नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गैरसैंण नगर पंचायत में हाईवे और रामगंगा नदी से 200 मीटर की दूरी में बनाए जा रहे कूड़ाघर के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने जिलाधिकारी चमोली को 45 दिनों के भीतर गैरसैंण में कूड़ाघर के लिए भूमि चयनित करने का निर्देश जारी किया.
मामले में चमोली निवासी राजेंद्र सिंह ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर किया है. जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री ने गैरसैंण नगर पंचायत के खसरा नंबर 425 की भूमि में पार्किंग बनाने की घोषणा की थी. बावजूद नगर पंचायत द्वारा वहां कूड़ाघर बनाने का प्रस्ताव रखा है. जो नेशनल हाईवे एवं रामगंगा नदी के करीब है.
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जबकि 2016 की नियमावली में स्पष्ट है कि नदी तट से 200 मीटर की दूरी तक कूड़ाघर नहीं बनाया जा सकता. याचिकाकर्ता का कहना है कि इस स्थान पर कूड़ाघर बनने से नदी सहित आसपास में प्रदूषण फैलने का खतरा है. लिहाजा यहां बनने वाले कूड़ाघर को अन्य जगह शिफ्ट किया जाए.
वहीं, जेडी मिनरल्स संचालक राजेंद्र सिंह, हल्द्वानी निवासी की याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की. मामले में न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकल पीठ ने जिलाधिकारी पिथौरागढ़ को याचिकाकर्ता के पक्ष में शासन द्वारा 50 साल के लिए 17.967 हेक्टेयर भूमि में 12 नवंबर 2021 को हुए लीज पट्टा के पंजीकरण के क्रम में खड़िया खनन के लिए अनुमति प्रदान करने का आदेश दिया.
याचिका में कहा गया था कि जेडी मिनरल्स के पक्ष में शासन द्वारा 23 सितंबर 2021 को पिथौरागढ़ तहसील मुनस्यारी के ग्राम बजेता में कुल 17.967 हेक्टेयर भूमि में स्टोन खनन पट्टा 50 वर्ष की अवधि के लिए आशय पत्र स्वीकृत किया गया था. उसके बाद दिनांक 12 नवंबर 2021 को लीज निष्पादित कर दी गई, लेकिन अभी तक याचिकाकर्ता को वर्क ऑर्डर के लिए जिलाधिकारी द्वारा अनुमति नहीं दी जा रही है.
आज मामले में जिलाधिकारी पिथौरागढ़ हाईकोर्ट के आदेश पर कोर्ट में पेश हुए. अपने जवाब में जिलाधिकारी ने कहा उत्तराखंड अनुसूचित जाति आयोग के आदेश के बाद ही खनन कार्य की अनुमति नहीं दी गई है. मामले में न्यायालय ने कहा कि अनुसूचित जाति आयोग अधिनियम 2003 के अंतर्गत आयोग को खनन मामलों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है. इसलिए याचिकाकर्ता को खनन के लिए रोकने का आधार औचित्यहीन है.