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कालाढूंगी में पौराणिक उत्तरायणी मेले की धूम, लोक कलाकारों की प्रस्तुतियों ने किया मंत्रमुग्ध - लोक गायक ललित मोहन जोशी

कालाढूंगी में इन दिनों उत्तरायणी मेला बड़ी धूम-धाम मनाया जा रहा है. साथ ही इस उत्तरायणी मेले में कुमाऊं के लोक कलाकारों की प्रस्तुतियां लोग को खूब पसंद आ रही है.

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उत्तरायणी मेला
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Published : Jan 14, 2020, 8:00 PM IST


कालाढूंगी: नगर क्षेत्र में इन दिनों उत्तरायणी मेला बड़ी धूम-धाम मनाया जा रहा है. उत्तरायणी मेले में कुमाऊं के लोक कलाकारों की प्रस्तुतियां लोगों का मन मोह रही हैं. वहीं, इस पौराणिक उत्तरायणी मेले में शिरकत करने वाले कलाकारों ने पाश्चात्य सभ्यता के दौर में भी कुमाऊं की संस्कृति को संजोकर रखा है. साथ ही वो आने वाली युवा पढ़ी तक अपनी पौराणिक सभ्यता और संस्कृति को पहुंचने का काम कर रहे हैं.

उत्तरायणी मेला

बात दें कि इन दिनों कालाढुंगी के साथ-साथ कोटाबाग और चकलुवा में पौराणिक उत्तरायणी मेले की धूम देखने को मिल रही है. उत्तरायणी पूर्णिमा पर लगाने वाले इस चार दिवसीय मेले में कुमाऊंनी और गढ़वाली संस्कृति का संगम देखने को मिल रहा है. वहीं, मेले के दूसरे दिन उत्तराखंड की प्रसिद्ध लोक गायक ललित मोहन जोशी, प्रह्लाद मेहरा और हास्य कलाकार जीवन दा और मंगल दा ने कुमाऊंनी और गढ़वाली गीतों पर लोगों को थिरकने को मजबूर कर दिया.

इसके साथ रंगारंग कार्यक्रम में कलाकारों द्वारा छोलिया नृत्य और कुमाऊंनी गीत प्रस्तुत किए गए. जिससे लोगों की पुरानी यादें ताजा हो गई. वहीं, भारी ठंड होने के बाजूद भी लोक संस्कृति से भरपूर प्रस्तुतियों का लुत्फ उठाने के लिए दूर-दराज से मेले में पहुंच रहे हैं.

वहीं, मेले में पहुंचे प्रसिद्ध लोक गायक ललित मोहन जोशी ने सभी को उत्तरायणी, कौथिग और घुघुतिया की बधाई देते हुए कहा कि पहाड़ी भाषा को जीवित रखने के लिए इस तरह के आयोजनों की जरूरत है और युवाओं को अपनी संस्कृति बचाने के लिए आगे आना चाहिए.

ये भी पढ़ें: खुशियों की सवारी के पहिए कई महीनों से ठप, लोग परेशान

इस मेले में मुख्य अतिथि के रूप पहुंचे विकास खण्ड कोटाबाग के ब्लॉक प्रमुख रवि कन्याल ने बताया कि उत्तरायणी मेला एक पौराणिक मेला है. जो हमारी सांस्कृतिक पहचान है और इसके माध्यम से हम अपनी संस्कृति को युवा पीढ़ी तक पहुंचा रहे हैं.


कालाढूंगी: नगर क्षेत्र में इन दिनों उत्तरायणी मेला बड़ी धूम-धाम मनाया जा रहा है. उत्तरायणी मेले में कुमाऊं के लोक कलाकारों की प्रस्तुतियां लोगों का मन मोह रही हैं. वहीं, इस पौराणिक उत्तरायणी मेले में शिरकत करने वाले कलाकारों ने पाश्चात्य सभ्यता के दौर में भी कुमाऊं की संस्कृति को संजोकर रखा है. साथ ही वो आने वाली युवा पढ़ी तक अपनी पौराणिक सभ्यता और संस्कृति को पहुंचने का काम कर रहे हैं.

उत्तरायणी मेला

बात दें कि इन दिनों कालाढुंगी के साथ-साथ कोटाबाग और चकलुवा में पौराणिक उत्तरायणी मेले की धूम देखने को मिल रही है. उत्तरायणी पूर्णिमा पर लगाने वाले इस चार दिवसीय मेले में कुमाऊंनी और गढ़वाली संस्कृति का संगम देखने को मिल रहा है. वहीं, मेले के दूसरे दिन उत्तराखंड की प्रसिद्ध लोक गायक ललित मोहन जोशी, प्रह्लाद मेहरा और हास्य कलाकार जीवन दा और मंगल दा ने कुमाऊंनी और गढ़वाली गीतों पर लोगों को थिरकने को मजबूर कर दिया.

इसके साथ रंगारंग कार्यक्रम में कलाकारों द्वारा छोलिया नृत्य और कुमाऊंनी गीत प्रस्तुत किए गए. जिससे लोगों की पुरानी यादें ताजा हो गई. वहीं, भारी ठंड होने के बाजूद भी लोक संस्कृति से भरपूर प्रस्तुतियों का लुत्फ उठाने के लिए दूर-दराज से मेले में पहुंच रहे हैं.

वहीं, मेले में पहुंचे प्रसिद्ध लोक गायक ललित मोहन जोशी ने सभी को उत्तरायणी, कौथिग और घुघुतिया की बधाई देते हुए कहा कि पहाड़ी भाषा को जीवित रखने के लिए इस तरह के आयोजनों की जरूरत है और युवाओं को अपनी संस्कृति बचाने के लिए आगे आना चाहिए.

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इस मेले में मुख्य अतिथि के रूप पहुंचे विकास खण्ड कोटाबाग के ब्लॉक प्रमुख रवि कन्याल ने बताया कि उत्तरायणी मेला एक पौराणिक मेला है. जो हमारी सांस्कृतिक पहचान है और इसके माध्यम से हम अपनी संस्कृति को युवा पीढ़ी तक पहुंचा रहे हैं.

Intro:कालाढुंगी मैं इन दिनों उत्तरायणी मेले की धूम मची है। कालाढुंगी, कोटाबाग और चकलुवा मैं उत्तरायणी मेले का आयोजन चल रहा है। उत्तरायणी मेले मैं कुमाऊँ के लोक कलाकारों की प्रस्तुति लोगो का मन मोह रही है और साथ ही लोगो को नाचने गाने पर मजबूर कर रही है। पौराणिक उत्तरायणी मेले मैं शिरकत करने वाले कलाकारों पर पश्च्यात सभ्यता के दौर मैं कुमाऊँ की संस्कृति को संजोकर रखने और युवा पीढ़ी तक उत्तराखंड की सभ्यता को पहुचाने की जिम्मेदारी है।Body:कालाढुंगी और चकलुवा में पौराणिक उत्तरायणी मेले की धूम देखने को मिल रही है. चार दिवसीय मेले में कुमाऊंनी और गढ़वाली संस्कृति का संगम देखने को मिल रहा है. मेले के दूसरे दिन उत्तराखंड की प्रसिद्ध लोक गायक ललित मोहन जोशी, प्रह्लाद मेहरा और हास्य कलाकार जीवन दा और मंगल दा ने कुमाऊंनी और गढ़वाली गीत गाकर लोगों को थिरकने को मजबूर कर दिया.
रंगारंग कार्यक्रम में कलाकारों द्वारा पहाड़ की छोलिया नृत्य और कुमाऊंनी गीत पहाड़ की पुरानी यादें ताजा कर दे रहा है. भारी ठंड के बीच लोग उत्तराखंड की लोक संस्कृति से भरपूर प्रस्तुति को देखने के लिए दूर-दूर से उत्तरायणी मेले में लोग पहुंच रहे हैं.
प्रसिद्ध लोक गायक ललित मोहन जोशी ने सभी को उत्तरायणी और कौतिक, घुघुतियां की बधाई देते हुए कहा कि पहाड़ी भाषा को जीवित रखने के लिए इस तरह के आयोजनों की जरूरत है. उन्होंने कहा कि युवाओं को अपनी संस्कृति बचाने के लिए आगे आना चाहिए, जिससे कि पहाड़ की संस्कृति इसी तरह से आगे जीवित रहे.Conclusion:कालाढुंगी मैं आयोजित पौराणिक उत्तरायणी मेले मैं मुख्य अतिथि विकास खण्ड कोटाबाग के ब्लॉक प्रमुख रवि कन्याल ने बताया कि उत्तरायणी मेला पौराणिक मेला है और इसके साथ साथ हमारी संस्कृति को बचाने की एक मुहिम भी है जिससे हम अपनी संस्कृति को युवा पीढ़ी तक पहुचाना भी एक अहम जिम्मेदारी है।
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