नैनीतालः उत्तराखंड की नदियों में बेतहाशा हो रहे अवैध खनन (illegal mining), खनन नीति, आबादी और प्रतिबंधित क्षेत्रों समेत साइलेंट जोन में स्थापित स्टोन क्रशर मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिया हैं. साथ ही खनन नीति पर विस्तृत जवाब पेश करने को भी कहा है.
नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रदेश की खनन नीति, अवैध खनन और बिना पीसीबी के अनुमति के संचालित स्टोन क्रशरों व आबादी क्षेत्रो में संचालित स्टोन क्रशरों के खिलाफ 38 से ज्यादा जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की. कोर्ट ने राज्य सरकार को 12 अगस्त तक जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने सरकार से ये भी पूछा है कि आपने ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) जोन घोषित किए हैं या नहीं?
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कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार के अधिवक्ता ने बताया कि सरकार की ओर से स्टोन क्रशर उद्योग स्थापित करने के लिए 141 का नोटिस जारी करते हैं और वह क्षेत्र इंडस्ट्रियल क्षेत्र घोषित हो जाता है. इस पर कोर्ट ने कहा कि सरकार क्रशर स्थापित करने के लिए नॉइज पॉल्यूशन जोन घोषित करें अन्यथा स्टोन क्रशर लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
बता दें कि बाजपुर निवासी रमेश लाल, मिलख राज, रामनगर निवासी शैलजा साह, त्रिलोक चंद्र, जय प्रकाश नौटियाल, आनंद सिंह नेगी, वर्धमान स्टोन क्रशर, शिव शक्ति स्टोन क्रशर, बलविंदर सिंह, सुनील मेहरा, गुरमुख स्टोन क्रशर समेत अन्य 29 से ज्यादा लोगों की ओर से जनहित या इससे संबंधित याचिकाएं दायर की है. ये याचिकाएं विभिन्न बिंदुओं को लेकर दायर की गई है. कुछ याचिकाओं में प्रदेश की खनन नीति को चुनौती दी गई है.
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वहीं, कुछ याचिका आबादी क्षेत्रो में चल रहे स्टोन क्रशरों को हटाए जाने के खिलाफ दायर की गई है. कुछ जनहित याचिकाओं में स्टोन क्रशरों की ओर से अवैध रूप से किए जा रहे खनन और कुछ याचिकाओं में स्टोन क्रशरों की ओर से पीसीबी के मानकों को पूरा नहीं करने को लेकर दायर की गई है.