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6 साल बाद शुभ संयोग लेकर आया निर्जला एकादशी, इस मंत्र का जाप करने से दूर होंगे हर दुख

निर्जला एकादशी के दिन जग के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस दिन निर्जला वृत रखने से सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है.

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Published : Jun 13, 2019, 8:10 AM IST

निर्जला एकादशी 2019

हल्द्वानी: जेष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी व्रत कहा जाता है. इस बार निर्जला एकादशी गुरुवार को पड़ने की वजह से विशेष संयोग माना गया है. क्योंकि, निर्जला एकादशी व्रत जगत पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है. गुरुवार भगवान विष्णु का दिन माना जाता है. यह संयोग 6 वर्ष बाद बना है.

डॉक्टर नवीन चंद्र जोशी, शास्त्राचार्य

साल भर में कुल 24 एकादशी आती हैं, लेकिन सभी एकादशी में निर्जला एकादशी श्रेष्ठ मानी जाती है. यह वक्त जीवन में सर्व समृद्धि देने वाला और सदगति प्रदान करने वाला व्रत है. निर्जला एकादशी को भीम एकादशी भी कहा जाता है. निर्जला एकादशी में बिना जल के व्रत रखा जाता है, इसकी वजह से इसे निर्जला एकादशी कहते हैं.

पढ़ें- रिटायर आईजी का बेटा दिखा रहा था नीली बत्ती की हनक, पुलिस ने दबोचा

निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ: 12 जून शाम 06:27
एकादशी तिथि समाप्‍त: 13 जून 04:49

कैसे करें पूजा
सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान करें.
भगवान विष्णु के निमित्त व्रत का संकल्प करें.
पूरे दिन निर्जल व्रत रखें और भगवान विष्णु का ध्यान करें.
भगवान विष्णु को लाल फूलों की माला, धूप, दीप, नैवेद्य और पीले फल अर्पित करें.
इस दिन के दान का विशेष महत्व है.

इस मंत्र का जप करें
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः

ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी बताते हैं कि इस दिन निर्जल जल के साथ भगवान नारायण की पूजा-अर्चना कर तपस्या की जाती है. इस दिन विशेष रूप से जल का दान करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है. इस व्रत के करने से समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य, वैभव और परिवार में सुख-शांति की प्राप्त होती है.

हल्द्वानी: जेष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी व्रत कहा जाता है. इस बार निर्जला एकादशी गुरुवार को पड़ने की वजह से विशेष संयोग माना गया है. क्योंकि, निर्जला एकादशी व्रत जगत पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है. गुरुवार भगवान विष्णु का दिन माना जाता है. यह संयोग 6 वर्ष बाद बना है.

डॉक्टर नवीन चंद्र जोशी, शास्त्राचार्य

साल भर में कुल 24 एकादशी आती हैं, लेकिन सभी एकादशी में निर्जला एकादशी श्रेष्ठ मानी जाती है. यह वक्त जीवन में सर्व समृद्धि देने वाला और सदगति प्रदान करने वाला व्रत है. निर्जला एकादशी को भीम एकादशी भी कहा जाता है. निर्जला एकादशी में बिना जल के व्रत रखा जाता है, इसकी वजह से इसे निर्जला एकादशी कहते हैं.

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निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ: 12 जून शाम 06:27
एकादशी तिथि समाप्‍त: 13 जून 04:49

कैसे करें पूजा
सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान करें.
भगवान विष्णु के निमित्त व्रत का संकल्प करें.
पूरे दिन निर्जल व्रत रखें और भगवान विष्णु का ध्यान करें.
भगवान विष्णु को लाल फूलों की माला, धूप, दीप, नैवेद्य और पीले फल अर्पित करें.
इस दिन के दान का विशेष महत्व है.

इस मंत्र का जप करें
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः

ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी बताते हैं कि इस दिन निर्जल जल के साथ भगवान नारायण की पूजा-अर्चना कर तपस्या की जाती है. इस दिन विशेष रूप से जल का दान करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है. इस व्रत के करने से समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य, वैभव और परिवार में सुख-शांति की प्राप्त होती है.

Intro:स्लग- निर्जला एकादशी व्रत कल जाने क्या है इसका महत्व।
रिपोर्टर -भावनाथ पंडित हल्द्वानी
एंकर- जेष्ठ माह के शुक्ल पक्ष एकादशी को निर्जला एकादशी व्रत कहा जाता है। इस बार निर्जला एकादशी गुरुवार को पड़ने की वजह से विशेष संयोग माना गया है। क्योंकि निर्जला एकादशी व्रत जगत पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है ऐसे में गुरुवार भगवान विष्णु का दिन माना जाता है। यह संयोग 6 वर्ष बाद बना हुआ है। वर्ष भर में कुल 24 एकादशी आती है लेकिन सभी एकादशी में निर्जला एकादशी श्रेष्ठ माना जाता है। यह वक्त जीवन में सर्व समृद्धि देने वाला और सदगति प्रदान करने वाला व्रत माना जाता है।


Body:निर्जला एकादशी को भीम एकादशी भी कहा जाता है । निर्जला एकादशी में बिना जल के व्रत रखा जाता है इसकी वजह से इसे निर्जला एकादशी कहते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार साल में 24 एकादशी पड़ती है लेकिन निर्जला एकादशी का सबसे बड़ा महत्व है इसे पवित्र एकादशी माना जाता है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत रखने से साल भर की 24 एकादशी के व्रत का फल मिल जाता है इसके चलते इस का बहुत बड़ा महत्व माना जाता है।

निर्जला एकादशी में जगत पालनहार भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान कर पूरे दिन निर्जल व्रत रखा जाता है और भगवान विष्णु की तपस्या की जाती है। शास्त्र आचार्य के अनुसार उस दिन ओम नमो वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। भगवान विष्णु की पूजा करते समय उन्हें लाल फूलों की माला धूप दीप नों वेद, पीला फल से पूजा करें और दान पुन का ज्यादा महत्व है।

ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी यह व्रत हमें जल संरक्षण का संदेश देता है। इस दिन निर्जल जल के साथ भगवान नारायण की पूजा अर्चना कर तपस्या की जाती है। आचार्य डॉक्टर नवीन चंद्र जोशी का कहना है शास्त्रों के अनुसार शरीर की क्षमता के अनुसार फलहार, जलहार ,निराहार व्रत करना चाहिए।





Conclusion:शास्त्र आचार्य डॉक्टर नवीन चंद्र जोशी के अनुसार इस व्रत में प्रातः काल उठकर स्नान के साथ भगवान विष्णु के निमित्त व्रत का संकल्प करें। और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और संध्या काल में व्रत का परायण करें। अगर कोई निर्जला एकादशी का व्रत नहीं कर पाए तो उस दिन अपनी समर्थ के अनुसार दान करें। इस दिन विशेष रूप से जल का दान करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है भोजन और खाद्य पदार्थों का दान भी करना उत्तम माना जाता है। इस व्रत के करने से समृद्धि ,अच्छा स्वास्थ्य ,वैभव और परिवार में सुख शांति की प्राप्त होती है।

बाइट -डॉक्टर नवीन चंद्र जोशी शास्त्र आचार्य
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