हल्द्वानी: केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए कृषि कानून के खिलाफ किसान लंबे समय से दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं. किसानों के आंदोलन के समर्थन में उत्तराखंड के किसानों को जोड़ने की मुहिम शुरू करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा अब पहाड़ के किसानों को इस आंदोलन में ज्यादा से ज्यादा भागीदारी सुनिश्चित करने की मुहिम शुरू की है.
संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार किसान विरोधी तीनों कानूनों को वापस नहीं लेती तब तक यह आंदोलन चलता रहेगा. उन्होंने कहा कि जिस तरह से केंद्र सरकार ने नए कृषि कानून के तहत किसानों को उत्पीड़न करने का काम किया है. केंद्र सरकार द्वारा किसानों की कृषि उपज के लिए मिलने वाले एमएसपी कानून तक नहीं बनाया गया है. उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत केंद्र सरकार देश की मंडियों को समाप्त कर मंडियों को निजी हाथों में सौंपने का काम करने जा रही है. ऐसे में मैदान के किसान के साथ-साथ इसका सबसे ज्यादा असर पहाड़ के किसानों पर पड़ेगा. जहां किसान अपने उत्पादन को मंडी तक नहीं बेच सकेंगे और कंपनियां औने-पौने दामों में उनके उत्पादन खरीद अपना मुनाफा कमाएंगी. इस कानून के आने के बाद किसान प्राइवेट कंपनियों के हाथ में बर्बाद हो जाएंगे. क्योंकि प्राइवेट कंपनियां उनकी उपज का दाम निर्धारित करेंगी. जिससे किसान को नुकसान होगा.
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उन्होंने कहा कि इस कानून के विरोध में उत्तराखंड के किसान भी बढ़-चढ़कर आंदोलन में समर्थन कर रहे हैं. ऐसे में इस कानून को खत्म करने के लिए पहाड़ के किसानों को और जागरूक किया जा रहा है. जिससे कि आंदोलन में ज्यादा से ज्यादा लोग भागीदारी कर सकें और मजबूरन केंद्र सरकार को इस कानून को वापस लेना पड़े.