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मोहर्रमः ताजिया निकालकर किया इमाम हुसैन को याद, कहा- इस्लाम में नहीं दहशतगर्दों के लिए जगह

देहरादून और हल्द्वानी में मोहर्रम के मौके पर ताजिए निकाले गए. जिसमें भारी संख्या में मुस्लिम समुदाय की महिलाएं और पुरुषों ने भाग लिया. इस दौरान ढोल नगाड़े पर नौजवानों ने अपने करतब दिखाए और इमाम हुसैन की शहादत को याद किया.

muharram
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Published : Sep 10, 2019, 10:57 PM IST

Updated : Sep 10, 2019, 11:43 PM IST

देहरादून/हल्द्वानीः उत्तराखंड में विभिन्न जगहों पर मोहर्रम यानी कर्बला की जंग इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए शिया समुदाय के लोगों ने ताजिया निकाला. इस दौरान जुलूस निकालकर इमाम हुसैन और उसके साथियों की शहादत के गम को इजहार किया गया. जिसमें बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भाग लिया. वहीं, कार्यक्रम में लोगों ने पारंपरिक तरीके से लाठियां और हथियारों के साथ करतब भी दिखाए.

उत्तराखंड में मोहर्रम पर निकाली गई ताजिया.

देहरादूनः शिया समुदाय के लोगों ने निकाला ताजियों का जुलूस
मोहर्रम का जुलूस इमामबाड़ा करनपुर, ईसी रोड से मातम करता हुआ आरंभ हुआ. जिसमें ताजिया आलम और जुलजनाह (घोड़ा) निकालते हुए सर्वे चौक, परेड ग्राउंड, दर्शन लाल चौक, तहसील चौक से होता हुआ इमामबाड़ा नया नगर गांधी रोड पर संपन्न हुआ.

जिसमें शिया समुदाय के लोगों ने ताजियों का जुलूस निकालकर इमाम हुसैन और उसके साथियों की शहादत को याद किया. इस दौरान अजारदार अपनी छातियों को पीटते हुए जुलूस में आगे बढ़ते जा रहे. वहीं, इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत के गम में नोहे पढ़ रहे थे.

सैयद हसन जैदी ने कहा कि इस्लाम मजहब और अमन का पैगाम देता आया है. इस्लाम में दहशत गर्दी के लिए कोई जगह नहीं है, कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन ने जो आंतक के खिलाफ लड़ने का एक सबक दिया था, हमें उस पर चलना चाहिए.

उन्होंने सीरिया, बगदाद का जिक्र करते हुए कहा कि वहां आईएसआईएसआई ने बेगुनाहों का कत्ल किया, लेकिन सभी धर्मों के लोगों ने आगे बढ़कर आईएसआईएसआई का खात्मा कर दिया. क्योंकि, इस्लाम में आतंकवाद के लिए कोई जगह नहीं है.

ये भी पढ़ेंः चीन की तर्ज पर भारत की नदियों का हो संरक्षण, ITBP के डीआईजी ने बताई 'ड्रैगन' की प्लानिंग

हल्द्वानीः महिलाओं और पुरुषों ने लिया हिस्सा
हल्द्वानी और लालकुआं के सभी मोहल्ले के इमाम चौकों से मोहर्रम के ताजिए निकाले गए. जिसमें भारी संख्या में मुस्लिम समुदाय की महिलाएं और पुरुषों ने भाग लिया. इस दौरान ढोल नगाड़े पर नौजवानों ने अपने करतब दिखाए और इमाम हुसैन की शहादत को याद किया.

मोहर्रम के ताजिए के जुलूस के दौरान सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद देखने को मिली. ताजी के दौरान किसी तरह की कोई अप्रिय घटना ना हो और जुलूस के दौरान शांति व्यवस्था बनी रहे. इसे लेकर जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद रहा.

देहरादून/हल्द्वानीः उत्तराखंड में विभिन्न जगहों पर मोहर्रम यानी कर्बला की जंग इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए शिया समुदाय के लोगों ने ताजिया निकाला. इस दौरान जुलूस निकालकर इमाम हुसैन और उसके साथियों की शहादत के गम को इजहार किया गया. जिसमें बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भाग लिया. वहीं, कार्यक्रम में लोगों ने पारंपरिक तरीके से लाठियां और हथियारों के साथ करतब भी दिखाए.

उत्तराखंड में मोहर्रम पर निकाली गई ताजिया.

देहरादूनः शिया समुदाय के लोगों ने निकाला ताजियों का जुलूस
मोहर्रम का जुलूस इमामबाड़ा करनपुर, ईसी रोड से मातम करता हुआ आरंभ हुआ. जिसमें ताजिया आलम और जुलजनाह (घोड़ा) निकालते हुए सर्वे चौक, परेड ग्राउंड, दर्शन लाल चौक, तहसील चौक से होता हुआ इमामबाड़ा नया नगर गांधी रोड पर संपन्न हुआ.

जिसमें शिया समुदाय के लोगों ने ताजियों का जुलूस निकालकर इमाम हुसैन और उसके साथियों की शहादत को याद किया. इस दौरान अजारदार अपनी छातियों को पीटते हुए जुलूस में आगे बढ़ते जा रहे. वहीं, इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत के गम में नोहे पढ़ रहे थे.

सैयद हसन जैदी ने कहा कि इस्लाम मजहब और अमन का पैगाम देता आया है. इस्लाम में दहशत गर्दी के लिए कोई जगह नहीं है, कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन ने जो आंतक के खिलाफ लड़ने का एक सबक दिया था, हमें उस पर चलना चाहिए.

उन्होंने सीरिया, बगदाद का जिक्र करते हुए कहा कि वहां आईएसआईएसआई ने बेगुनाहों का कत्ल किया, लेकिन सभी धर्मों के लोगों ने आगे बढ़कर आईएसआईएसआई का खात्मा कर दिया. क्योंकि, इस्लाम में आतंकवाद के लिए कोई जगह नहीं है.

ये भी पढ़ेंः चीन की तर्ज पर भारत की नदियों का हो संरक्षण, ITBP के डीआईजी ने बताई 'ड्रैगन' की प्लानिंग

हल्द्वानीः महिलाओं और पुरुषों ने लिया हिस्सा
हल्द्वानी और लालकुआं के सभी मोहल्ले के इमाम चौकों से मोहर्रम के ताजिए निकाले गए. जिसमें भारी संख्या में मुस्लिम समुदाय की महिलाएं और पुरुषों ने भाग लिया. इस दौरान ढोल नगाड़े पर नौजवानों ने अपने करतब दिखाए और इमाम हुसैन की शहादत को याद किया.

मोहर्रम के ताजिए के जुलूस के दौरान सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद देखने को मिली. ताजी के दौरान किसी तरह की कोई अप्रिय घटना ना हो और जुलूस के दौरान शांति व्यवस्था बनी रहे. इसे लेकर जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद रहा.

Intro:sammry- इमाम हुसैन की शहादत पर निकाली गई मोहर्रम की ताजिया बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने लियाभाग।

एंकर- मोहर्रम यानी कर्बला की जंग इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए आज ताजिया निकाला गया। हल्द्वानी सहित लालकुआं में मोहर्रम का ताजिया निकाला गया जिसमें भारी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भाग लिया इस दौरान बच्चों ने या हुसैन या हसन के नारे लगाए और पारंपरिक तरीके से लाठियां के साथ साथ हथियारों से भी कर्तव्य दिखाएं।



Body:हल्द्वानी और लाल कुआं के सभी मोहल्ले के इमाम चौकों से मोहर्रम के ताजिए निकाले गए जिसमें भारी संख्या में मुस्लिम समुदाय के महिलाएं और पुरुष ने भाग किया। इस दौरान ढोल नगाड़े पर नौजवानों ने अपने कर्तव्य दिखाएं और इमाम हुसैन की शहादत को याद किया।
मुस्लिम समुदाय के लोग गम के रूप में मोहर्रम को मनाते हैं इस दिन इमाम हुसैन और उनके 72 अनुयायियों की शहादत को याद किया जाता है।


Conclusion:मोहर्रम के ताजिए के जुलूस के दौरान भारी सुरक्षा व्यवस्था देखने को मिली । ताजी के दौरान किसी तरह की कोई अप्रिय घटना ना हो और जुलूस के दौरान शांति व्यवस्था बनी रहे इसको लेकर जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन लगातार निगरानी कर रहा है।
Last Updated : Sep 10, 2019, 11:43 PM IST
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