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नैनीताल हाईकोर्ट ने शराब नीति पर राज्य सरकार से मांगा जवाब

नैनीताल हाईकोर्ट ने एक बार फिर से राज्य सरकार को अपना जवाब शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं. बता दें कि प्रदेश में शराब की दुकानों को बंद करने के लिए बागेश्वर के गरुड़ निवासी अधिवक्ता डीके जोशी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी.

nainital highcourt on liquor policy
शराब नीति मामले में नैनीताल हाईकोर्ट.
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Published : Nov 6, 2020, 11:23 AM IST

नैनीताल: उत्तराखंड में मद्य निषेध नीति लागू करने व दुकानों में आईपी एड्रेस युक्त सीसीटीवी कैमरे लगाने के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने एक बार फिर से राज्य सरकार को अपना जवाब शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

शराब नीति मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा.

आपको बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट ने पूर्व में उत्तराखंड को शराब मुक्त बनाने के लिए राज्य सरकार को 6 महीने के भीतर शराब नीति बनाने के आदेश दिए थे. साथ ही मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने प्रदेश की सभी शराब की दुकानों और बाजारों में आईपी युक्त सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश दिए थे. कोर्ट ने 21 साल से कम उम्र के लोगों को शराब ना देने के आदेश भी जारी किए थे. वहीं कोर्ट ने टिप्पणी में कहा था कि आबकारी नीति के तहत शराब का प्रयोग कम करने का प्रावधान है, लेकिन राज्य सरकार उत्तराखंड में नई-नई शराब की दुकानें खोल रही है जो दुर्भाग्यपूर्ण है.

यह भी पढे़ं-IAS मनीषा पंवार से वापस लिया गया उद्योग, DM रुद्रप्रयाग को शासन में अटैच किया गया

प्रदेश में शराब की दुकानों को बंद करने के लिए बागेश्वर के गरुड़ निवासी अधिवक्ता डीके जोशी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. उन्होंने कहा था कि शराब के बढ़ रहे प्रचलन से लोगों की मौत समेत शराब से हो रही बीमारी को देखकर उन्होंने जनहित याचिका दायर की है. याचिका में उन्होंने कहा कि प्रदेश में आबकारी अधिनियम 1910 लागू है. जिसका सरकार द्वारा पालन नहीं किया जा रहा है. जगह-जगह सार्वजनिक स्थानों, स्कूलों, मंदिरों के आसपास शराब की दुकानें खोली जा रही हैं.

उन्होंने कहा कि शराब की वजह से पहाड़ी क्षेत्रों में दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं. कई परिवार बर्बाद हो गए हैं. लिहाजा शराब पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया जाए. याचिकाकर्ता ने शराब से मिले राजस्व को समाज के कल्याण में लगाने की भी मांग की थी.

नैनीताल: उत्तराखंड में मद्य निषेध नीति लागू करने व दुकानों में आईपी एड्रेस युक्त सीसीटीवी कैमरे लगाने के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने एक बार फिर से राज्य सरकार को अपना जवाब शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

शराब नीति मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा.

आपको बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट ने पूर्व में उत्तराखंड को शराब मुक्त बनाने के लिए राज्य सरकार को 6 महीने के भीतर शराब नीति बनाने के आदेश दिए थे. साथ ही मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने प्रदेश की सभी शराब की दुकानों और बाजारों में आईपी युक्त सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश दिए थे. कोर्ट ने 21 साल से कम उम्र के लोगों को शराब ना देने के आदेश भी जारी किए थे. वहीं कोर्ट ने टिप्पणी में कहा था कि आबकारी नीति के तहत शराब का प्रयोग कम करने का प्रावधान है, लेकिन राज्य सरकार उत्तराखंड में नई-नई शराब की दुकानें खोल रही है जो दुर्भाग्यपूर्ण है.

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प्रदेश में शराब की दुकानों को बंद करने के लिए बागेश्वर के गरुड़ निवासी अधिवक्ता डीके जोशी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. उन्होंने कहा था कि शराब के बढ़ रहे प्रचलन से लोगों की मौत समेत शराब से हो रही बीमारी को देखकर उन्होंने जनहित याचिका दायर की है. याचिका में उन्होंने कहा कि प्रदेश में आबकारी अधिनियम 1910 लागू है. जिसका सरकार द्वारा पालन नहीं किया जा रहा है. जगह-जगह सार्वजनिक स्थानों, स्कूलों, मंदिरों के आसपास शराब की दुकानें खोली जा रही हैं.

उन्होंने कहा कि शराब की वजह से पहाड़ी क्षेत्रों में दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं. कई परिवार बर्बाद हो गए हैं. लिहाजा शराब पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया जाए. याचिकाकर्ता ने शराब से मिले राजस्व को समाज के कल्याण में लगाने की भी मांग की थी.

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