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कॉर्बेट के वन्यजीवों को कैनाइन डिस्टेंपर से बचाने की कवायद, पार्क प्रशासन ने केंद्र सरकार से मांगी रिसर्च की अनुमति

Canine distemper virus गुजरात के गिर अभयारण्य में कैनाइन डिस्टेंपर नामक संक्रामक बीमारी से 20 से अधिक शेरों की मौत हो गई थी. इससे उत्तराखंड का जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क प्रशासन सबक लेना चाहता है. कॉर्बेट पार्क प्रशासन अपने वन्यजीवों के सुरक्षित रखने के लिए कैनाइन डिस्टेंपर वायरस पर रिसर्च करना चाहता है. केंद्र सरकार ने अगर जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क प्रशासन के प्रस्ताव को मंजूरी दी तो जल्द ही यहां कैनाइन डिस्टेंपर पर शोध शुरू हो जाएगा. Research on canine distemper

Canine distemper virus
जिम कॉर्बेट पार्क समाचार
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 28, 2023, 11:07 AM IST

रामनगर: विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए कैनाइन डिस्टेंपर वायरस (Canine distemper virus) पर शोध प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया है. बीते कई सालों में देश के सभी नेशनल पार्को में बाघ, गुलदार समेत अन्य वन्यजीवों का कुनबा तेज़ी से बढ़ा है. बाघ, गुलदार समेत अन्य मांसाहारी जीवों की संख्या बढ़ना जहां वन विभाग के लिये ख़ुशी की खबर है, वहीं मांसाहारी वन्यजीवों की कैनाइन डिस्टेंपर वायरस से हो रही मौतों ने वनाधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है.

Research on canine distemper
कुत्ते, सियार या लोमड़ी कैनाइन डिस्टेंपर से संक्रमित हो सकते हैं.

कैनाइन डिस्टेंपर से गुजरात में शेरों की मौत हुई थी: बीते दिनों कैनाइन डिस्टेंपर वायरस से गुजरात में 20 से अधिक शेरों की मौत हो गई थी. इसे देखते हुए कॉर्बेट नेशनल पार्क प्रशासन ने कैनाइन डिस्टेंपर वायरस को लेकर कॉर्बेट में शोध कराने का निर्णय लिया है. इसको लेकर प्रस्ताव बनाकर केंद्र को भेजा गया है. आपको बता दें कि उत्तराखंड में पहली बार कुत्तों में कैनाइन डिस्टेंपर वायरस पर शोध कराया जा रहा है.

कॉर्बेट के आसपास कुत्तों की होगी जांच: जांच में कॉर्बेट पार्क से लगते ग्रामीणों इलाकों में रह रहे कुत्तों में अगर ये वायरस पाया गया, तो विभाग इनको वैक्सीनेट करने की कार्रवाई करेगा. जिससे जंगल से निकलकर ग्रामीण क्षेत्रों में आकर इन कुत्तों का शिकार करने वाले गुलदार और बाघों में ये बीमारी नहीं फैलेगी. इससे बाघ समेत अन्य मांसाहारी वन्यजीवों को बचाया जा सकेगा.

Research on canine distemper
संक्रमित कुत्ते का शिकार करने पर बाघ या शेर कैनाइन डिस्टेंपर की चपेट में आ जाते हैं

कुत्तों से वन्य जीवों में ऐसे फैलता है कैनाइन डिस्टेंपर: कॉर्बेट के डिप्टी डायरेक्टर दिगांत नायक ने बताया कि कैनाइन डिस्टेंपर वायरस कुत्तों में पाया जाता है. उन्होंने बताया कि कई बार शिकार की तलाश में बाघ गुलदार समेत अन्य वन्यजीव आबादी के पास आकर कुत्तों को अपना निवाला बना लेते हैं. इससे कुत्तों से वायरस मांसाहारी वन्यजीवों में चला जाता है. उन्होंने बताया कि कैनाइन डिस्टेंपर वायरस से ग्रसित होने बाद वन्यजीवों की मौत हो जाती है. उन्होंने बताया कि इस शोध से वन्यजीवों को बचाने में मदद मिल सकेगी.
ये भी पढ़ें: कॉर्बेट नेशनल पार्क में रैप्टर प्रजाति के संरक्षण पर जोर, गिद्धों और चीलों की हो रही गणना

क्या है कैनाइन डिस्टेंपर बीमारी? कैनाइन डिस्टेंपर एक वायरल इन्फेक्शन है. इसे हार्डपैड रोग भी कहते हैं. यह विभिन्न जानवरों खासकर कुत्तों को जल्दी संक्रमित करता है. कैनाइन डिस्टेंपर संक्रमण में कुत्तों को सांस से संबंधित दिक्कत शुरू होती है. धीरे-धीरे खांसी आने लगती है. कैनाइन डिस्टेंपर (Canine distemper) का संक्रमण जैसे-जैसे बढ़ता है फिर उल्टी की समस्या होने लगती है. इसके साथ ही निमोनिया जकड़ लेता है. आखिर में खून के दस्त शुरू होने पर कुत्ते की मौत हो जाती है.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में निपाह वायरस को लेकर अलर्ट, जल्द जारी होगी गाइडलाइन, जानिए बीमारी के लक्षण और बचाव

रामनगर: विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए कैनाइन डिस्टेंपर वायरस (Canine distemper virus) पर शोध प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया है. बीते कई सालों में देश के सभी नेशनल पार्को में बाघ, गुलदार समेत अन्य वन्यजीवों का कुनबा तेज़ी से बढ़ा है. बाघ, गुलदार समेत अन्य मांसाहारी जीवों की संख्या बढ़ना जहां वन विभाग के लिये ख़ुशी की खबर है, वहीं मांसाहारी वन्यजीवों की कैनाइन डिस्टेंपर वायरस से हो रही मौतों ने वनाधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है.

Research on canine distemper
कुत्ते, सियार या लोमड़ी कैनाइन डिस्टेंपर से संक्रमित हो सकते हैं.

कैनाइन डिस्टेंपर से गुजरात में शेरों की मौत हुई थी: बीते दिनों कैनाइन डिस्टेंपर वायरस से गुजरात में 20 से अधिक शेरों की मौत हो गई थी. इसे देखते हुए कॉर्बेट नेशनल पार्क प्रशासन ने कैनाइन डिस्टेंपर वायरस को लेकर कॉर्बेट में शोध कराने का निर्णय लिया है. इसको लेकर प्रस्ताव बनाकर केंद्र को भेजा गया है. आपको बता दें कि उत्तराखंड में पहली बार कुत्तों में कैनाइन डिस्टेंपर वायरस पर शोध कराया जा रहा है.

कॉर्बेट के आसपास कुत्तों की होगी जांच: जांच में कॉर्बेट पार्क से लगते ग्रामीणों इलाकों में रह रहे कुत्तों में अगर ये वायरस पाया गया, तो विभाग इनको वैक्सीनेट करने की कार्रवाई करेगा. जिससे जंगल से निकलकर ग्रामीण क्षेत्रों में आकर इन कुत्तों का शिकार करने वाले गुलदार और बाघों में ये बीमारी नहीं फैलेगी. इससे बाघ समेत अन्य मांसाहारी वन्यजीवों को बचाया जा सकेगा.

Research on canine distemper
संक्रमित कुत्ते का शिकार करने पर बाघ या शेर कैनाइन डिस्टेंपर की चपेट में आ जाते हैं

कुत्तों से वन्य जीवों में ऐसे फैलता है कैनाइन डिस्टेंपर: कॉर्बेट के डिप्टी डायरेक्टर दिगांत नायक ने बताया कि कैनाइन डिस्टेंपर वायरस कुत्तों में पाया जाता है. उन्होंने बताया कि कई बार शिकार की तलाश में बाघ गुलदार समेत अन्य वन्यजीव आबादी के पास आकर कुत्तों को अपना निवाला बना लेते हैं. इससे कुत्तों से वायरस मांसाहारी वन्यजीवों में चला जाता है. उन्होंने बताया कि कैनाइन डिस्टेंपर वायरस से ग्रसित होने बाद वन्यजीवों की मौत हो जाती है. उन्होंने बताया कि इस शोध से वन्यजीवों को बचाने में मदद मिल सकेगी.
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क्या है कैनाइन डिस्टेंपर बीमारी? कैनाइन डिस्टेंपर एक वायरल इन्फेक्शन है. इसे हार्डपैड रोग भी कहते हैं. यह विभिन्न जानवरों खासकर कुत्तों को जल्दी संक्रमित करता है. कैनाइन डिस्टेंपर संक्रमण में कुत्तों को सांस से संबंधित दिक्कत शुरू होती है. धीरे-धीरे खांसी आने लगती है. कैनाइन डिस्टेंपर (Canine distemper) का संक्रमण जैसे-जैसे बढ़ता है फिर उल्टी की समस्या होने लगती है. इसके साथ ही निमोनिया जकड़ लेता है. आखिर में खून के दस्त शुरू होने पर कुत्ते की मौत हो जाती है.
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