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लॉकडाउन से लीसा उद्योग चौपट, कारोबारियों पर रोजी-रोटी का संकट

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Published : May 9, 2020, 10:20 AM IST

कुमाऊं के जंगलों में चीड़ के पेड़ से निकलने वाले लीसे का बड़ी मात्रा में कारोबार होता है. लेकिन, लॉकडाउन के चलते जंगलों से निकलने वाले लीसे पर ब्रेक लग गया है. इससे जंगलों में आग लगने का खतरा भी बढ़ गया है.

लॉकडाउन में फंसा लीसा उद्योग
लॉकडाउन में फंसा लीसा उद्योग

हल्द्वानी: उत्तराखंड में कुमाऊं के जंगलों से चीड़ के पेड़ से निकलने वाले लीसे का बड़ी मात्रा में कारोबार होता है. लॉकडाउन के चलते जंगलों से निकलने वाले लीसे पर ब्रेक लग गया है. हर वर्ष मार्च माह से शुरू होने वाली लीसे की निकासी दो महीने बाद भी शुरू नहीं हो पायी है.

ऐसे में लीसा नहीं निकलने के चलते चीड़ के जंगलों में आग लगने का खतरा पैदा हो गया है. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जंगलों से निकलने वाले लीसा की निकासी का टेंडर हो गया है, जल्द काम शुरू हो जाएगा.

बता दें कि, कुमाऊं के जंगलों में चीड़ के पेड़ से हर साल निकलने वाले हजारों क्विंटल लीसे की इस बार टेंडर प्रक्रिया में देरी के चलते निकासी शुरू नहीं हो पाई है. अति ज्वलनशील पदार्थ की निकासी नहीं होने से जंगलों में आग भड़कने की आशंकाएं बनी हुई हैं. जानकारों की मानें तो अगर लीसे के जंगलों में आग भड़कती है तो वन संंपदा के साथ वन्य जीवों को भी काफी नुकसान हो सकता है.

इसके साथ ही कारोबार से जुड़े सैकड़ों लोगों के आगे रोजी-रोटी का संकट भी खड़ा हो जाएगा. लॉकडाउन के चलते हल्द्वानी के दो लीसा डिपो में भारी मात्रा में लीसा रखा गया है, जिसकी बिक्री नहीं हो पा रही है. ऐसे में अगर लीसा डिपो में आग की घटना होती है तो भारी नुकसान होने की आशंका बनी हुई है.

पढ़ें- केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कैलाश मानसरोवर के लिए लिंक रोड का किया उद्घाटन

प्रभागीय वन अधिकारी टीआर बीजू लाल ने बताया कि हनुमान गढ़ी लीसा डिपो में 54,000 क्विंटल और शीशमहल डिपो में 30,000 क्विंटल लीसा डंप पड़ा है. उन्होंने कहा कि जंगलों से लीसा निकासी की टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. केवल वर्क ऑर्डर जारी होना बाकी है. जल्दी लीसे की निकासी और नीलामी का काम शुरू हो जाएगा.

हल्द्वानी: उत्तराखंड में कुमाऊं के जंगलों से चीड़ के पेड़ से निकलने वाले लीसे का बड़ी मात्रा में कारोबार होता है. लॉकडाउन के चलते जंगलों से निकलने वाले लीसे पर ब्रेक लग गया है. हर वर्ष मार्च माह से शुरू होने वाली लीसे की निकासी दो महीने बाद भी शुरू नहीं हो पायी है.

ऐसे में लीसा नहीं निकलने के चलते चीड़ के जंगलों में आग लगने का खतरा पैदा हो गया है. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जंगलों से निकलने वाले लीसा की निकासी का टेंडर हो गया है, जल्द काम शुरू हो जाएगा.

बता दें कि, कुमाऊं के जंगलों में चीड़ के पेड़ से हर साल निकलने वाले हजारों क्विंटल लीसे की इस बार टेंडर प्रक्रिया में देरी के चलते निकासी शुरू नहीं हो पाई है. अति ज्वलनशील पदार्थ की निकासी नहीं होने से जंगलों में आग भड़कने की आशंकाएं बनी हुई हैं. जानकारों की मानें तो अगर लीसे के जंगलों में आग भड़कती है तो वन संंपदा के साथ वन्य जीवों को भी काफी नुकसान हो सकता है.

इसके साथ ही कारोबार से जुड़े सैकड़ों लोगों के आगे रोजी-रोटी का संकट भी खड़ा हो जाएगा. लॉकडाउन के चलते हल्द्वानी के दो लीसा डिपो में भारी मात्रा में लीसा रखा गया है, जिसकी बिक्री नहीं हो पा रही है. ऐसे में अगर लीसा डिपो में आग की घटना होती है तो भारी नुकसान होने की आशंका बनी हुई है.

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प्रभागीय वन अधिकारी टीआर बीजू लाल ने बताया कि हनुमान गढ़ी लीसा डिपो में 54,000 क्विंटल और शीशमहल डिपो में 30,000 क्विंटल लीसा डंप पड़ा है. उन्होंने कहा कि जंगलों से लीसा निकासी की टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. केवल वर्क ऑर्डर जारी होना बाकी है. जल्दी लीसे की निकासी और नीलामी का काम शुरू हो जाएगा.

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