ETV Bharat / state

घाटे में सरकार, खनन माफिया की 'चांदी'

प्रदेश सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व की आबकारी विभाग और खनन के जरिए मिलता है. ऐसे में पहले से वित्तीय संकट से जूझ रहे प्रदेश का इस बार बड़ा नुकसान होता देखा जा सकता है. नैनीताल जिले में खनन से अभी तक राजस्व की प्राप्ति 57 करोड़ ही हो पाया है.

author img

By

Published : Feb 12, 2020, 1:11 PM IST

Updated : Feb 12, 2020, 3:06 PM IST

Haldwani
घाटे में सरकार मुनाफे में खनन माफिया

हल्द्वानी: पहले से वित्तीय संकट से जूझ रहा प्रदेश सरकार का सबसे बड़ा राजस्व का स्रोत खनन है, लेकिन इस बार सरकार द्वारा खनन रॉयल्टी मूल्य अधिक किए जाने और नदियों में उप खनिज कमाने के चलते सरकार को खनन से मिलने वाले राजस्व में काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है. नैनीताल में इस वित्तीय वर्ष में 200 करोड़ के लक्ष्य के सापेक्ष में खनन विभाग अभी तक मात्र 57 करोड़ ही राजस्व जुटा पाया है.

प्रदेश सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व खनन और आबकारी विभाग देता है, लेकिन इस बार आबकारी विभाग के साथ-साथ खनन विभाग भी राजस्व देने में काफी पीछे है. जिसके चलते इस बार सरकार को वित्तीय संकट से जूझना पड़ सकता है. बात नैनीताल की करें तो पिछले साल जहां सात नदियों और 24 खनन पट्टों से सरकार को करीब डेढ़ सौ करोड़ से अधिक राजस्व की प्राप्ति हुई थी, लेकिन इस बार 200 करोड़ के लक्ष्य के सापेक्ष में खनन विभाग ने चार नदियों और चार खनन पट्टों से दिसंबर माह तक मात्र 57 करोड़ ही राजस्व जुटा पाया है.

घाटे में सरकार, खनन माफिया की 'चांदी'

ये भी पढ़ें: नैनीताल HC ने सरकार को दिया महाराष्ट्र के राज्यपाल कोश्यारी समेत 5 पूर्व मुख्यमंत्रियों को नोटिस जारी करने का आदेश

बताया जा रहा है कि रॉयल्टी अधिक और नदियों में उप खनिज कम आने के चलते तीन नदियों और करीब 20 खनन पट्टों से खनिज की निकासी नहीं हो पा रही है. वहीं, मार्च महीने में वित्तीय वर्ष समाप्त हो रहा है लेकिन, खनन विभाग राजस्व लक्ष्य पूरा करने में काफी पीछे हैं. जिसके चलते इस सत्र में सरकार को खनन से राजस्व का काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

हल्द्वानी: पहले से वित्तीय संकट से जूझ रहा प्रदेश सरकार का सबसे बड़ा राजस्व का स्रोत खनन है, लेकिन इस बार सरकार द्वारा खनन रॉयल्टी मूल्य अधिक किए जाने और नदियों में उप खनिज कमाने के चलते सरकार को खनन से मिलने वाले राजस्व में काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है. नैनीताल में इस वित्तीय वर्ष में 200 करोड़ के लक्ष्य के सापेक्ष में खनन विभाग अभी तक मात्र 57 करोड़ ही राजस्व जुटा पाया है.

प्रदेश सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व खनन और आबकारी विभाग देता है, लेकिन इस बार आबकारी विभाग के साथ-साथ खनन विभाग भी राजस्व देने में काफी पीछे है. जिसके चलते इस बार सरकार को वित्तीय संकट से जूझना पड़ सकता है. बात नैनीताल की करें तो पिछले साल जहां सात नदियों और 24 खनन पट्टों से सरकार को करीब डेढ़ सौ करोड़ से अधिक राजस्व की प्राप्ति हुई थी, लेकिन इस बार 200 करोड़ के लक्ष्य के सापेक्ष में खनन विभाग ने चार नदियों और चार खनन पट्टों से दिसंबर माह तक मात्र 57 करोड़ ही राजस्व जुटा पाया है.

घाटे में सरकार, खनन माफिया की 'चांदी'

ये भी पढ़ें: नैनीताल HC ने सरकार को दिया महाराष्ट्र के राज्यपाल कोश्यारी समेत 5 पूर्व मुख्यमंत्रियों को नोटिस जारी करने का आदेश

बताया जा रहा है कि रॉयल्टी अधिक और नदियों में उप खनिज कम आने के चलते तीन नदियों और करीब 20 खनन पट्टों से खनिज की निकासी नहीं हो पा रही है. वहीं, मार्च महीने में वित्तीय वर्ष समाप्त हो रहा है लेकिन, खनन विभाग राजस्व लक्ष्य पूरा करने में काफी पीछे हैं. जिसके चलते इस सत्र में सरकार को खनन से राजस्व का काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

Last Updated : Feb 12, 2020, 3:06 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.