू का बोलबाला था. वह अमीरों को लूट कर गरीबों में बांटता था. सुल्ताननगरी गांव के पहाड़ में आज भी उसकी गुफा के अवशेष हैं. इसी गुफा में वह अपने दल बल के साथ छिपा करता था. गुफा अब पहाड़ में दब चुकी है. बताया जाता है कि सुल्ताना डाकू जमीदारों के यहां डकैती डालता था और उनको चिट्ठी भेजकर डकैती डालने का दिन और समय बताता था. उसी समय वह जमींदार के घर पहुंच डकैती डालता था. सुल्ताना डाकू गरीबों की बेटियों की शादियां कराता और उनको खाने-पीने का सामान उपलब्ध कराता था.

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अंग्रेजों की नाक में किया था दम: यही नहीं सुल्ताना डाकू भेष बदलने में भी माहिर था. भेष बदलकर अपने दल बल के साथ घोड़े में बैठकर लूटमार करने जाता था. यही कारण है कि सुल्ताननगरी गांव का नाम डाकू सुल्ताना के नाम पर पड़ा है. यही नहीं लामाचौड़ गांव में सुल्ताना डाकू ने जमीदार खड़क सिंह के यहां डकैती डाली तो उस समय ब्रिटिश पुलिस ने उसको पकड़ लिया. इस दौरान बड़ी संख्या में आए ग्रामीणों ने सुल्ताना डाकू को छुड़ाने की कोशिश की. लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. आखिरकार अंग्रेजों ने सुल्ताना डाकू को फांसी पर चढ़ा दिया.

बाजपुर में भी था ठिकाना: गांव के गंगा सहाय ने बताया कि उनके बुजुर्ग बताते थे कि सुल्ताना डाकू बिजनौर का रहने वाला था और लूटमार करते हुए हल्द्वानी भी पहुंचता था. उस समय सुल्ताना डाकू उधम सिंह नगर के बाजपुर होते हुए हल्द्वानी पहुंचता था और सुल्ताननगरी गांव में अपनी गुफा में रुकता था. गुफा से डकैती डालने की योजना बनाता था. बताते हैं कि आज भी बाजपुर और रामनगर के बीच उसकी चोर कोठरिया हैं जहां वह छिपता था. जबकि बाजपुर में उसका कुआं हुआ करता था, जहां वह रुकता था और उसी कुएं से पानी पीता था.

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सुल्ताना के नाम पर पड़ा गांव का नाम: सुल्ताननगरी के जनप्रतिनिधि अर्जुन बिष्ट बताते हैं कि इस गांव में करीब ढाई सौ परिवार रहते हैं. उन्होंने बताया कि सुल्ताना डाकू के नाम पर ही इस गांव का नाम सुल्ताननगरी रखा गया. यही नहीं जब सुल्ताना डाकू मरा तो उसकी लूटी हुई संपत्ति से हल्द्वानी के एमबी स्कूल का निर्माण हुआ. ग्रामीणों के अनुसार 1924 के आसपास सुल्ताना डाकू को अंग्रेज पुलिस ने लामाचौड़ से डकैती डालते हुए गिरफ्तार किया था. बता दें कि सुल्ताना डाकू पर कई किताबें लिखी जा चुकी हैं और फिल्में बन चुकी हैं. लेकिन सुल्ताना डाकू पर लोगों की अलग-अलग राय है. कोई उसका जन्म स्थान मुरादाबाद तो कोई नजीबाबाद बताता है. लेकिन आज भी सुल्ताना डाकू का वास्ता सुल्ताननगरी गांव से बताया जाता है.

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