नैनीतालः उत्तराखंड सचिवालय में हो रही नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. वेकेशन जज न्यायमूर्ति एनएस धनिक की एकलपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामले की सुनवाई की. जिसमें उन्होंने विधानसभा सचिव और सचिव कार्मिक को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते के भीतर जवाब पेश करने को कहा है.
बता दें कि उत्तराखंड सचिवालय अनुसूचित जाति एवं जनजाति कार्मिक बहुउद्देशीय मानव संसाधन विकास कल्याण के अध्यक्ष वीरेंद्र पाल ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने सचिवालय के लिए जारी 1 अक्टूबर 2021 की विज्ञप्ति को चुनौती दी है. याचिकाकर्ता का कहना है कि सचिव विधानसभा व सचिव कार्मिक की ओर से विज्ञप्ति में पूर्व में 18 जुलाई 2001 और 31 अगस्त 2001 को जारी शासनादेश व संविधान के अनुच्छेद 16 का पालन नहीं किया गया है.
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विधानसभा सचिव की ओर से सूचना के अधिकार के तहत उन्हें जो सूचना उपलब्ध कराई गई है. उसमें उनकी ओर से कहा गया है कि विज्ञप्ति में सामान्य वर्ग के लिए कोई पद खाली नहीं है बल्कि ये पद अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए है. याचिका में ये भी कहा गया है कि जो विज्ञप्ति में 19% का आरक्षण अनुसूचित जाति एवं जनजाति को दिया गया है, वो विज्ञापित पदों पर दिया गया है जबकि, यह आरक्षण 31 अगस्त 2001 के शासनादेश के रोस्टर के अनुसार दिया जाना था. इतना ही नहीं, यह आरक्षण सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक पीठ के आदेश के विपरीत भी है.