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रामगंगा नदी में मलबा डालने पर नैनीताल HC सख्त, विभागों से मांगा जवाब

भिकियासैंण से मर्चुला तक सड़क बनाई जा रही है. जिसका मलबा नदी में डालने से रामगंगा का प्रवाह रुक गया है. साथ ही ये नदी रामनगर के कॉर्बेट पार्क से होकर गुजरती है. वहीं, पार्क में मौजूद जानवर इसी पेयजल के लिए इसी नदी पर निर्भर हैं. साथ ही इस नदी में मगरमच्छ और घड़ियाल भी रहते हैं.

नैनीताल HC
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Published : Aug 29, 2019, 11:41 PM IST

नैनीताल: शहर में भिकियासैंण से मर्चुला तक बन रही सड़क का मलबा रामगंगा नदी में डालने पर नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपना लिया है. इस मामले में अब कोर्ट ने वन विभाग और पीडब्ल्यूडी विभाग को सोमवार तक जवाब कोर्ट में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने इन विभागों से यह भी पूछा है कि आखिर इस मलबे का निस्तारण कैसे किया जाएगा.

पढ़ें:बिहारः HC चीफ जस्टिस ने साथी जज से सभी केस लिए वापस, की कड़ी टिप्पणी

बता दें कि हल्द्वानी निवासी गुरविंदर सिंह चड्डा ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया है कि भिकियासैंण से मर्चुला तक सड़क बनाई जा रही है. जिसका मलबा रामगंगा नदी में डाले जाने से पानी का प्रवाह रुक गया है. साथ ही ये नदी रामनगर के कॉर्बेट पार्क से होकर गुजरती है. वहीं, पार्क में मौजूद जानवर भी पेयजल के लिए इसी नदी पर निर्भर हैं. इस अलावा मगरमच्छ और घड़ियाल भी इस नदी में रहते हैं.

रामगंगा नदी में मलबा डालने पर नैनीताल HC सख्त.

याचिकाकर्ता ने कहा कि नदी में मलबा डाले जाने के कारण रामगंगा का प्रवाह रुक गया है. ऐसे में पार्क में रहने वाले जानवरों के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है. गुरुवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने पीडब्ल्यूडी और वन विभाग को सोमवार को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

नैनीताल: शहर में भिकियासैंण से मर्चुला तक बन रही सड़क का मलबा रामगंगा नदी में डालने पर नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपना लिया है. इस मामले में अब कोर्ट ने वन विभाग और पीडब्ल्यूडी विभाग को सोमवार तक जवाब कोर्ट में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने इन विभागों से यह भी पूछा है कि आखिर इस मलबे का निस्तारण कैसे किया जाएगा.

पढ़ें:बिहारः HC चीफ जस्टिस ने साथी जज से सभी केस लिए वापस, की कड़ी टिप्पणी

बता दें कि हल्द्वानी निवासी गुरविंदर सिंह चड्डा ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया है कि भिकियासैंण से मर्चुला तक सड़क बनाई जा रही है. जिसका मलबा रामगंगा नदी में डाले जाने से पानी का प्रवाह रुक गया है. साथ ही ये नदी रामनगर के कॉर्बेट पार्क से होकर गुजरती है. वहीं, पार्क में मौजूद जानवर भी पेयजल के लिए इसी नदी पर निर्भर हैं. इस अलावा मगरमच्छ और घड़ियाल भी इस नदी में रहते हैं.

रामगंगा नदी में मलबा डालने पर नैनीताल HC सख्त.

याचिकाकर्ता ने कहा कि नदी में मलबा डाले जाने के कारण रामगंगा का प्रवाह रुक गया है. ऐसे में पार्क में रहने वाले जानवरों के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है. गुरुवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने पीडब्ल्यूडी और वन विभाग को सोमवार को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

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सड़क निर्माण का मलवा नदी में डालने पर हाईकोर्ट सख्त वन विभाग और पीडब्ल्यूडी से मांगा जवाब।

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भिकियासैंण से मर्चुला तक बन रही सड़क का मलबा रामगंगा नदी में डालने पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए वन विभाग और पीडब्ल्यूडी को सोमवार तक जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं, कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते थे दोनों विभागों से पूछा है कि नदी से मालवा कब तक उठ जाएगा और उसका निस्तारण कहां और किस तरह किया जाएगा।


Body:आपको बता दें कि हल्द्वानी निवासी गुरविंदर सिंह चड्डा ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि भिकियासेन से मर्चुला तक सड़क बनाई जा रही है जिसका मलवा रामगंगा नदी में डाला जा रहा है जिससे पानी का प्रभाव रुक गया है साथ ही नदी रामनगर के कॉर्बेट पार्क से होकर गुजरती है और पार्क में जानवर इसी नदी का पानी पीते हैं वहीं इस नदी में मगरमच्छ और घड़ियाल प्रजाति के जानवर भी रहते हैं और पानी का प्रभाव रुक जाने से जानवरों पर खतरा मंडरा रहा है मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पीडब्ल्यूडी और वन विभाग को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं ।


Conclusion: साथिया चिका करता का कहना है कि सड़क निर्माण के मामले पर ठेकेदार द्वारा चयनित डंपिंग जोन में मलवा न जानकर रामगंगा नदी में डाला जा रहा है जिससे आने वाले समय में नदी किनारे बने गावों में केदारनाथ जैसी आपदा आ सकती है मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने पीडब्ल्यूडी और वन विभाग के अधिकारियों को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।

बाईट- दुष्यंत मैनाली,अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
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