हल्द्वानी: लालकुआं विधानसभा क्षेत्र में तीन करोड़ से अधिक की लागत से बना 10 बेड का अस्पताल मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाएं देने में नाकाम साबित हो रहा है. यह अस्पताल 24 घंटे की बजाय दिन में सिर्फ चार घंटे खुलने के बाद बंद हो जाता है. अस्पताल प्रशासन की इस उदासीनता के चलते लोगों को शहर का रुख करना पड़ रहा है.
एक लाख से अधिक आबादी वाले क्षेत्र के लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा मिल सके, जिसके लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने करीब साढ़े तीन करोड़ की लागत से 10 वार्डों का अस्पताल बनाया था. जहां स्थानीय लोगों को 24 घंटे उचित स्वास्थ्य सुविधा मिल सके. आचार संहिता से ठीक पहले फरवरी माह में इस अस्पताल का उद्घाटन सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया था. लेकिन अस्पताल डॉक्टरों और अन्य सुविधाओं के अभाव में मरीजों के लिए सफेद हाथी साबित हो रहा है. अस्पताल में कोई जच्चा-बच्चा डॉक्टर नहीं है. अस्पताल की करोड़ों रुपये की एक्सरे मशीन धूल फांक रही हैं. इसे चलाने वाला टेक्निशियन भी यहां मौजूद नहीं है.
आलम यह है कि अस्पताल सुबह 10 बजे खुलता है और दोपहर 2 बजे बंद कर दिया जाता है. इस दौरान अगर कोई गंभीर मामला आता है तो उसको तुरंत रेफर कर दिया जाता है. जिसके लिए मरीज को इलाज के लिए 20 किलोमीटर दूर हल्द्वानी जाना पड़ता है. स्वास्थ्य महकमे की इस उदासीनता के चलते लोगों को इलाज के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है.
डिप्टी सीएमओ मनमोहन तिवारी का कहना है कि लालकुआं अस्पताल में दो डॉक्टरों, दो नर्सों और फार्मासिस्ट की कमी है. जिसको जल्द पूरा कर लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि अस्पताल को 24 घंटे और सातों दिन खोलने के लिए बनाया गया है. जिससे इमरजेंसी में आने वाले लोगों का इलाज किया जा सके. वहीं, अस्पताल को जल्द बंद करवाने की शिकायत पर उन्होंने कहा कि वे इसकी जल्द ही जांच करवाएंगे. साथ ही दोषी डॉक्टरों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. सीएमओ ने कहा कि अस्पताल को 24 घंटे खोलने के निर्देश दिया जाएगा.