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वन विकास निगम के पेंशनर्स का मामला, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और ईपीएफओ से मांगा जवाब

याचिका में कहा गया है कि सर्विस के दौरान 12 प्रतिशत ईपीएफ उनके सम्पूर्ण वेतन से काटा जा रहा था. वहीं, सरकार की तरफ से केवल 8.33 प्रतिशत ईपीएफ निर्धारित वेतन पर ही काटा गया जबकि, यह भी सम्पूर्ण वेतन पर से काटा जाना था.

Nainital high court hearing on petition
वन विकास निगम के पेंशनर्स का मामला
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Published : Apr 19, 2022, 3:13 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मंगलवार को वन विकास पेंशनर्स वेलफेयर सोसायटी द्वारा उनकी पेंशन के पुनर्निर्धारण को लेकर दायर याचिका की सुनवाई की. इस मामले को सुनने के बाद वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने राज्य सरकार व ईपीएफओ से चार सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है.

वन विकास पेंशनर्स वेलफेयर सोसायटी ने याचिका दायर कर कहा है कि उनको 2,500 से 3,000 हजार रुपये के बीच पेंशन दी जा रही है. ऐसे में उनकी पेंशन का पुनर्निर्धारण किया जाये, जिससे उनको अधिक पेंशन मिल सके. साथ में यह भी कहा गया है कि सर्विस के दौरान 12 प्रतिशत ईपीएफ उनके सम्पूर्ण वेतन से काटा जा रहा था. वहीं, सरकार की तरफ से केवल 8.33 प्रतिशत ईपीएफ निर्धारित वेतन पर ही काटा गया जबकि, यह भी सम्पूर्ण वेतन पर से काटा जाना था.

पढ़ें- CM शिवराज सिंह चौहान गिरे तो मदन कौशिक ने संभाला, कैमरे में कैद हुआ वाकया

साथ ही उनका जो ईपीएफ का पैसा जमा था उसे भी सरकार ने निकालकर अन्य जगह निवेश कर दिया है. जिसकी वजह से उनको समय पर पेंशन भी नहीं मिल पा रही है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट के आरसी गुप्ता बनाम हिमाचल प्रदेश के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि कर्मचारियों को सरकार भी उनके सम्पूर्ण वेतन पर ईपीएफ दे. जिसे सरकार नहीं देना चाह रही है.

वहीं, सरकार का कहना है कि इसको लागू करने से सरकार पर करोड़ों रुपये का आर्थिक बोझ बढ़ेगा. इस निर्णय में सरकार ने पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट में पेश की है जो अभी लंबित है. यह याचिका 614 पेंशनर्स की तरफ से दायर की गई है. लिहाजा, अब इस मामले में वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने राज्य सरकार व ईपीएफओ से चार सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मंगलवार को वन विकास पेंशनर्स वेलफेयर सोसायटी द्वारा उनकी पेंशन के पुनर्निर्धारण को लेकर दायर याचिका की सुनवाई की. इस मामले को सुनने के बाद वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने राज्य सरकार व ईपीएफओ से चार सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है.

वन विकास पेंशनर्स वेलफेयर सोसायटी ने याचिका दायर कर कहा है कि उनको 2,500 से 3,000 हजार रुपये के बीच पेंशन दी जा रही है. ऐसे में उनकी पेंशन का पुनर्निर्धारण किया जाये, जिससे उनको अधिक पेंशन मिल सके. साथ में यह भी कहा गया है कि सर्विस के दौरान 12 प्रतिशत ईपीएफ उनके सम्पूर्ण वेतन से काटा जा रहा था. वहीं, सरकार की तरफ से केवल 8.33 प्रतिशत ईपीएफ निर्धारित वेतन पर ही काटा गया जबकि, यह भी सम्पूर्ण वेतन पर से काटा जाना था.

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साथ ही उनका जो ईपीएफ का पैसा जमा था उसे भी सरकार ने निकालकर अन्य जगह निवेश कर दिया है. जिसकी वजह से उनको समय पर पेंशन भी नहीं मिल पा रही है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट के आरसी गुप्ता बनाम हिमाचल प्रदेश के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि कर्मचारियों को सरकार भी उनके सम्पूर्ण वेतन पर ईपीएफ दे. जिसे सरकार नहीं देना चाह रही है.

वहीं, सरकार का कहना है कि इसको लागू करने से सरकार पर करोड़ों रुपये का आर्थिक बोझ बढ़ेगा. इस निर्णय में सरकार ने पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट में पेश की है जो अभी लंबित है. यह याचिका 614 पेंशनर्स की तरफ से दायर की गई है. लिहाजा, अब इस मामले में वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने राज्य सरकार व ईपीएफओ से चार सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है.

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