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DFO अल्मोड़ा के खिलाफ हाईकोर्ट ने जारी किया गैर जमानती वारंट, जानिए क्या है मामला - माहातिम यादव अवमानना का दोषी

नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रभागीय वनाधिकारी (DFO) माहातिम यादव को अवमानना का दोषी करार दिया है. साथ ही गैर जमानती वारंट जारी कर 16 नवंबर तक जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

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नैनीताल हाईकोर्ट
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Published : Oct 29, 2021, 5:15 PM IST

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आदेश का पालन नहीं करने और दैनिक श्रमिक कर्मचारियों को बर्खास्त करने के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद प्रभागीय वनाधिकारी माहातिम यादव को अवमानना का दोषी करार दिया है. साथ ही उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है. इसके अलावा 16 नवंबर तक जवाब पेश करने को कहा है.

गौर हो कि पूर्व में नैनीताल हाईकोर्ट ने खिलानंद समेत अन्य याचिकाकर्ताओं को न्यूनतम वेतन और अन्य लाभ देने के आदेश दिए थे, लेकिन विभाग की ओर से उन्हें इसका लाभ नहीं दिया गया. जिसके खिलाफ उनकी ओर से अवमानना याचिका दायर की गई. अवमानना याचिका में डीएफओ अल्मोड़ा माहातिम यादव को कोर्ट ने पूर्व में अवमानना का नोटिस जारी किया था, लेकिन डीएफओ की ओर से कोर्ट में इसका उत्तर न देकर उल्टा विभाग ने श्रमिकों को बीती 28 अक्टूबर को हटाने का आदेश दे दिया.

ये भी पढ़ेंः बिनसर वन्यजीव अभयारण्य में निर्माण पर लगी रोक रहेगी जारी, HC ने सुनाया फैसला

उन्होंने अपने आदेश में कहा कि उनकी नियुक्ति विभाग में बिना पद सृजित व अस्थायी रूप में की गई है. उन्हें कभी भी हटाया जा सकता है. जबकि, याचिकाकर्ता खिलानंद समेत अन्य ने पूर्व में याचिका दायर कर कहा था कि वे विभाग में कई सालों से विभिन्न पदों पर दैनिक श्रमिक कर्मचारियों के रूप में कार्य कर रहे हैं. उन्हें अभी तक न्यूनतम वेतन व अन्य लाभ नहीं दिए जा रहे हैं. जिसे उन्हें भी दिलाया जाए. वहीं, मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में हुई.

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आदेश का पालन नहीं करने और दैनिक श्रमिक कर्मचारियों को बर्खास्त करने के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद प्रभागीय वनाधिकारी माहातिम यादव को अवमानना का दोषी करार दिया है. साथ ही उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है. इसके अलावा 16 नवंबर तक जवाब पेश करने को कहा है.

गौर हो कि पूर्व में नैनीताल हाईकोर्ट ने खिलानंद समेत अन्य याचिकाकर्ताओं को न्यूनतम वेतन और अन्य लाभ देने के आदेश दिए थे, लेकिन विभाग की ओर से उन्हें इसका लाभ नहीं दिया गया. जिसके खिलाफ उनकी ओर से अवमानना याचिका दायर की गई. अवमानना याचिका में डीएफओ अल्मोड़ा माहातिम यादव को कोर्ट ने पूर्व में अवमानना का नोटिस जारी किया था, लेकिन डीएफओ की ओर से कोर्ट में इसका उत्तर न देकर उल्टा विभाग ने श्रमिकों को बीती 28 अक्टूबर को हटाने का आदेश दे दिया.

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उन्होंने अपने आदेश में कहा कि उनकी नियुक्ति विभाग में बिना पद सृजित व अस्थायी रूप में की गई है. उन्हें कभी भी हटाया जा सकता है. जबकि, याचिकाकर्ता खिलानंद समेत अन्य ने पूर्व में याचिका दायर कर कहा था कि वे विभाग में कई सालों से विभिन्न पदों पर दैनिक श्रमिक कर्मचारियों के रूप में कार्य कर रहे हैं. उन्हें अभी तक न्यूनतम वेतन व अन्य लाभ नहीं दिए जा रहे हैं. जिसे उन्हें भी दिलाया जाए. वहीं, मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में हुई.

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