नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आज आपतकालीन सेवा 108 के ग्यारह कर्मियों पर दंगा फसाद करने के मामले की सुनवाई की. इन कर्मचारियों ने निचली अदालत के समन के आदेश को उच्च न्यायलय में चुनौती दी थी. जिसके बाद उच्च न्यायलय ने निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाते हुए सरकार को इस मामले में आठ सप्ताह के भीतर दवाब दाखिल करने को कहा है. वहीं, अब इस मामले की सुनवाई 29 मार्च 2022 को होगी.
मामले के अनुसार साल 2019 में 108 के कार्यरत कर्मचारियों ने 108 की सेवा किसी दूसरी कम्पनी को दिए जाने के मामले पर हड़ताल की थी. वहीं, दूसरी कम्पनी ने पहले से कार्यरत कर्मचरियों को सेवा से हटा दिया और उनकी जगह दूसरे लोगों को रख लिया गया.
वहीं, जब 108 के कर्मचारियों ने इसका विरोध किया तो इस दौरान संगठन के आंदोलनरत 11 लोगों पर पुलिस ने शांति भंग करने के मामले पर आईपीसी की धारा 147, 282 और 341 तहत मुकदमे दर्ज कर चार्जशीट निचली अदालत में पेश कर दी. जिसके बाद निचली अदालत ने उनके खिलाफ शान्ति भंग करने के मामले में समन जारी कर दिया.
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जबकि, 28 मई 2019 को लगभग 608 कर्मचारियों ने शीर्ष कांग्रेस नेतृत्व की उपस्थित में सचिवालय कूच का आयोजन किया था. जिसमें कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, किशोर उपाध्याय, सूर्यकांत धस्माना सहित भी शामिल हुए थे लेकिन जब कानूनी कार्यवाही करने की बात सामने आई तो स्थानीय पुलिस ने 108 कार्मिकों के शीर्ष नेताओं को आरोपी बनाकर उनके खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कर दिया गया और उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी. इस चार्जशीट को उनके द्वारा आज माननीय उच्च न्यायलय में चुनौती दी गयी है.
आज इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ में हुई. जिसके बाद कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाते हुए सरकार को इस मामले में आठ सप्ताह के भीतर दवाब दाखिल करने को कहा है.