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कैलाश मानसरोवर यात्रा: शिव भक्तों का आखिरी जत्था पहुंचा हल्द्वानी, जवानों का किया धन्यवाद

शिव भक्तों का आखिरी जत्था 20 दिनों की यात्रा पूरी कर ली है. बम-बम के नारों के साथ यात्रियों ने बताया कि उनकी यात्रा बहुत सुगम रही. उन्होंने वहां तैनात जवानों के कार्य की तारीफ करते हुए उन्हें धन्यवाद दिया. लेकिन वहीं मानसरोवर में डुबकी लगाने की अनुमति ना मिलने से कुछ यात्री मायूस भी दिखे.

शिव भक्तों का आखिरी जत्था पहुंचा हल्द्वानी
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Published : Sep 11, 2019, 4:45 PM IST

Updated : Sep 11, 2019, 5:24 PM IST

हल्द्वानी: विश्व प्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर यात्रा का आज अंतिम दल अपनी यात्रा पूरी करके काठगोदाम पहुंच गया है. यात्रियों के पहुंचने पर कुमाऊं मंडल विकास निगम ने सभी यात्रियों का कुमाउंनी रीति रिवाज के साथ स्वागत किया. जिसके बाद उन्हें सम्मान पत्र देकर विदा किया गया. इस अंतिम यात्रा में 33 यात्री शामिल थे.

व भक्तों का आखिरी जत्था पहुंचा हल्द्वानी

12 जून से शुरू हुई विश्व प्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर यात्रा का आज विधिवत समापन हो गया. कैलाश मानसरोवर यात्रा दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे लंबी पैदल दूरी वाली यात्रा है. जिसमें 280 किलोमीटर तक पैदल यात्रा करनी पड़ती है, जिसे 20 दिनों में पूरा किया जाता है. इस साल कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए 949 यात्री पंजीकृत हुए थे. जिसमे से 925 यात्री ही पहुंचे. इस यात्रा में 198 महिला यात्री भी शामिल थी.

पढे़ं- मसूरी-यमुनोत्री हाईवे भूस्खलन के कारण बंद, वाहनों की लगी कतारें

इस बार पवित्र मानसरोवर में डुबकी लगाने पर प्रतिबंध के बाद यात्रियों में मायूसी देखी गई. यात्रियों का कहना था कि वह पवित्र मानसरोवर यात्रा में डुबकी लगाने की उम्मीद से गए थे. लेकिन चीन द्वारा वहां पर डुबकी लगाने से मना कर दिया गया. वे कहते हैं कि यात्रा के दौरान कुमाऊं मंडल विकास निगम, आइटीबीपी, एसडीआरएफ के जवानों ने अहम भूमिका निभाई.

इस यात्रा में शामिल होने वाले यात्रियों को सुविधा देने के लिए कुमाऊं मंडल विकास निगम को जिम्मा दिया जाता है. बता दें कि इस यात्रा के दौरान कुमाऊं मंडल विकास निगम में 56 कर्मचारी, 49 चिकित्सा कर्मी और एसडीआरएफ के 90 जवान मौजूद रहे. साथ ही आईटीबीपी, उत्तराखंड पुलिस और पीडब्ल्यूडी के कर्मचारी भी तैनात रहे.

हल्द्वानी: विश्व प्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर यात्रा का आज अंतिम दल अपनी यात्रा पूरी करके काठगोदाम पहुंच गया है. यात्रियों के पहुंचने पर कुमाऊं मंडल विकास निगम ने सभी यात्रियों का कुमाउंनी रीति रिवाज के साथ स्वागत किया. जिसके बाद उन्हें सम्मान पत्र देकर विदा किया गया. इस अंतिम यात्रा में 33 यात्री शामिल थे.

व भक्तों का आखिरी जत्था पहुंचा हल्द्वानी

12 जून से शुरू हुई विश्व प्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर यात्रा का आज विधिवत समापन हो गया. कैलाश मानसरोवर यात्रा दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे लंबी पैदल दूरी वाली यात्रा है. जिसमें 280 किलोमीटर तक पैदल यात्रा करनी पड़ती है, जिसे 20 दिनों में पूरा किया जाता है. इस साल कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए 949 यात्री पंजीकृत हुए थे. जिसमे से 925 यात्री ही पहुंचे. इस यात्रा में 198 महिला यात्री भी शामिल थी.

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इस बार पवित्र मानसरोवर में डुबकी लगाने पर प्रतिबंध के बाद यात्रियों में मायूसी देखी गई. यात्रियों का कहना था कि वह पवित्र मानसरोवर यात्रा में डुबकी लगाने की उम्मीद से गए थे. लेकिन चीन द्वारा वहां पर डुबकी लगाने से मना कर दिया गया. वे कहते हैं कि यात्रा के दौरान कुमाऊं मंडल विकास निगम, आइटीबीपी, एसडीआरएफ के जवानों ने अहम भूमिका निभाई.

इस यात्रा में शामिल होने वाले यात्रियों को सुविधा देने के लिए कुमाऊं मंडल विकास निगम को जिम्मा दिया जाता है. बता दें कि इस यात्रा के दौरान कुमाऊं मंडल विकास निगम में 56 कर्मचारी, 49 चिकित्सा कर्मी और एसडीआरएफ के 90 जवान मौजूद रहे. साथ ही आईटीबीपी, उत्तराखंड पुलिस और पीडब्ल्यूडी के कर्मचारी भी तैनात रहे.

Intro:sammry-कैलाश मानसरोवर यात्रा का हुआ समापन 925 यात्री पवित्र कैलाश मानसरोवर यात्रा का किया दर्शन। अंतिम दल यात्रा पुरी कर पहुंचा काठगोदाम।


एंकर- विश्व प्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर यात्रा का आज अंतिम दल अपना यात्रा पूरी कर काठगोदाम कुमाऊं मंडल विकास निगम गेस्ट हाउस पहुंचा जहां सभी यात्रियों को कुमाऊनी रीति रिवाज के साथ स्वागत कर समान पत्र देते हुए उनको विदा किया गया। अंतिम यात्रा दिल में 33 यात्री शामिल थे। कुमाऊं मंडल विकास निगम द्वारा संचालित यात्रा में इस वर्ष कैलाश मानसरोवर यात्रा में 925 यात्रियों ने पवित्र मानसरोवर यात्रा का दर्शन किया है।


Body:12 जून से शुरू हुई विश्व प्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर यात्रा का आज विधिवत समापन हो गया । कैलाश मानसरोवर यात्रा दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे लंबी पैदल दूरी वाली यात्रा है जिसमें 280 किलोमीटर तक पैदल यात्रा करनी पड़ती है जो 20 दिन तक चलने वाले यात्रा होती है। इस वर्ष कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए 949 यात्री पंजीकृत हुए थे जिसमें से भगवान भोलेनाथ के दर पर कैलाश पर्वत के दर्शन करने के लिए 925 यात्री ही पहुचे जिसमें 198 महिला यात्री भी शामिल थी। इस बार पवित्र मानसरोवर में डुबकी लगाने पर प्रतिबंध के बाद यात्री मरी मायूसी देखी गई। यात्रियों का कहना था कि वह पवित्र मानसरोवर यात्रा में डुबकी लगाने के लिए उम्मीद से गए थे लेकिन चीन द्वारा वहां पर डुबकी लगाने पर प्रतिबंध किए जाने पर मायूसी हुई। यात्रियों का कहना है कि यात्रा के दौरान कुमाऊं मंडल विकास निगम ,आइटीबीपी, एसडीआरएफ के जवान सहित उत्तराखंड पुलिस , और पी डब्ल्यू के मजदूरों ने हम भूमिका निभाई हैं।

बाइट- रजनीश बत्रा महिला यात्री उत्तराखंड
बाइट -जोगेंद्र यात्री राजस्थान



Conclusion:भारत के विदेश मंत्रालय और कुमाऊं मंडल विकास निगम के सहयोग से संचालित की जाने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा दिल्ली से शुरू होकर उत्तराखंड होते हुए चीन में जाकर भगवान भोले शंकर के पवित्र कैलाश मानसरोवर पर्वत के दर्शन के साथ साथ मानसरोवर झील का दर्शन किया जाता है ।
यात्रियों को सुविधा के लिए कुमाऊं मंडल विकास निगम को संचालन के दिया जिम्मा दिया जाता है। इस वर्ष कुमाऊं मंडल विकास निगम के 56 कर्मचारी के अलावा 49 चिकित्सा कर्मी और एसडीआरएफ के 90 जवान सहित भारत तिब्बत पुलिस बल के जवान ,उत्तराखंड पुलिस और पीडब्ल्यूडी के कर्मचारी भी तैनात थे।
Last Updated : Sep 11, 2019, 5:24 PM IST
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