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उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की आरक्षण नियमावली को चुनौती, HC ने सरकार और UKPSC से मांगा जवाब - यूकेपीएससी में आरक्षण

नैनीताल हाईकोर्ट में उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की आरक्षण नियमावली को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई. जिस पर कोर्ट ने आयोग और सरकार से चार हफ्ते के भीतर हर हाल में जवाब पेश करने को कहा है.

Nainital High Court
नैनीताल हाईकोर्ट
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Published : Nov 23, 2022, 8:03 PM IST

नैनीतालः उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की आरक्षण नियमावली 2012 और परीक्षा परिणाम तैयारी प्रक्रिया विनियम 2022 को चुनौती देने वाली याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने राज्य सरकार के साथ उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को चार हफ्ते के भीतर हर हाल में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को निर्देश दिए हैं कि आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों का चयन जिन्होंने उत्तराखंड संयुक्त राज्य सिविल सेवा परीक्षा 2021 में पद के लिए आवेदन करने में छूट के मानकों का लाभ उठाया है, उनका चयन रिट याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रहेगा. इस मामले की अगली सुनवाई 14 जनवरी 2023 को होगी.

गौर हो कि याचिकाकर्ता शादाब खान ने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (Uttarakhand Public Service Commission) के नियमों को चुनौती दी है. जो आरक्षित श्रेणी के व्यक्ति को सामान्य वर्ग में चयनित होने की अनुमति देता है. भले ही उसने आयु सीमा, अनुभव, योग्यता, लिखित परीक्षा में अनुमत अवसरों की संख्या में छूट का लाभ उठाया हो.
ये भी पढ़ेंः UKPSC में 30% क्षैतिज आरक्षण का मामला, धामी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की SLP

याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि केंद्र सरकार ने कानून बनाया है कि आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार ने यदि मानकों में छूट के साथ किसी पद के लिए आवेदन किया है तो उसे केवल आरक्षित वर्ग के खिलाफ ही चुना जाएगा. उनका चयन अनारक्षित पद पर नहीं किया जाएगा. भले ही वो अनारक्षित श्रेणी के उम्मीदवार से अधिक मेधावी क्यों न हो.

वहीं, याचिका में उत्तराखंड लोक सेवा आयोग परीक्षा परिणाम तैयारी प्रक्रिया विनियम 2022 (Exam Preparation Processor Regulation 2022) के विनियम 4 (1) (iii) और उत्तराखंड लोक सेवा आयोग परीक्षा परिणाम तैयारी प्रक्रिया नियम 6.2 (अ) (2) (iii) 2012 की आरक्षण नियमावली को चुनौती दी है.

यह नियमावली केंद्र सरकार और यूपी सरकार की आरक्षण नीति (UKPSC Reservation rules) के खिलाफ है. एक बार आरक्षित श्रेणी का व्यक्ति आवेदन के समय छूट का लाभ प्राप्त कर लेता है तो उसे अनारक्षित पद पर स्थानांतरित नहीं किया जा सकता. यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन भी है.
ये भी पढ़ेंः इलेक्शन मोड में आयोजित होंगी UKPSC संचालित चयन परीक्षाएं, मुख्य सचिव ने दिये ये निर्देश

नैनीतालः उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की आरक्षण नियमावली 2012 और परीक्षा परिणाम तैयारी प्रक्रिया विनियम 2022 को चुनौती देने वाली याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने राज्य सरकार के साथ उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को चार हफ्ते के भीतर हर हाल में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को निर्देश दिए हैं कि आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों का चयन जिन्होंने उत्तराखंड संयुक्त राज्य सिविल सेवा परीक्षा 2021 में पद के लिए आवेदन करने में छूट के मानकों का लाभ उठाया है, उनका चयन रिट याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रहेगा. इस मामले की अगली सुनवाई 14 जनवरी 2023 को होगी.

गौर हो कि याचिकाकर्ता शादाब खान ने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (Uttarakhand Public Service Commission) के नियमों को चुनौती दी है. जो आरक्षित श्रेणी के व्यक्ति को सामान्य वर्ग में चयनित होने की अनुमति देता है. भले ही उसने आयु सीमा, अनुभव, योग्यता, लिखित परीक्षा में अनुमत अवसरों की संख्या में छूट का लाभ उठाया हो.
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याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि केंद्र सरकार ने कानून बनाया है कि आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार ने यदि मानकों में छूट के साथ किसी पद के लिए आवेदन किया है तो उसे केवल आरक्षित वर्ग के खिलाफ ही चुना जाएगा. उनका चयन अनारक्षित पद पर नहीं किया जाएगा. भले ही वो अनारक्षित श्रेणी के उम्मीदवार से अधिक मेधावी क्यों न हो.

वहीं, याचिका में उत्तराखंड लोक सेवा आयोग परीक्षा परिणाम तैयारी प्रक्रिया विनियम 2022 (Exam Preparation Processor Regulation 2022) के विनियम 4 (1) (iii) और उत्तराखंड लोक सेवा आयोग परीक्षा परिणाम तैयारी प्रक्रिया नियम 6.2 (अ) (2) (iii) 2012 की आरक्षण नियमावली को चुनौती दी है.

यह नियमावली केंद्र सरकार और यूपी सरकार की आरक्षण नीति (UKPSC Reservation rules) के खिलाफ है. एक बार आरक्षित श्रेणी का व्यक्ति आवेदन के समय छूट का लाभ प्राप्त कर लेता है तो उसे अनारक्षित पद पर स्थानांतरित नहीं किया जा सकता. यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन भी है.
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