नैनीताल: उत्तराखंड हाइकोर्ट ने रामनगर मनराल स्टोन क्रशर के अवैध रूप से संचालित होने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की. मामले में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने अंतरिम आदेश को आगे बढ़ाते क्रशर संचालन पर रोक लगा दी है. मामले में अगली सुनवाई 13 अप्रैल को होगी.
पूर्व में कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि क्या प्रदेश में स्टोन क्रशर लगाने की अनुमति देने से पूर्व साइलेंट जोन, इंडस्ट्रियल जोन और रेजिडेंशियल जोन का निर्धारण किया गया था या नहीं? पूर्व में सुनवाई के दौरान याचिकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को अवगत कराया था कि राज्य को बने हुए 21 साल हो गए, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कौन सा क्षेत्र रेजिडेंशियल है, कौन सा इंडस्ट्रियल और कौन सा क्षेत्र साइलेंट जोन.
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जहां मर्जी हो वहां स्टोन क्रशर खोले जाने के अनुमति दी जा रही है. जबकि हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि न्यायालय के आदेश के बिना स्टोन क्रशर लगाने की अनुमति नहीं दी जायेगी. उसके बाद भी पीसीबी व सरकार ने पुरानी तिथि से इसे लगाने की अनुमति दे दी. यह स्टोन क्रशर आबादी क्षेत्र में लगाया गया है.
रामनगर निवासी आनंद सिंह नेगी ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि कॉर्बेट नेशनल पार्क के समीप सक्खनपुर में मनराल स्टोन क्रशर अवैध रूप से चल रहा है. स्टोन क्रशर के पास पीसीबी का लाइसेंस नहीं है. याचिकर्ता का कहना है कि उत्तराखंड में अभी तक राज्य सरकार द्वारा साइलेंट जोन, इंडस्ट्रियल जोन और रेजिडेंशियल जोन का निर्धारण नहीं किया गया है. बावजूद इसके किसी भी जगह स्टोन क्रशर लगाने की अनुमति दे दी जाती है. लिहाजा इन स्टोन क्रशरों को बंद किया जाए.