हल्द्वानी: हर महीने दो चतुर्थी की तिथि आती है. कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं जबकि शुक्ल पक्ष में पढ़ने वाला चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जानी जाती है. ऐसे में 22 दिसंबर को इस साल का अंतिम चतुर्थी पड़ रहा है जो पौष माह की संकष्टी चतुर्थी का व्रत मनाया जाएगाय मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश पूजा का विशेष महत्व है. ज्योतिष के अनुसार संकष्टी चतुर्थी के व्रत को जो भी भक्त सच्चे मन से रखकर सिद्धिविनायक गणेश की पूजा करता है तो भगवान गणेश उसकी सभी कष्टों का निवारण करते हैं.
ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक, इस साल का अंतिम चतुर्थी 22 दिसंबर यानी आज के दिन पड़ रही है, इस दिन के व्रत का अपने आप में विशेष महत्व है. इस दिन भगवान गणेश को प्रसन्न करने का उपवास के साथ विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा कर प्रसन्न करने से सभी तरह के कष्टों का निवारण होता है और इसी दिन की शाम को चंद्रमा का दर्शन के बाद व्रत का पारायण किया जाएगा.
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ऐसे करें पूजा अर्चना: ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक, पौष कृष्ण चतुर्थी आज शाम 4:40 से लगेगी जबकि स्थिति का समापन 23 दिसंबर गुरुवार शाम 6:27 पर होगा लेकिन संकष्टी चतुर्थी का व्रत 22 दिसंबर को रखा जाएगा. संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह उठकर निवृत्त होकर सच्चे मन से व्रत धारण कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान गणेश की उपासना करें इस दौरान पिलाया लाल वस्त्र धारण कर भगवान गणेश को पीले रोली से चंदन टीका के साथ पीले फल और फूल के साथ व्रत का संकल्प लें. भगवान गणेश को अक्षत, दूर्वा घास, मोदक, पीला लड्डू, पान, धूप, सुपारी आदि समर्पित करें और 'ॐ ग गणपतये नमः' मंत्र का जाप करें.
ज्योतिष के अनुसार इस दिन चंद्रमा का पूजा करने का विशेष महत्व है. आज शाम 8:12 से लेकर रात 9:15 तक चंद्र पूजा का अमृत काल रहेगा. इस दौरान चंद्रमा का दर्शन के साथ चंद्रमा को जल अर्पित कर व्रत का पारायण करें.