नैनीताल: लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर देश के गरीब काश्तकार पर पड़ रहा है. नैनीताल के मुक्तेश्वर और ज्योली गांव अपने शहद के व्यवसाय के लिए देशभर में प्रसिद्ध हैं. लॉकडाउन की वजह से ये कारोबार पूरी तरह से चौपट हो चुका है. काश्तकारों को इस साल करीब 80 फीसदी के नुकसान की आशंका है.
नैनीताल जिले के पहाड़ी क्षेत्र में किसानों को उनकी फसल का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है. इसके चलते पहाड़ का काश्तकार काफी परेशान है. वहीं, नैनीताल का ज्योली गांव मौन पालन और शहद के लिए काफी प्रसिद्ध है. इस गांव में बनने वाला शहद देश के विभिन्न हिस्सों में भेजा जाता है और हर साल इस गांव के शहद की विशेष मांग भी होती है.
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वहीं, नैनीताल घूमने आने वाले पर्यटक भी इस शहद को अपने साथ ले जाते हैं. लेकिन, इस साल लॉकडाउन के कारण कोई भी पर्यटक नहीं आ रहा है. इसके चलते मौन पालन करने वाले किसानों की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं.
ज्योली गांव के किसान शेखर चंद्र भट्ट ने बताया कि सर्दियों के मौसम में उनके द्वारा अपनी मधुमक्खियों को परागण के लिए मैदानी क्षेत्र में भेजा जाता है. जहां मधुमक्खियां पराग एकत्र करती हैं. गर्मियों के मौसम में मधुमक्खियों को ज्योली गांव के गोदामों तक लाया जाता है. यहां पर उच्च क्वालिटी का शहद तैयार किया जाता है.
किसानों का कहना है कि इस साल लॉकडाउन के कारण मधुमक्खियां और उनसे निकलने वाला शहद बरेली, बदायूं, रामपुर, मुरादाबाद समेत आसपास के मैदानी क्षेत्रों के खेतों में ही पड़ा हुआ है. इसके कारण मौन पालन करने वाले काश्तकारों को काफी नुकसान हो रहा है.