नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बुधवार एक सितंबर को सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया के मामले पर सुनवाई की. कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद भर्ती प्रक्रिया पर लगी रोक को हटाते हुए सरकार को निर्देश दिए हैं कि अभ्यर्थियों को नियुक्ति प्रकिया में सम्मिलित करते हुए भर्ती प्रक्रिया प्रारम्भ करें. ये नियुक्तियां कोर्ट के आदेश के अधीन रहेंगी.
कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी कहा है कि इनकी नियुक्ति 2012 की नियमावली और शिक्षा का अधिकार अधिनियम की सुसंगत धाराओं के तहत करें. मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई.
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मामले के अनुसार जितेंद्र सिंह और अन्य ने राज्य सरकार के 10 फरवरी 2021 के शासनादेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. याचिकाकर्ता ने कहा था कि वो 2019 में एनआईओएस (National Institute of Open Schooling) के दूरस्थ शिक्षा माध्यम से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त हैं. लेकिन राज्य सरकार ने उक्त माध्यम से प्रशिक्षितों को सहायक अध्यापक प्राथमिक की नियुक्ति प्रक्रिया से बाहर कर दिया.
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार ने 16 दिसंबर 2020 और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने 6 जनवरी 2021 को जारी आदेशों में एनआईओएस की दूरस्थ शिक्षा पद्धति से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को अन्य माध्यमों से प्रशिक्षित अभ्यर्थियों के समान माना है. इस प्रकार राज्य सरकार, केंद्र सरकार के विरोधाभासी आदेश नहीं कर सकती.
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इन तर्कों के आधार पर पूर्व में कोर्ट ने राज्य सरकार के उक्त शासनादेश पर रोक लगाते हुए इन अभ्यर्थियों को भी सहायक अध्यापक प्राथमिक शिक्षा की भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने को कहा था. याचिकर्ताओं का कहना है कि सरकार ने सहायक अध्यापक भर्ती के 2600 पदों हेतु दिसंबर 2018 को विज्ञप्ति जारी की थी. इस मामले पर कोर्ट ने जनवरी 2021 को रोक लगाई थी.