हल्द्वानी: जेष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी व्रत कहा जाता है. इस बार निर्जला एकादशी गुरुवार को पड़ने की वजह से विशेष संयोग माना गया है. क्योंकि, निर्जला एकादशी व्रत जगत पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है. गुरुवार भगवान विष्णु का दिन माना जाता है. यह संयोग 6 वर्ष बाद बना है.
साल भर में कुल 24 एकादशी आती हैं, लेकिन सभी एकादशी में निर्जला एकादशी श्रेष्ठ मानी जाती है. यह वक्त जीवन में सर्व समृद्धि देने वाला और सदगति प्रदान करने वाला व्रत है. निर्जला एकादशी को भीम एकादशी भी कहा जाता है. निर्जला एकादशी में बिना जल के व्रत रखा जाता है, इसकी वजह से इसे निर्जला एकादशी कहते हैं.
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निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ: 12 जून शाम 06:27
एकादशी तिथि समाप्त: 13 जून 04:49
कैसे करें पूजा
सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान करें.
भगवान विष्णु के निमित्त व्रत का संकल्प करें.
पूरे दिन निर्जल व्रत रखें और भगवान विष्णु का ध्यान करें.
भगवान विष्णु को लाल फूलों की माला, धूप, दीप, नैवेद्य और पीले फल अर्पित करें.
इस दिन के दान का विशेष महत्व है.
इस मंत्र का जप करें
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी बताते हैं कि इस दिन निर्जल जल के साथ भगवान नारायण की पूजा-अर्चना कर तपस्या की जाती है. इस दिन विशेष रूप से जल का दान करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है. इस व्रत के करने से समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य, वैभव और परिवार में सुख-शांति की प्राप्त होती है.