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नैनीताल से सिंगर बनने मुंबई गया युवक हो गया था 'गुम', 10 साल बाद ऐसे परिजनों को मिला

मुंबई पुलिस ने उत्तराखंड के एक युवक को खोजा है, जो पिछले दस सालों से लापता था. युवक 2010 में उत्तराखंड से मुंबई गायक बनने आया था, लेकिन असफल होने पर उसने 2005 में परिजनों से सभी संपर्क तोड़ दिए थे.

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Published : Jan 31, 2022, 8:04 PM IST

देहरादून: मुंबई को मायानगरी के नाम से भी जाना जाता है, जहां हजारों युवा आंखों ने नए सपना लिए इस शहर में आते है. कुछ तो कामयाबी की सीढ़ी चढ़ जाते और अपना मुकाम हासिल कर लेते है. लेकिन कई ऐसे भी होते है, जो सपनों के टूटने से खुद भी बिखर जाते है. ऐसे ही एक कहानी है, उत्तराखंड के युवक कंचन जोशी की, जो इस भीड़ में ऐसा खोया है कि सात सालों तक वो अपने परिवार से भी संपर्क नहीं कर पाया है. हालांकि अब सात साल बाद कंचन अपने परिवार से मिल पाया और वो भी मुंबई पुलिस की मदद से.

कंचन जोशी उत्तराखंड के नैनीताल जिले का रहने वाला है, जो साल 2010 में उत्तराखंड से मुंबई सिंगर बनने आया था. इसके लिए उनसे काफी संघर्ष भी किया है, लेकिन जब वो कामयाब नहीं हो पाया तो अंदर से बुरी तरह टूट गया और 2015 में उसने परिवार से भी सारे संपर्क तोड़ दिए.

पढ़ें- उत्तराखंड में महंगाई पर कांग्रेस ने जारी किया श्वेत पत्र, ऋषिपाल बालियान ने थामा 'हाथ'

परेशान होकर कंचन जोशी के बड़े भाई कृष्णचंद जोशी ने गुमशुदगी की शिकायत भी दर्ज कराई, लेकिन उसे खोजने में असफल रहे. कंचन ने पिछले साल दिसंबर में एक व्यक्ति से मोबाइल लेकर अपनी मां को कॉल किया था. लेकिन फोन कट गया था. कंचन की मां ने जब दोबारा फोन किया था, तो किसी और व्यक्ति ने कॉल रिसिव की, उसने बताया कि एक व्यक्ति ने उसका मोबाइल कॉल करने के लिए लिया था.

कंचन की इस कॉल के बाद परिजनों को एक और उम्मीद जगी और वो मुंबई पहुंचे. कंचन के भाई कृष्णचंद जोशी ने स्थानीय पुलिस की मदद से मोबाइल वाले व्यक्ति का पता लगाया. मोबाइल वाले व्यक्ति ने बताया कि कंचन मदनपुरा के एक होटल में वेटर का काम करता है. पुलिस की टीम उस होटल में पहुंची तो होटल मालिक ने बताया कि उसने पिछले साल दिसंबर में काम छोड़ दिया था.

इसके बाद पुलिस ने अलग-अलग टीम बनाकर उसकी खोजबीन शुरू की. इस दौरान पुलिस को कंचन की जानकारी मिली की वो भायखला की एक दरगाह में रह रहा है. उसके पास कोई काम नहीं था और वो बेघर भी था, इसीलिए वे दरगाह में रह रहा था. कंचन अपने भाई को देखकर काफी खुश हुआ. कंचन के भाई ने मुंबई पुलिस को शुक्रिया अदा किया है.

देहरादून: मुंबई को मायानगरी के नाम से भी जाना जाता है, जहां हजारों युवा आंखों ने नए सपना लिए इस शहर में आते है. कुछ तो कामयाबी की सीढ़ी चढ़ जाते और अपना मुकाम हासिल कर लेते है. लेकिन कई ऐसे भी होते है, जो सपनों के टूटने से खुद भी बिखर जाते है. ऐसे ही एक कहानी है, उत्तराखंड के युवक कंचन जोशी की, जो इस भीड़ में ऐसा खोया है कि सात सालों तक वो अपने परिवार से भी संपर्क नहीं कर पाया है. हालांकि अब सात साल बाद कंचन अपने परिवार से मिल पाया और वो भी मुंबई पुलिस की मदद से.

कंचन जोशी उत्तराखंड के नैनीताल जिले का रहने वाला है, जो साल 2010 में उत्तराखंड से मुंबई सिंगर बनने आया था. इसके लिए उनसे काफी संघर्ष भी किया है, लेकिन जब वो कामयाब नहीं हो पाया तो अंदर से बुरी तरह टूट गया और 2015 में उसने परिवार से भी सारे संपर्क तोड़ दिए.

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परेशान होकर कंचन जोशी के बड़े भाई कृष्णचंद जोशी ने गुमशुदगी की शिकायत भी दर्ज कराई, लेकिन उसे खोजने में असफल रहे. कंचन ने पिछले साल दिसंबर में एक व्यक्ति से मोबाइल लेकर अपनी मां को कॉल किया था. लेकिन फोन कट गया था. कंचन की मां ने जब दोबारा फोन किया था, तो किसी और व्यक्ति ने कॉल रिसिव की, उसने बताया कि एक व्यक्ति ने उसका मोबाइल कॉल करने के लिए लिया था.

कंचन की इस कॉल के बाद परिजनों को एक और उम्मीद जगी और वो मुंबई पहुंचे. कंचन के भाई कृष्णचंद जोशी ने स्थानीय पुलिस की मदद से मोबाइल वाले व्यक्ति का पता लगाया. मोबाइल वाले व्यक्ति ने बताया कि कंचन मदनपुरा के एक होटल में वेटर का काम करता है. पुलिस की टीम उस होटल में पहुंची तो होटल मालिक ने बताया कि उसने पिछले साल दिसंबर में काम छोड़ दिया था.

इसके बाद पुलिस ने अलग-अलग टीम बनाकर उसकी खोजबीन शुरू की. इस दौरान पुलिस को कंचन की जानकारी मिली की वो भायखला की एक दरगाह में रह रहा है. उसके पास कोई काम नहीं था और वो बेघर भी था, इसीलिए वे दरगाह में रह रहा था. कंचन अपने भाई को देखकर काफी खुश हुआ. कंचन के भाई ने मुंबई पुलिस को शुक्रिया अदा किया है.

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