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विराटपट्टन मंदिर का पौराणिक महत्व, यहां अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने ली थी शरण

रामनगर में ढिकुली के पास कॉर्बेट पार्क के घने जंगल में विराटपट्टन शिवालय स्थित है. ऐसी की मान्यता है कि पांडवो ने अज्ञातवास का अंतिम साल इस मंदिर में गुजारा था.

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महाभारत काल का प्राचीन विराटपट्टन मंदिर
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Published : Feb 21, 2020, 2:44 PM IST

रामनगर: ढिकुली के पास कॉर्बेट पार्क के बफर जोन के घने जंगल में विराटपट्टन शिवालय स्थित है. इस मंदिर को पुरातत्व विभाग ने संरक्षित स्मारक घोषित किया है. ऐसी मान्यता है कि पांडव अपने अज्ञातवास का अंतिम साल गुजारने के लिए राजा विराट के राज्य ढिकुली पहुंचे थे. तब उन्होंने इस मंदिर की स्थापना की थी.

महाभारत काल का प्राचीन विराटपट्टन मंदिर

आज भी इस मंदिर के बारे में बेहद कम लोगों को ही जानकारी है. हालांकि जिन लोगों को इस मंदिर का पता है, यहां शिवरात्रि और सावन के महीने में भोलेनाथ के दर्शन करने लोग इस मंदिर में पहुंचते हैं.

आपको बता दें, घने जंगल के बीच स्थित इस मंदिर को पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है. सन 1995 से पहले मंदिर अपने पूर्व रूप में था. लेकिन मंदिर के जीर्ण-शीर्ण होने के चलते सन 1995 में इस मंदिर का पुन: निर्माण कराया गया. परन्तु आज भी यहां शिवलिंग अपने पुराने स्वरुप में ही स्थित है.

ये भी पढ़ें: सरोवर नगरी नैनीताल में फिर शुरू हुई बर्फबारी, इलाके में बढ़ी ठंड

वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां स्थापित शिवलिंग की खास बात ये है कि इसे एक शिला को काट कर बनाया गया है. मंदिर के नवनिर्माण के समय यहां नक्काशी किए हुए कई पत्थर मिले थे. जिसके कुछ अवशेष आज भी मंदिर में मौजूद हैं.

रामनगर: ढिकुली के पास कॉर्बेट पार्क के बफर जोन के घने जंगल में विराटपट्टन शिवालय स्थित है. इस मंदिर को पुरातत्व विभाग ने संरक्षित स्मारक घोषित किया है. ऐसी मान्यता है कि पांडव अपने अज्ञातवास का अंतिम साल गुजारने के लिए राजा विराट के राज्य ढिकुली पहुंचे थे. तब उन्होंने इस मंदिर की स्थापना की थी.

महाभारत काल का प्राचीन विराटपट्टन मंदिर

आज भी इस मंदिर के बारे में बेहद कम लोगों को ही जानकारी है. हालांकि जिन लोगों को इस मंदिर का पता है, यहां शिवरात्रि और सावन के महीने में भोलेनाथ के दर्शन करने लोग इस मंदिर में पहुंचते हैं.

आपको बता दें, घने जंगल के बीच स्थित इस मंदिर को पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है. सन 1995 से पहले मंदिर अपने पूर्व रूप में था. लेकिन मंदिर के जीर्ण-शीर्ण होने के चलते सन 1995 में इस मंदिर का पुन: निर्माण कराया गया. परन्तु आज भी यहां शिवलिंग अपने पुराने स्वरुप में ही स्थित है.

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वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां स्थापित शिवलिंग की खास बात ये है कि इसे एक शिला को काट कर बनाया गया है. मंदिर के नवनिर्माण के समय यहां नक्काशी किए हुए कई पत्थर मिले थे. जिसके कुछ अवशेष आज भी मंदिर में मौजूद हैं.

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