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बकाये में छूट देने वाले कानून को HC में चुनौती, सरकार-पूर्व CM को नोटिस, राज्यपाल कोश्यारी को छूट - रूरल लिटिगेशन संस्था

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी आवास सहित कई सुविधाओं के बिल न जमा करने पर हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर दिया है. साथ ही जवाब पेश करने के आदेश जारी किए हैं.

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HC से नोटिस जारी
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Published : Jan 22, 2020, 2:37 PM IST

Updated : Jan 22, 2020, 5:21 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास का किराया, अन्य भत्तों व बिल जमा करने के मामले में नैनीताल हाई कोर्ट की एकलपीठ ने सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्रियों के बकाया मामले पर सरकार के एक्ट को हाई कोर्ट में चुनौती मिली है. हालांकि, हाई कोर्ट में भगत सिंह कोश्यारी को महाराष्ट्र का राज्यपाल होने के नाते नोटिस जारी नहीं किया है. कोर्ट अब इस मामले पर 11 फरवरी को सुनवाई करेगा.

HC से नोटिस जारी

पूर्व में मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले का किराया व अन्य भत्ते जमा करने के आदेश दिए थे, जिसके बाद राज्य सरकार ने अध्यादेश जारी कर पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी घर समेत अन्य भत्तों को जमा न करने की छूट दी थी. सरकार के इसी कदम को फिर से याचिकाकर्ता रूरल लिटिगेशन संस्था ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. जिसके बाद कोर्ट ने सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को बाजार भाव से किराया जमा करने के आदेश दिए थे.

कोर्ट के इस आदेश के बाद सरकार द्वारा एक्ट जारी कर सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों से स्टैंडर्ड रेंट जमा करवाने का फैसला किया गया, जिसमें मानक किराया सरकार तय करेगी. साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री बिजली, पानी, सीवरेज, सरकारी आवास आदि का बकाया खुद वहन करेंगे लेकिन किराया सरकार तय करेगी. जिसको एक बार फिर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है.

पूर्व में सरकार ने 5 पूर्व मुख्यमंत्रियों पर 2 करोड़ 85 लाख रुपए की राशि बकाया होने की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी, जो इस प्रकार है-

  • पूर्व सीएम निशंक पर 40 लाख 95 हजार
  • बीसी खंडूड़ी पर 46 लाख 59 हजार
  • विजय बहुगुणा पर 37 लाख 50 हजार
  • भगत सिंह कोश्यारी पर 47 लाख 57 हजार रुपए बकाया है.
  • पूर्व मुख्‍यमंत्री स्व. एनडी तिवारी के नाम पर एक करोड़ 13 लाख रुपए की राशि बकाया है.

ये भी पढ़ें: मसूरी: वन चौकी में ना बिजली है, ना पानी, क्या ऐसे होगी सुरक्षा?

बता दें कि नैनीताल हाई कोर्ट में देहरादून की रूरल लिटिगेशन संस्था ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकार द्वारा जो सरकारी भवन और सुविधाएं दी जा रही हैं वो गलत हैं. साथ ही जब से पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी भवन का प्रयोग कर रहे हैं उनसे उस अवधि के दौरान का किराया वसूलने की मांग भी की गई थी.

पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं देने पर मुहर
गौर हो कि उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को लेकर राज्य सरकार द्वारा विधानसभा में लाए गए विधेयक पर अंतिम मुहर लग गई है. राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद अब अधिनियम की अधिसूचना भी जारी कर दी गई है. प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधाओं को लेकर विधाई विभाग ने भूतपूर्व सुविधा अधिनियम 2019 की अधिसूचना जारी की है. अधिसूचना जारी होने के बाद अब प्रदेश के 31 मार्च 2019 तक के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाओं का लाभ मिलना तय हो गया है. इसके अनुसार आवास के किराए के रूप में सरकारी दरों से करीब 25% अधिक दर से पूर्व मुख्यमंत्रियों को भुगतान करना होगा. मानक सरकार तय करेगी.

नैनीताल: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास का किराया, अन्य भत्तों व बिल जमा करने के मामले में नैनीताल हाई कोर्ट की एकलपीठ ने सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्रियों के बकाया मामले पर सरकार के एक्ट को हाई कोर्ट में चुनौती मिली है. हालांकि, हाई कोर्ट में भगत सिंह कोश्यारी को महाराष्ट्र का राज्यपाल होने के नाते नोटिस जारी नहीं किया है. कोर्ट अब इस मामले पर 11 फरवरी को सुनवाई करेगा.

HC से नोटिस जारी

पूर्व में मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले का किराया व अन्य भत्ते जमा करने के आदेश दिए थे, जिसके बाद राज्य सरकार ने अध्यादेश जारी कर पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी घर समेत अन्य भत्तों को जमा न करने की छूट दी थी. सरकार के इसी कदम को फिर से याचिकाकर्ता रूरल लिटिगेशन संस्था ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. जिसके बाद कोर्ट ने सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को बाजार भाव से किराया जमा करने के आदेश दिए थे.

कोर्ट के इस आदेश के बाद सरकार द्वारा एक्ट जारी कर सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों से स्टैंडर्ड रेंट जमा करवाने का फैसला किया गया, जिसमें मानक किराया सरकार तय करेगी. साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री बिजली, पानी, सीवरेज, सरकारी आवास आदि का बकाया खुद वहन करेंगे लेकिन किराया सरकार तय करेगी. जिसको एक बार फिर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है.

पूर्व में सरकार ने 5 पूर्व मुख्यमंत्रियों पर 2 करोड़ 85 लाख रुपए की राशि बकाया होने की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी, जो इस प्रकार है-

  • पूर्व सीएम निशंक पर 40 लाख 95 हजार
  • बीसी खंडूड़ी पर 46 लाख 59 हजार
  • विजय बहुगुणा पर 37 लाख 50 हजार
  • भगत सिंह कोश्यारी पर 47 लाख 57 हजार रुपए बकाया है.
  • पूर्व मुख्‍यमंत्री स्व. एनडी तिवारी के नाम पर एक करोड़ 13 लाख रुपए की राशि बकाया है.

ये भी पढ़ें: मसूरी: वन चौकी में ना बिजली है, ना पानी, क्या ऐसे होगी सुरक्षा?

बता दें कि नैनीताल हाई कोर्ट में देहरादून की रूरल लिटिगेशन संस्था ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकार द्वारा जो सरकारी भवन और सुविधाएं दी जा रही हैं वो गलत हैं. साथ ही जब से पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी भवन का प्रयोग कर रहे हैं उनसे उस अवधि के दौरान का किराया वसूलने की मांग भी की गई थी.

पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं देने पर मुहर
गौर हो कि उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को लेकर राज्य सरकार द्वारा विधानसभा में लाए गए विधेयक पर अंतिम मुहर लग गई है. राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद अब अधिनियम की अधिसूचना भी जारी कर दी गई है. प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधाओं को लेकर विधाई विभाग ने भूतपूर्व सुविधा अधिनियम 2019 की अधिसूचना जारी की है. अधिसूचना जारी होने के बाद अब प्रदेश के 31 मार्च 2019 तक के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाओं का लाभ मिलना तय हो गया है. इसके अनुसार आवास के किराए के रूप में सरकारी दरों से करीब 25% अधिक दर से पूर्व मुख्यमंत्रियों को भुगतान करना होगा. मानक सरकार तय करेगी.

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उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रीयो को आवास समेत अन्य भत्ते जमा करने के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट से नोटिस जारी।

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उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास का किराया व अन्य भत्तों व बिल जमा करने के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट की एकलपीठ ने सभी पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंख, विजय बहुगुणा, भुवन चंद्र खंडूरी समेत राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं, हालांकि हाईकोर्ट में भगत सिंह कोशियारी को महाराष्ट्र का राज्यपाल होने की वजह से नोटिस जारी नहीं करा है।


Body:पूर्व में मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ के द्वारा पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले का किराया व अन्य भत्ते जमा करने के आदेश दिए थे, जिसके बाद राज्य सरकार द्वारा पूर्व मुख्यमंत्रियों के मामले में अध्यादेश जारी कर सरकारी घर समेत अन्य भत्तों को जमा ना करने की छूट दी थी, इस फैसला को याचिकाकर्ता द्वारा से हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, और कोर्ट ने सभी मुख्यमंत्री को बाजार भाव से किराया जमा करने का आदेश दिए थे,
कोर्ट के इस आदेश के बाद सरकार द्वारा पूर्व मुख्यमंत्रियों के भत्ते को किराया जमा करने के मामले पर एक्ट जारी कर सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों से स्टैंडर्ड रेंट जमा करने का फैसला किया गया,, जिसको एक बार फिर याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में चुनौती दी।

पूर्व में सरकार ने 5 पूर्व मुख्यमंत्रीयो पर 2 करोड़ 85 लाख रुपए की राशि बकाया होने की रिर्पोट कोर्ट में पेश करी,,, जिसमें सरकार ने बताया की पूर्व सीएम निशंक पर 40 लाख 95 हजार, 
बीसी खण्डूरी पर 46 लाख 59 हजार, 
विजय बहुगुणा पर 37 लाख 50 हजार, 
भगत सिंह कोश्यारी पर 47 लाख 57 हजार रुपए बकाया हैं,,, जबकी पूर्व मुख्‍यमंत्री स्व. एनडी तिवारी के नाम पर एक करोड़ 13 लाख रुपए की राशि बकाया है,,,


Conclusion:अपाको बता दे कि नैनीताल हाईकोर्ट में देहरादून की रूरल लिटिगेशन संस्था ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश में पुर्व मुख्यमंत्रीयो को सरकार द्धारा जो सरकारी भवन और सुविधाए दी जा रही है वो गलत है साथ ही जब से पुर्व मुख्यमंत्री सरकारी भवन का प्रयोग कर रहे है उनसे उक्त अवधि के दौरान का किराया वसूलने की मांग भी की गई थी,
पूर्व में मुख्य न्यायाधीशों की पीठ ने प्रदेश के सभी मुख्यमंत्रियों को बकाया जमा करने के आदेश दिए जिसके बाद राज्य सरकार ने कैबिनेट में अध्यादेश लाकर मुख्यमंत्रियों पर बकाया को माफ करने का फैसला लिया था जिसको याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी और कहा कि कोर्ट के फैसले के बाद सरकार द्वारा पूर्व मुख्यमंत्रियों को फायदा दिलाने के लिए एक्ट बनाया गया है जो गलत है लिहाजा इस पर रोक लगाई जाए।

बाईट- कार्तिके हरी गुप्ता, अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
Last Updated : Jan 22, 2020, 5:21 PM IST
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