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जन औषधि केंद्रों में दवा की कमी पर हाई कोर्ट सख्त, सरकार से मांगा जवाब

उत्तराखंड में जन औषधि केंद्रों में अनियमितता व दवाओं की कमी के मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. साथ ही केंद्र समेत राज्य सरकार के विभिन्न संगठनों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

nainital high court
नैनीताल हाईकोर्ट
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Published : Jul 8, 2020, 8:50 PM IST

नैनीतालः जन औषधि केंद्रों में दवाई की कमी समेत वित्तीय अनियमितता का मामला नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गया है. मामले में सख्त रुख अपनाते हुए कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने केंद्रीय औषधि सचिव, औषधीय ब्यूरो भारत सरकार, स्वास्थ्य सचिव उत्तराखंड, जिला रेड क्रॉस सोसाइटी नैनीताल समेत रेड क्रॉस सोसाइटी को नोटिस जारी किया है. साथ ही उन्हें तीन हफ्ते के भीतर अपना जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि हल्द्वानी निवासी अमित खोलिया ने नैनीताल हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. याचिका में उन्होंने कहा है कि जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में गरीबों को बाजार मूल्य से कम दामों पर जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 1 जुलाई 2015 को जन औषधि केंद्र खोला गया था.

जानकारी देते अधिवक्ता याचिकाकर्ता दुष्यंत मैनाली.

इनके संचालन का जिम्मा रेड क्रॉस सोसाइटी को सौंपा गया. जिससे आम जनता को इसका लाभ मिल सके, लेकिन बीते लंबे समय से इन जन औषधि केंद्रों की हालत खराब हो रही है और इन केंद्रों पर आ रहे लोगों को दवाइयां नहीं मिल पा रहीं. जिसकी वजह से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ेंः वन भूमि पर हुए अतिक्रमण मामले में हाई कोर्ट सख्त, राज्य सरकार से मांगा जवाब

याचिकाकर्ता का कहना है कि कोरोनाकाल में लोग बाजार से महंगी दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर हैं. ये जन औषधि केवल शोपीस बनकर रह गए हैं. लिहाजा, जन औषधि केंद्र का संचालन रेड क्रॉस सोसाइटी से हटाकर किसी अन्य संस्था को दिया जाए.

वहीं, मामले में हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए केंद्र समेत राज्य सरकार के विभिन्न संगठनों को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है. साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि किस वजह से औषधि केंद्रों में दवाइयां उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं. जबकि, इन केंद्रों का संचालन गरीब तबके के लोगों को सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराने के लिए था.

नैनीतालः जन औषधि केंद्रों में दवाई की कमी समेत वित्तीय अनियमितता का मामला नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गया है. मामले में सख्त रुख अपनाते हुए कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने केंद्रीय औषधि सचिव, औषधीय ब्यूरो भारत सरकार, स्वास्थ्य सचिव उत्तराखंड, जिला रेड क्रॉस सोसाइटी नैनीताल समेत रेड क्रॉस सोसाइटी को नोटिस जारी किया है. साथ ही उन्हें तीन हफ्ते के भीतर अपना जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि हल्द्वानी निवासी अमित खोलिया ने नैनीताल हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. याचिका में उन्होंने कहा है कि जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में गरीबों को बाजार मूल्य से कम दामों पर जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 1 जुलाई 2015 को जन औषधि केंद्र खोला गया था.

जानकारी देते अधिवक्ता याचिकाकर्ता दुष्यंत मैनाली.

इनके संचालन का जिम्मा रेड क्रॉस सोसाइटी को सौंपा गया. जिससे आम जनता को इसका लाभ मिल सके, लेकिन बीते लंबे समय से इन जन औषधि केंद्रों की हालत खराब हो रही है और इन केंद्रों पर आ रहे लोगों को दवाइयां नहीं मिल पा रहीं. जिसकी वजह से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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याचिकाकर्ता का कहना है कि कोरोनाकाल में लोग बाजार से महंगी दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर हैं. ये जन औषधि केवल शोपीस बनकर रह गए हैं. लिहाजा, जन औषधि केंद्र का संचालन रेड क्रॉस सोसाइटी से हटाकर किसी अन्य संस्था को दिया जाए.

वहीं, मामले में हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए केंद्र समेत राज्य सरकार के विभिन्न संगठनों को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है. साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि किस वजह से औषधि केंद्रों में दवाइयां उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं. जबकि, इन केंद्रों का संचालन गरीब तबके के लोगों को सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराने के लिए था.

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