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अब जंगल में मोबाइल ऐप से गश्ती दल पर रहेगी नजर, वन्यजीवों की गतिविधियां का भी चलेगा पता

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Published : Dec 5, 2019, 12:11 PM IST

नंधौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी सेंसेटिव जोन में गश्ती दलों की मॉनिटरिंग अब मोबाइल ऐप के जरिए होगी. वहीं वन्यजीवों की पूरी सूचना ऐप में लगे जीपीएस के माध्यम से पता चल जाएगी.

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वन क्षेत्रों

हल्द्वानीः वन विभाग शिकारियों पर नकेल कसने के लिए लगातार प्रयासरत है. हल्द्वानी डिवीजन के नंधौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी सहित पांच वन रेंजों में वाइल्ड लाइफ और वनों की सुरक्षा में लगे गश्ती दलों की मॉनिटरिंग अब मोबाइल ऐप के जरिए की जा रही है. ऐसा पहली बार हो रहा है, जब विभाग सभी रेंजर और वन कर्मियों को पेट्रोलिंग ऐप डाउनलोड करा रहा है. यही नहीं ऐप के माध्यम से वन्यजीवों की गतिविधियों पर भी निगरानी रहेगी.

प्रभागीय वन अधिकारी कुंदन कुमार ने बताया कि नंधौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी सेंसेटिव जोन माना जाता है. ऐसे में वहां के वन्यजीवों और वनों की सुरक्षा के लिए विभाग गंभीर है. जिसके मद्देनजर विभाग ने मोबाइल ऐप तैयार किया है. ऐप के माध्यम से वनों की सुरक्षा में लगे सभी रेंज के अधिकारियों के साथ-साथ फील्ड कर्मियों को जोड़ा गया है. जिसके माध्यम से वनों में की जाने वाली गश्त की निगरानी ऐप के माध्यम से की जा रही है.

मोबाइल ऐप से गश्ती दल पर रहेगी नजर.

उन्होंने बताया कि गश्त में लगे फील्ड कर्मी रोजाना कितनी गश्त करते हैं और किन क्षेत्रों में गश्त कर रहे हैं, इसका पूरा डाटा ऐप के माध्यम से उपलब्ध होगा. यही नहीं जिस क्षेत्र से वन कर्मी गुजरेगा उस क्षेत्र के वन जीवों की सक्रियता और वन जीवों की पूरी सूचना ऐप में लगे जीपीएस के माध्यम से पता चल जाएगी.

यह भी पढ़ेंः विधानसभा में उठा आपदा का मुद्दा, पीड़ितों को 10 लाख मुआवजा देने की मांग

कुंदन कुमार ने बताया कि पेट्रोलिंग ऐप से गश्त का पूरा रिकॉर्ड विभाग के पास रहेगा. यही नहीं ऐप के माध्यम से यह भी पता चलेगा कि गश्त करने वाला वन कर्मी हथियार से लैस है या निहत्था गश्त कर रहा है. ऐप के माध्यम से जंगल में घुसपैठ करने वाले शिकारियों पर भी नजर रखी जाएगी.

हल्द्वानीः वन विभाग शिकारियों पर नकेल कसने के लिए लगातार प्रयासरत है. हल्द्वानी डिवीजन के नंधौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी सहित पांच वन रेंजों में वाइल्ड लाइफ और वनों की सुरक्षा में लगे गश्ती दलों की मॉनिटरिंग अब मोबाइल ऐप के जरिए की जा रही है. ऐसा पहली बार हो रहा है, जब विभाग सभी रेंजर और वन कर्मियों को पेट्रोलिंग ऐप डाउनलोड करा रहा है. यही नहीं ऐप के माध्यम से वन्यजीवों की गतिविधियों पर भी निगरानी रहेगी.

प्रभागीय वन अधिकारी कुंदन कुमार ने बताया कि नंधौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी सेंसेटिव जोन माना जाता है. ऐसे में वहां के वन्यजीवों और वनों की सुरक्षा के लिए विभाग गंभीर है. जिसके मद्देनजर विभाग ने मोबाइल ऐप तैयार किया है. ऐप के माध्यम से वनों की सुरक्षा में लगे सभी रेंज के अधिकारियों के साथ-साथ फील्ड कर्मियों को जोड़ा गया है. जिसके माध्यम से वनों में की जाने वाली गश्त की निगरानी ऐप के माध्यम से की जा रही है.

मोबाइल ऐप से गश्ती दल पर रहेगी नजर.

उन्होंने बताया कि गश्त में लगे फील्ड कर्मी रोजाना कितनी गश्त करते हैं और किन क्षेत्रों में गश्त कर रहे हैं, इसका पूरा डाटा ऐप के माध्यम से उपलब्ध होगा. यही नहीं जिस क्षेत्र से वन कर्मी गुजरेगा उस क्षेत्र के वन जीवों की सक्रियता और वन जीवों की पूरी सूचना ऐप में लगे जीपीएस के माध्यम से पता चल जाएगी.

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कुंदन कुमार ने बताया कि पेट्रोलिंग ऐप से गश्त का पूरा रिकॉर्ड विभाग के पास रहेगा. यही नहीं ऐप के माध्यम से यह भी पता चलेगा कि गश्त करने वाला वन कर्मी हथियार से लैस है या निहत्था गश्त कर रहा है. ऐप के माध्यम से जंगल में घुसपैठ करने वाले शिकारियों पर भी नजर रखी जाएगी.

Intro:sammry- नंधौर वाइल्डलाइफ सेंचुरी में वन्य औऱ वन्यजीवों की सुरक्षा की मॉनिटरिंग मोबाइल ऐप्स की जाएगी गस्ती।

एंकर- वन विभाग के हल्द्वानी डिवीजन के नंधौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी सहित पांच वन रंजो में वाइल्ड लाइफ और वनों की सुरक्षा में लगे गश्ती दलों की मॉनेटरिंग अब मोबाइल ऐप के जरिए की जा रही है। ऐसा पहली बार हो रहा है विभाग सभी रेंजर और वन कर्मियों को पेट्रोलिंग एप डाउन करा रहा है। यही नहीं ऐप के माध्यम से वन्यजीवों की गतिविधियों पर भी निगरानी रहेगी।


Body:प्रभागीय वन अधिकारी कुंदन कुमार ने बताया कि नंधौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी सेंसेटिव जोन माना जाता है ।ऐसे में वहां के वन्यजीवों और वनों की सुरक्षा के लिए विभाग गंभीर है जिसके मद्देनजर विभाग ने मोबाइल ऐप तैयार किया है ऐप के माध्यम से वनों की सुरक्षा में लगे सभी रेंज के अधिकारियों के साथ साथ फील्ड कर्मियों को जोड़ा गया है। जिसके माध्यम से वनों में की जाने वाली गस्त की निगरानी ऐप के माध्यम से रखी जा रही है। उन्होंने बताया कि गस्त में लगे फील्ड कर्मी रोजाना कितना गस्त करता है और किन क्षेत्रों में गश्त कर रहा है इसकी पूरी डाटा एप के माध्यम से उपलब्ध होगा यही नहीं जिस क्षेत्र से वन कर्मी गुजरेगा उस क्षेत्र के वन जीवो की सक्रियता और वन जीवो की मोमेंट की पूरी सूचना ऐप में लगे जीपीएस के माध्यम से पता चल जाएगा।


Conclusion:कुंदन कुमार ने बताया कि पेट्रोलिंग ऐप से गस्त का पूरा रिकॉर्ड विभाग के पास रहेगा। यही नहीं ऐप के माध्यम से यह भी पता चलेगा कि गश्त करने वाला वन कर्मी हथियार से लैस है या निहत्था जंगल का गस्त कर रहा है। यही नहीं ऐप के माध्यम से जंगल में घुसपैठ करने वाले शिकारी पर भी नजर रखी जाएगी।

बाइट- कुंदन कुमार डीएफओ हल्द्वानी वन प्रभाग
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