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नैनीताल हाईकोर्ट: नशा मुक्ति केंद्रों के लिए जारी SOP पर रोक, प्रत्यावेदन निस्तारित करने के निर्देश - SOP पर रोक

नैनीताल हाईकोर्ट ने देहरादून में नशा मुक्ति केंद्रों के लिए जारी एसओपी पर रोक लगा दी है. मामले में कोर्ट ने देहरादून जिलाधिकारी को 6 हफ्ते के भीतर केंद्रों का प्रत्यावेदन निस्तारित करने के निर्देश दिए हैं.

nainital high court
नैनीताल हाईकोर्ट नशा मुक्ति केंद्र पर फैसला
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Published : Dec 13, 2021, 4:47 PM IST

Updated : Dec 13, 2021, 4:52 PM IST

नैनीतालः देहरादून जिले में संचालित 15 नशा मुक्ति केंद्रों के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले को सुनने के बाद न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने जिलाधिकारी देहरादून की ओर से जारी एसओपी पर फिलहाल रोक लगा दी है. साथ ही याचिकाकर्ताओं के प्रत्यावेदन को 6 हफ्ते के भीतर निस्तारित करने को कहा है.

गौर हो कि जागृति फाउंडेशन, संकल्प नशामुक्ति, मैजिक नर्फ, इनलाइटमेंट फेलोशिप, जीवन संकल्प सेवा समिति, नवीन किरण, इवॉल्व लीव्स, जन सेवा समिति, ज्योति जन कल्याण सेवा, आपका आश्रम, सेंट लुइस रेहाब सोसायटी, एसजी फाउंडेशन, दून सोबर लिविंग सोयायटी रथ टू सेरिनिटी और डॉक्टर दौलत फाउंडेशन ने विभिन्न याचिकाएं दायर कर देहरादून डीएम की 13 नवंबर 2021 को नशा मुक्ति केंद्रों (drug de addiction centers) के संचालन हेतु जारी एसओपी को चुनौती दी है.

ये भी पढ़ेंः न गाइडलाइन, न निगरानी, नतीजा नशा मुक्ति केंद्र बने यातना केंद्र, दून में दो सेंटर सीज

एसओपी में कहा गया है कि देहरादून जिले में नशा मुक्ति केंद्रों के खिलाफ बार-बार शिकायत आ रही है. जांच करने पर पता चला कि केंद्रों की ओर से मरीजों के साथ अवमानवीय व्यवहार, खान पान और साफ सफाई का उचित ध्यान नहीं देने की शिकायत पाई गई. जिसके फलस्वरूप केंद्र संचालक और मरीजों के साथ टकराव की स्थिति बनी रहती है. जिसके बाद जिलाधिकारी ने एक एसओपी जारी की.

एसओपी में जारी शर्तें-

  • देहरादून जिले के सभी नशामुक्ति केंद्रों का पंजीयन व नवीनीकरण क्लिनिकल इस्टब्लिस्टमेंट एक्ट व मेंटल हेल्थ केयर एक्ट 2017 के तहत किया जाएगा. केंद्र के पंजीकरण के लिए 50 हजार और नवीनीकरण के लिए 25 हजार रुपए सालाना शुल्क जमा करना होगा.
  • पंजीकरण होने के बाद सीएमओ की ओर से गठित एक टीम द्वारा केंद्र की जांच की जाएगी. जारी एसओपी के अनुरूप होने के बाद ही केंद्र को लाइसेंस जारी किया जाएगा.
  • 20 से 25 बेड वाले केंद्र 60 स्क्वायर फीट क्षेत्रफल में होने चाहिए. इससे अधिक वालों में सभी सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए.
  • 20 प्रतिशत बेड जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला प्रशासन और पुलिस की ओर से रेस्क्यू किए गए मरीजों के लिए आरक्षित रखे जाएंगे.
  • प्रति मरीज अधिकतम 10 हजार रुपए महीना से अधिक शुल्क नहीं लिया जाएगा.
  • सभी केंद्रों में फिजिशियन, गायनेकोलॉजिस्ट, मनोचिकित्सक, 20 लोगों के ऊपर एक काउंसलर, मेडिकल स्टाफ, योग ट्रेनर और सुरक्षा गार्ड की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए.
  • जिला अस्पताल में तैनात मनोचिकित्सक की ओर से महीने में मरीजों की जांच की जाएगी.
  • महीने में अपने केंद्र की ऑडियो-वीडियो की रिपोर्ट संबंधित थाने में देनी आवश्यक है.

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जिला अधिकारी की ओर से उनके ऊपर इतने अधिक नियम थोप दिए गए हैं, जिनका पालन करना मुश्किल है. जिसमें 50 हजार रुपए पंजीकरण फीस और 25 हजार रुएए नवीनीकरण फीस देना न्यायसंगत नहीं है. जबकि, केंद्र में 20 हजार रुपए है. सभी केंद्र समाज कल्याण के भीतर आते हैं.

ये भी पढ़ेंः नशा मुक्ति केंद्रों के संचालन को लेकर बनेगी गाइडलाइन, DM ने गठित की कमेटी

केंद्र दवाई, डॉक्टर, स्टाफ, सुरक्षा एवं अन्य खर्चे कहां से वसूल करेगा. जबकि, अधिकतम 10 हजार फीस लेनी है. याचिकार्ताओं का ये भी कहना है 22 नवंबर को उन्होंने एसओपी वापस लेने के लिए जिला अधिकारी को प्रत्यावेदन भी दिया, लेकिन उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई. ऐसे में उन्होंने कोर्ट से एसओपी निरस्त करने या इसमें संशोधन करने की मांग की है.

नैनीतालः देहरादून जिले में संचालित 15 नशा मुक्ति केंद्रों के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले को सुनने के बाद न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने जिलाधिकारी देहरादून की ओर से जारी एसओपी पर फिलहाल रोक लगा दी है. साथ ही याचिकाकर्ताओं के प्रत्यावेदन को 6 हफ्ते के भीतर निस्तारित करने को कहा है.

गौर हो कि जागृति फाउंडेशन, संकल्प नशामुक्ति, मैजिक नर्फ, इनलाइटमेंट फेलोशिप, जीवन संकल्प सेवा समिति, नवीन किरण, इवॉल्व लीव्स, जन सेवा समिति, ज्योति जन कल्याण सेवा, आपका आश्रम, सेंट लुइस रेहाब सोसायटी, एसजी फाउंडेशन, दून सोबर लिविंग सोयायटी रथ टू सेरिनिटी और डॉक्टर दौलत फाउंडेशन ने विभिन्न याचिकाएं दायर कर देहरादून डीएम की 13 नवंबर 2021 को नशा मुक्ति केंद्रों (drug de addiction centers) के संचालन हेतु जारी एसओपी को चुनौती दी है.

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एसओपी में कहा गया है कि देहरादून जिले में नशा मुक्ति केंद्रों के खिलाफ बार-बार शिकायत आ रही है. जांच करने पर पता चला कि केंद्रों की ओर से मरीजों के साथ अवमानवीय व्यवहार, खान पान और साफ सफाई का उचित ध्यान नहीं देने की शिकायत पाई गई. जिसके फलस्वरूप केंद्र संचालक और मरीजों के साथ टकराव की स्थिति बनी रहती है. जिसके बाद जिलाधिकारी ने एक एसओपी जारी की.

एसओपी में जारी शर्तें-

  • देहरादून जिले के सभी नशामुक्ति केंद्रों का पंजीयन व नवीनीकरण क्लिनिकल इस्टब्लिस्टमेंट एक्ट व मेंटल हेल्थ केयर एक्ट 2017 के तहत किया जाएगा. केंद्र के पंजीकरण के लिए 50 हजार और नवीनीकरण के लिए 25 हजार रुपए सालाना शुल्क जमा करना होगा.
  • पंजीकरण होने के बाद सीएमओ की ओर से गठित एक टीम द्वारा केंद्र की जांच की जाएगी. जारी एसओपी के अनुरूप होने के बाद ही केंद्र को लाइसेंस जारी किया जाएगा.
  • 20 से 25 बेड वाले केंद्र 60 स्क्वायर फीट क्षेत्रफल में होने चाहिए. इससे अधिक वालों में सभी सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए.
  • 20 प्रतिशत बेड जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला प्रशासन और पुलिस की ओर से रेस्क्यू किए गए मरीजों के लिए आरक्षित रखे जाएंगे.
  • प्रति मरीज अधिकतम 10 हजार रुपए महीना से अधिक शुल्क नहीं लिया जाएगा.
  • सभी केंद्रों में फिजिशियन, गायनेकोलॉजिस्ट, मनोचिकित्सक, 20 लोगों के ऊपर एक काउंसलर, मेडिकल स्टाफ, योग ट्रेनर और सुरक्षा गार्ड की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए.
  • जिला अस्पताल में तैनात मनोचिकित्सक की ओर से महीने में मरीजों की जांच की जाएगी.
  • महीने में अपने केंद्र की ऑडियो-वीडियो की रिपोर्ट संबंधित थाने में देनी आवश्यक है.

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जिला अधिकारी की ओर से उनके ऊपर इतने अधिक नियम थोप दिए गए हैं, जिनका पालन करना मुश्किल है. जिसमें 50 हजार रुपए पंजीकरण फीस और 25 हजार रुएए नवीनीकरण फीस देना न्यायसंगत नहीं है. जबकि, केंद्र में 20 हजार रुपए है. सभी केंद्र समाज कल्याण के भीतर आते हैं.

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केंद्र दवाई, डॉक्टर, स्टाफ, सुरक्षा एवं अन्य खर्चे कहां से वसूल करेगा. जबकि, अधिकतम 10 हजार फीस लेनी है. याचिकार्ताओं का ये भी कहना है 22 नवंबर को उन्होंने एसओपी वापस लेने के लिए जिला अधिकारी को प्रत्यावेदन भी दिया, लेकिन उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई. ऐसे में उन्होंने कोर्ट से एसओपी निरस्त करने या इसमें संशोधन करने की मांग की है.

Last Updated : Dec 13, 2021, 4:52 PM IST
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