नैनीतालः उत्तराखंड में एसएसबी प्रशिक्षित गुरिल्लाओं को पेंशन का लाभ देने और योग्य प्रशिक्षितों को सेवा में लिए जाने को लेकर दायर याचिकाओं पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में गढ़वाल और कुमाऊं के गुरिल्लाओं ने दो अलग-अलग याचिकाएं कोर्ट में दायर की है. जिस पर आज न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ में सुनवाई हुई. एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं से पहले दो महीने के भीतर न्याय शुल्क अदा करने को कहा है. अब मामले की अगली सुनवाई न्याय शुल्क जमा करने के बाद होगी.
आज इस मामले में गढ़वाल और कुमाऊं गुरिल्ला एसोसिएशन की तरफ से दो याचिकाएं दायर की गई थी. जिसमें गढ़वाल के 227 और कुमाऊं के 254 लोग शामिल रहे, लेकिन उनकी की ओर से न्याय शुल्क एक ही लगाया गया. जिस पर कोर्ट ने कहा कि न्याय सबको मिलना है, इसलिए सभी लोगों की तरफ से न्याय शुल्क अदा किया जाए.
सुनवाई पर वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी कांडपाल ने कहा कि इससे पहले एकलपीठ ने इसमें आदेश दिए हैं, उसी के आधार पर इनको भी लाभ दिया जाए, लेकिन न्याय शुल्क अदा नहीं करने पर कोर्ट ने दो महीने के भीतर सभी लाभार्थियों से पहले न्याय शुल्क अदा करने को कहा है.
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इससे पहले कोर्ट ने केंद्र सरकार और महानिदेशक सशस्त्र सीमा बल को निर्देश दिए थे कि गुरिल्लाओं के मामले में सरकार के समक्ष अपना प्रत्यावेदन देना होगा. जिसका निस्तारण 3 महीने के भीतर करना होगा. इस दिशा निर्देश के बाद हाईकोर्ट ने उनकी याचिका निस्तारित कर दी थी. उसी को आधार मानकर आज गढ़वाल और कुमाऊं के गुरिल्लाओं की तरफ से दो याचिकाएं दायर की गई.
गौर हो कि नैनीताल के गरमपानी निवासी गुरिल्ला एसोसिएशन के सचिव जितेंद्र सिंह समेत अन्य ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि वे एसएसबी से गुरिल्ला प्रशिक्षित हैं. उन्होंने वॉलियंटरी फोर्स के रूप में काम किया है, लेकिन उन्हें किसी तरह लाभ नहीं दिया जा रहा है. जबकि, उन्हीं की तरह प्रशिक्षित गुरिल्लाओं को गुवाहाटी हाईकोर्ट के निर्देश पर पेंशन लाभ और अन्य सुविधाएं मिल रही हैं.
इन तथ्यों के बाद नैनीताल हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और एसएसबी के महानिदेशक से याचिकाकर्ता गुरिल्लाओं को गुवाहाटी हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुसार लाभ देने को कहा है. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इसी तरह का आदेश 3 अगस्त 2022 को चमोली निवासी अनुसुइया देवी समेत अन्य की याचिका की सुनवाई में दिए थे.