ETV Bharat / state

वन गुर्जरों को हटाए जाने पर नैनीताल हाईकोर्ट सख्त, 23 अक्टूबर को अगली सुनवाई - High Court's instructions to Uttarkashi District Magistrate

वन गुर्जरों को उत्तरकाशी समेत प्रदेश के जंगलों से हटाए जाने के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में कोर्ट ने सुनवाई की अगली तिथि 23 अक्टूबर तय की है.

nainital-high-court
नैनीताल हाई कोर्ट
author img

By

Published : Sep 21, 2021, 4:41 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तरकाशी सहित प्रदेश के अन्य वन क्षेत्रों से वन गुर्जरों को हटाए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए 23 अक्टूबर अगली सुनवाई की तारीख दी है.

पूर्व में कोर्ट ने उत्तरकाशी जिलाधिकारी और सरकार को वन गुर्जरों के आवास, खाने-पीने की सुविधा और उनके मवेशियों के लिए चारे की व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे. साथ ही सरकार को उनके विस्थापन के लिए दोबारा से एक कमेटी का गठन कर उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा था.

मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई. थिंक एक्ट राइज फाउंडेशन के सदस्य अर्जुन कसाना ने मामले में जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें बताया गया कि उत्तरकाशी जनपद में लगभग 150 वन गुर्जरों और उनके मवेशियों को गोविंद पशु विहार राष्ट्रीय पार्क में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है. वन गुर्जर खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं. मवेशी भूख से मर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: डेढ़ साल बाद स्कूल पहुंचे नौनिहाल, जानें कैसा रहा पहला दिन ?

कोर्ट ने इसे मौलिक अधिकारों का हनन बताते हुए उत्तरकाशी के जिलाधिकारी और उद्यान उप निदेशक कोमल सिंह को सभी वन गुर्जरों के लिये आवास, खाने-पीने और दवाई की व्यवस्था करने, उनके मवेशियों के लिए चारे की व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे. साथ ही उसकी रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने को कहा था.

याचिकर्ता का कहना है कि उत्तराखंड के जंगलों में लगभग 10 हजार से अधिक वन गुर्जर पिछले 150 साल से निवास करते आये हैं. अब सरकार उनको वनों से हटा रही है, जिसके कारण उनके मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है. उनको अपने हक-हकूकों से भी वंचित होना पड़ रहा है. उनको वनों से विस्थापित नहीं किया जाए.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तरकाशी सहित प्रदेश के अन्य वन क्षेत्रों से वन गुर्जरों को हटाए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए 23 अक्टूबर अगली सुनवाई की तारीख दी है.

पूर्व में कोर्ट ने उत्तरकाशी जिलाधिकारी और सरकार को वन गुर्जरों के आवास, खाने-पीने की सुविधा और उनके मवेशियों के लिए चारे की व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे. साथ ही सरकार को उनके विस्थापन के लिए दोबारा से एक कमेटी का गठन कर उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा था.

मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई. थिंक एक्ट राइज फाउंडेशन के सदस्य अर्जुन कसाना ने मामले में जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें बताया गया कि उत्तरकाशी जनपद में लगभग 150 वन गुर्जरों और उनके मवेशियों को गोविंद पशु विहार राष्ट्रीय पार्क में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है. वन गुर्जर खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं. मवेशी भूख से मर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: डेढ़ साल बाद स्कूल पहुंचे नौनिहाल, जानें कैसा रहा पहला दिन ?

कोर्ट ने इसे मौलिक अधिकारों का हनन बताते हुए उत्तरकाशी के जिलाधिकारी और उद्यान उप निदेशक कोमल सिंह को सभी वन गुर्जरों के लिये आवास, खाने-पीने और दवाई की व्यवस्था करने, उनके मवेशियों के लिए चारे की व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे. साथ ही उसकी रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने को कहा था.

याचिकर्ता का कहना है कि उत्तराखंड के जंगलों में लगभग 10 हजार से अधिक वन गुर्जर पिछले 150 साल से निवास करते आये हैं. अब सरकार उनको वनों से हटा रही है, जिसके कारण उनके मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है. उनको अपने हक-हकूकों से भी वंचित होना पड़ रहा है. उनको वनों से विस्थापित नहीं किया जाए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.