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मां नंदा- सुनंदा महोत्सव का हुआ रंगारंग आगाज, पर्व में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रहेगी धूम - Haldwani News

कुमाऊं की कुलदेवी मां नंदा- सुनंदा महोत्सव का आगाज बिंदुखत्ता में भी हो गया है. कदली वृक्ष लाने के बाद आज मां नंदा सुनंदा का शोभायात्रा निकाली गई. जसमें बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने भाग लिया.

मां नंदा- सुनंदा महोत्सव का हुआ रंगारंग आगाज.
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Published : Sep 5, 2019, 1:41 PM IST

हल्द्वानी: कुमाऊं मंडल में इन दिनों नंदा- सुनंदा महोत्सव की धूम मची हुई है. जिसमें लोग बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं. वहीं अल्मोड़ा, सरोवर नगरी नैनीताल सहित बिंदुखत्ता में भी नंदा- सुनंदा महोत्सव का आगाज हो गया है. मंदिर में कदली वृक्ष के आगमन के साथ ही मां नंदा- सुनंदा की डोली शहर में निकाली गई. जहां स्थानीय महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में शोभायात्रा में शामिल हुई. साथ ही इस पर्व में कुमाऊं की संस्कृति की झलक देखने को मिली.

मां नंदा- सुनंदा महोत्सव का हुआ रंगारंग आगाज.

कुमाऊं की कुलदेवी मां नंदा- सुनंदा महोत्सव का आगाज बिंदुखत्ता में भी हो गया है. कदली वृक्ष लाने के बाद आज मां नंदा सुनंदा का शोभायात्रा निकाली गई. जसमें बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने भाग लिया. वहीं, महिलाओं ने परंपरागत कुमाऊंनी रंगाली- पिछौड़ा पहनकर शोभायात्रा में भाग लिया. साथ ही इस दौरान कई सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजित किए जाएंगे. इसके अलावा 7 सितंबर को मां नंदा- सुनंदा की मूर्ति का विसर्जन के साथ महोत्सव का समापन होगा.

पढ़ें-ये है मास्टरजी का घर, यहां 700 रूपों में विराजते हैं गणपति बप्पा

जबकि, 3 दिनों तक इस महोत्सव में कुमाऊं की कुलदेवी मां नंदा-सुनंदा की अलग-अलग गाथाओं का मंचन किया जाएगा. वहीं, आयोजकों का कहना है कि उत्तराखंड की संस्कृति को बचाने के लिए मां नंदा- सुनंदा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें पर्वतीय अंचलों की संस्कृति देखने को मिलता है साथ ही आने वाली पीढ़ी भी इस पर्व से रूबरू हो सके.

हल्द्वानी: कुमाऊं मंडल में इन दिनों नंदा- सुनंदा महोत्सव की धूम मची हुई है. जिसमें लोग बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं. वहीं अल्मोड़ा, सरोवर नगरी नैनीताल सहित बिंदुखत्ता में भी नंदा- सुनंदा महोत्सव का आगाज हो गया है. मंदिर में कदली वृक्ष के आगमन के साथ ही मां नंदा- सुनंदा की डोली शहर में निकाली गई. जहां स्थानीय महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में शोभायात्रा में शामिल हुई. साथ ही इस पर्व में कुमाऊं की संस्कृति की झलक देखने को मिली.

मां नंदा- सुनंदा महोत्सव का हुआ रंगारंग आगाज.

कुमाऊं की कुलदेवी मां नंदा- सुनंदा महोत्सव का आगाज बिंदुखत्ता में भी हो गया है. कदली वृक्ष लाने के बाद आज मां नंदा सुनंदा का शोभायात्रा निकाली गई. जसमें बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने भाग लिया. वहीं, महिलाओं ने परंपरागत कुमाऊंनी रंगाली- पिछौड़ा पहनकर शोभायात्रा में भाग लिया. साथ ही इस दौरान कई सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजित किए जाएंगे. इसके अलावा 7 सितंबर को मां नंदा- सुनंदा की मूर्ति का विसर्जन के साथ महोत्सव का समापन होगा.

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जबकि, 3 दिनों तक इस महोत्सव में कुमाऊं की कुलदेवी मां नंदा-सुनंदा की अलग-अलग गाथाओं का मंचन किया जाएगा. वहीं, आयोजकों का कहना है कि उत्तराखंड की संस्कृति को बचाने के लिए मां नंदा- सुनंदा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें पर्वतीय अंचलों की संस्कृति देखने को मिलता है साथ ही आने वाली पीढ़ी भी इस पर्व से रूबरू हो सके.

Intro:sammry- नंदा सुनंदा महोत्सव का हुआ आगाज मां नंदा सुनंदा के डोले निकला नगर भ्रमण में।

एंकर- उत्तराखंड के पूरे कुमाऊं में इन दिनों नंदा सुनंदा महोत्सव देखने को मिल रहा है। अल्मोड़ा, सरोवर नगरी नैनीताल सहित बिंदुखत्ता में भी नंदा सुनंदा महोत्सव का धूम देखने को मिल रहा है। मंदिर में कदली वृक्ष के आगमन के साथ आज मां नंदा सुनंदा का डोला का शोभायात्रा नगर भ्रमण के निकला है जहां महिलाएं पारंपरिक कुमाऊनी वेशभूषा में शोभायात्रा में शामिल हुई। शोभायात्रा पूरे नगर में भ्रमण कराया जा रहा है।


Body:कुमाऊ के कुलदेवी मां नंदा सुनंदा महोत्सव का आगाज बिंदुखत्ता में हो गया है हो गया है। कल कदली वृक्ष लाने के बाद आज मां नंदा सुनंदा का शोभायात्रा निकाला गया जहां बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने भाग लिया महिलाएं परंपरागत कुमाऊनी रंगाली पिछौड़ा पहनकर पूरे नगर में मां नंदा सुनंदा का डोला का शोभायात्रा निकाला गया। मौसम के दौरान कई सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाना है इसके अलावा 7 सितंबर को मां नंदा सुनंदा की मूर्ति का विसर्जन के साथ महोत्सव का समापन होगा। 3 दिन तक इस महोत्सव में कुमाऊ की कुलदेवी मां नंदा की अलग-अलग गाथाओं का। मंचन किया जाएगा।



Conclusion:आयोजकों का कहना है कि उत्तराखंड की संस्कृति को बचाने के लिए मां नंदा सुनंदा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है जिससे कि पहाड़ की लोक संस्कृति इसी तरह बरकरार रहे।

बाइट अर्जुन नाथ गोस्वामी आयोजक
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