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नैनीताल: 21 अगस्त तक नैनीताल हाईकोर्ट ने संशोधन पर मांगा जवाब, 12 पूर्व प्रधानों की लिस्ट की गई पेश - पंचायती राज एक्ट में संशोधन

नैनीताल हाईकोर्ट ने पंचायती राज एक्ट में किए गए संशोधन के मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार को 21 अगस्त तक कोर्ट में विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. शुक्रवार को याचिकाकर्ता ने कोर्ट में 12 पूर्व प्रधानों की लिस्ट पेश की.

नैनीताल हाईकोर्ट ने पंचायती राज एक्ट में 21 अगस्त तक मांगा जवाब.
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Published : Aug 9, 2019, 11:48 PM IST

नैनीताल: राज्य सरकार ने पंचायती राज एक्ट में किए गए संशोधन के मामले में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. नैनीताल हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार को 21 अगस्त तक कोर्ट में विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. साथ ही शुक्रवार को याचिकाकर्ता द्वारा 12 पूर्व प्रधानों की लिस्ट कोर्ट में पेश की गई.

बता दें कि नैनीताल निवासी प्रधान हिमांशु पांडेय कालाढूंगी के प्रधान मनोहरलाल समेत प्रधान संगठन ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर राज्य सरकार द्वारा 2019 में किए गए पंचायती राज एक्ट में संशोधन को हाईकोर्ट में चुनौती दी है. जिसमें कहा गया है कि राज्य सरकार द्वारा दो बच्चों से अधिक वाले उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोका जा रहा है. जो गलत है.

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साथ ही सरकार ने एक्ट में किए गए बदलाव को बैकडेट से लागू किया है जो नियम विरुद्ध है. वहीं, याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अगर किसी भी एक्ट में बदलाव किया जाता है तो उसको 3 सौ दिन के बाद लागू किया जाता है. राज्य सरकार द्वारा इस एक्ट को नियम विरुद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है. इससे प्रदेश भर के गांवों में कई प्रधान चुनाव लड़ने से वंचित हो रहे हैं.

नैनीताल हाईकोर्ट ने पंचायती राज एक्ट में 21 अगस्त तक मांगा जवाब.

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याचिका में कहा गया है कि उत्तराखंड पहाड़ी राज्य है और यहां पर ग्राम प्रधान के लिए हाई स्कूल पास उम्मीदवार मिलना कठिन है. लिहाजा हाई स्कूल पास की बाध्यता को खत्म किया जाना चाहिए. साथ ही यदि किसी व्यक्ति की दो लड़कियां और एक लड़का है और लड़की की शादी हो जाती है तो सरकार उसको किस परिवार का हिस्सा मानेगी. इस संशोधन के अपूर्ण होने के चलते पंचायती चुनाव को पुराने नियमों के तहत कराया जाना चाहिए.

नैनीताल: राज्य सरकार ने पंचायती राज एक्ट में किए गए संशोधन के मामले में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. नैनीताल हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार को 21 अगस्त तक कोर्ट में विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. साथ ही शुक्रवार को याचिकाकर्ता द्वारा 12 पूर्व प्रधानों की लिस्ट कोर्ट में पेश की गई.

बता दें कि नैनीताल निवासी प्रधान हिमांशु पांडेय कालाढूंगी के प्रधान मनोहरलाल समेत प्रधान संगठन ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर राज्य सरकार द्वारा 2019 में किए गए पंचायती राज एक्ट में संशोधन को हाईकोर्ट में चुनौती दी है. जिसमें कहा गया है कि राज्य सरकार द्वारा दो बच्चों से अधिक वाले उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोका जा रहा है. जो गलत है.

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साथ ही सरकार ने एक्ट में किए गए बदलाव को बैकडेट से लागू किया है जो नियम विरुद्ध है. वहीं, याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अगर किसी भी एक्ट में बदलाव किया जाता है तो उसको 3 सौ दिन के बाद लागू किया जाता है. राज्य सरकार द्वारा इस एक्ट को नियम विरुद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है. इससे प्रदेश भर के गांवों में कई प्रधान चुनाव लड़ने से वंचित हो रहे हैं.

नैनीताल हाईकोर्ट ने पंचायती राज एक्ट में 21 अगस्त तक मांगा जवाब.

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याचिका में कहा गया है कि उत्तराखंड पहाड़ी राज्य है और यहां पर ग्राम प्रधान के लिए हाई स्कूल पास उम्मीदवार मिलना कठिन है. लिहाजा हाई स्कूल पास की बाध्यता को खत्म किया जाना चाहिए. साथ ही यदि किसी व्यक्ति की दो लड़कियां और एक लड़का है और लड़की की शादी हो जाती है तो सरकार उसको किस परिवार का हिस्सा मानेगी. इस संशोधन के अपूर्ण होने के चलते पंचायती चुनाव को पुराने नियमों के तहत कराया जाना चाहिए.

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राज्य सरकार द्वारा पंचायती राज एक्ट में किए गए संशोधन के मामले में राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।

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नैनीताल हाईकोर्ट ने पंचायती राज एक्ट में करे संशोधन के मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार को 21 अगस्त तक कोर्ट में विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं साथ ही आज याचिकाकर्ता द्वारा 12 पूर्व प्रधानों की लिस्ट कोर्ट में पेश की गई जो आने वाले चुनाव में प्रधान का चुनाव लड़ना चाहते हैं और जिनके दो बच्चों से ज्यादा है।


Body:आपको बता दें कि नैनीताल निवासी प्रधान हिमांशु पांडेय कालाढूंगी के प्रधान मनोहरलाल समेत प्रधान संगठन ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर राज्य सरकार द्वारा 2019 में किए गए पंचायती राज एक्ट में संशोधन को हाईकोर्ट में चुनौती दी है जिसमें कहा गया है कि राज्य सरकार द्वारा दो बच्चों से अधिक वाले उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोका जा रहा है जो गलत है साथ ही सरकार द्वारा एक्ट में किए गए बदलाव को बैक डेट से लागू किया जा रहा है जो नियम विरुद्ध है वही याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अगर किसी भी एक्ट में बदलाव किया जाता है तो उसको 300 दिन के बाद लागू किया जाता है लेकिन राज्य सरकार द्वारा इस एक्ट को नियम विरुद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है जिससे प्रदेश भर के गांवों में कई प्रधान चुनाव लड़ने से वंचित हो रहे हैं।


Conclusion:साथ ही याचिका में कहा गया है कि उत्तराखंड पहाड़ी राज्य है यहां पर ग्राम प्रधान के लिए हाई स्कूल पास उम्मीदवार मिलना कठिन है, लिहाजा हाई स्कूल पास की बाध्यता को खत्म किया जाना चाहिए,,वहीं याचिका में कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति के दो लड़कियां और एक लड़का है और लड़की की शादी हो जाती है या हो गई हो तो सरकार उसको किस परिवार का हिस्सा मानेगी,
लिहाजा यह संशोधन अपने आप में पूर्ण नहीं है इसलिए पंचायती चुनाव को पुराने नियमों के तहत कराया जाना चाहिए।

बाईट- गणेश कांडपाल,अधिवक्ता याचिकाकर्ता
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