ETV Bharat / state

अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस: HMT कारखाना श्रमिकों को 3 साल से नहीं मिला वेतन

काठगोदाम के रानी बाग में स्थित HMT फैक्ट्री के मजदूरों को पिछले तीन साल से वेतन नहीं मिला है. अपने वेतन के लिए मजदूर लगातार लड़ाई लड़ रहे हैं. फैक्ट्री की मशीनों की 8, 9 और 10 मई को ऑनलाइन नीलामी की जानी है. ऐसे में मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

author img

By

Published : May 1, 2019, 9:37 AM IST

HMT कारखाना श्रमिकों को 3 साल से नहीं मिला वेतन

हल्द्वानी: आज पूरा विश्व अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मना रहा है. इस दिन को अंतरराष्ट्रीय कर्मचारी दिवस के नाम से भी जाना जाता है. मजदूर दिवस उन लोगों का दिन है जो अपने खून पसीने से देश के विकास में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं. बात करें उत्तराखंड की, तो यहां पर भी संगठित और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले पंजीकृत मजदूरों की संख्या 8 लाख से अधिक है, लेकिन 6 जनवरी 2016 को बंद हुई HMT के मजदूरों के लिए 'मजदूर दिवस' के कोई मायने नहीं हैं, क्योंकि यहां काम करने वाले मजदूरों को पिछले 3 साल से वेतन नहीं मिला है.

HMT कारखाना श्रमिकों को 3 साल से नहीं मिला वेतन

पढ़ें- गर्मी से राहत पाने के लिए गंगा में डूबकी लगा रहे लोग, सबसे पसंदीदा टूरिस्ट स्पॉट बना हरिद्वार

बता दें कि अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पहली बार 1 मई, 1886 को मनाया गया, जब अमेरिका के मजदूरों ने संगठित होकर अपने हक की लड़ाई लड़ी. तो वहीं, उत्तराखंड में भी कुछ मजदूर ऐसे हैं जो आज अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. दरअसल, आगामी 08, 09 और 10 मई को काठगोदाम के रानी बाग स्थित HMT फैक्ट्री की ऑनलाइन नीलामी होने जा रही है. ऐसे में इस कंपनी में काम करने वाले मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. बदहाली का आलम तो ऐसा है कि HMT फैक्ट्री के मजदूरों को 3 साल से वेतन भी नहीं मिला है. जिससे परेशान होकर मजदूरों को फैक्ट्री गेट के सामने धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है.

बता दें, साल 2016 से एचएमटी कारखाने से उत्पादन का कार्य बंद है. पिछले 40 महीनों से कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है. 512 कर्मचारियों में से 366 कर्मचारी अब तक वीआरएस ले चुके हैं और 146 कर्मचारी अभी भी मिल प्रबंधक से वीआरएस लेने की सैद्धांतिक लड़ाई लड़ रहे हैं. बहरहाल ये मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है.

प्रदेश के पंजीकृत मजदूर
बात संगठित क्षेत्र की करें तो प्रदेश में कुल 2,927 कारखाने स्थापित हैं. इन कारखानों में स्थाई तौर पर 3 लाख 27 हजार 162 श्रमिक काम कर रहे है जबकि अस्थाई तौर पर 2 लाख 23 हजार 317 श्रमिक इन कारखानों में अपनी सेवा दे रहे हैं. बात असंगठित क्षेत्र की मजदूरों की करें तो भवन एवं संनिर्माण कर्मकार बोर्ड योजना यानी (BOCW) के तहत प्रदेश में करीब 2 लाख 60 हजार श्रमिक पंजीकृत है जो अन्य क्षेत्रों में काम करते हुए देश और प्रदेश के विकास के योगदान में अहम भूमिका निभा रहे हैं.

श्रमिकों के परिवार को मिलने वाला लाभ
उप श्रमायुक्त श्रम विभाग उत्तराखंड अशोक बाजपेई ने बताया कि सभी मजदूरों और उनके परिवारों को खुशहाली देने के लिए श्रम विभाग श्रमिकों के बच्चों के स्वास्थ्य शिक्षा और परिवार की खुशहाली के लिए सरकार योजनाएं चला रही है. श्रमिकों के बच्चों को शिक्षा के लिए ₹200 से लेकर ₹1000 तक मासिक शिक्षा प्राप्त करने वाले श्रमिकों के बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए ₹2500 प्रति माह वजीफा देने का प्रावधान है.

इसके अलावा प्रसूति के दौरान लड़की होने पर ₹25000 जबकि लड़का होने पर ₹15000 दिया जाता है. साथ ही मजदूर की कन्या के विवाह के लिए ₹100000 देने का प्रावधान भी है, जो दो पुत्रियों के विवाह तक दिया जाता है. इसके अलावा मजदूर का बच्चा स्टेट स्तर पर खेल में प्रतिभाग करता है तो ₹25000 दिया जाता है. इसके अलावा मजदूर की श्रम के दौरान मृत्यु होने पर ₹5 लाख जबकि सामान्य मृत्यु पर 3 लाख रुपए दिया जाता है.

हल्द्वानी: आज पूरा विश्व अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मना रहा है. इस दिन को अंतरराष्ट्रीय कर्मचारी दिवस के नाम से भी जाना जाता है. मजदूर दिवस उन लोगों का दिन है जो अपने खून पसीने से देश के विकास में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं. बात करें उत्तराखंड की, तो यहां पर भी संगठित और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले पंजीकृत मजदूरों की संख्या 8 लाख से अधिक है, लेकिन 6 जनवरी 2016 को बंद हुई HMT के मजदूरों के लिए 'मजदूर दिवस' के कोई मायने नहीं हैं, क्योंकि यहां काम करने वाले मजदूरों को पिछले 3 साल से वेतन नहीं मिला है.

HMT कारखाना श्रमिकों को 3 साल से नहीं मिला वेतन

पढ़ें- गर्मी से राहत पाने के लिए गंगा में डूबकी लगा रहे लोग, सबसे पसंदीदा टूरिस्ट स्पॉट बना हरिद्वार

बता दें कि अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पहली बार 1 मई, 1886 को मनाया गया, जब अमेरिका के मजदूरों ने संगठित होकर अपने हक की लड़ाई लड़ी. तो वहीं, उत्तराखंड में भी कुछ मजदूर ऐसे हैं जो आज अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. दरअसल, आगामी 08, 09 और 10 मई को काठगोदाम के रानी बाग स्थित HMT फैक्ट्री की ऑनलाइन नीलामी होने जा रही है. ऐसे में इस कंपनी में काम करने वाले मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. बदहाली का आलम तो ऐसा है कि HMT फैक्ट्री के मजदूरों को 3 साल से वेतन भी नहीं मिला है. जिससे परेशान होकर मजदूरों को फैक्ट्री गेट के सामने धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है.

बता दें, साल 2016 से एचएमटी कारखाने से उत्पादन का कार्य बंद है. पिछले 40 महीनों से कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है. 512 कर्मचारियों में से 366 कर्मचारी अब तक वीआरएस ले चुके हैं और 146 कर्मचारी अभी भी मिल प्रबंधक से वीआरएस लेने की सैद्धांतिक लड़ाई लड़ रहे हैं. बहरहाल ये मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है.

प्रदेश के पंजीकृत मजदूर
बात संगठित क्षेत्र की करें तो प्रदेश में कुल 2,927 कारखाने स्थापित हैं. इन कारखानों में स्थाई तौर पर 3 लाख 27 हजार 162 श्रमिक काम कर रहे है जबकि अस्थाई तौर पर 2 लाख 23 हजार 317 श्रमिक इन कारखानों में अपनी सेवा दे रहे हैं. बात असंगठित क्षेत्र की मजदूरों की करें तो भवन एवं संनिर्माण कर्मकार बोर्ड योजना यानी (BOCW) के तहत प्रदेश में करीब 2 लाख 60 हजार श्रमिक पंजीकृत है जो अन्य क्षेत्रों में काम करते हुए देश और प्रदेश के विकास के योगदान में अहम भूमिका निभा रहे हैं.

श्रमिकों के परिवार को मिलने वाला लाभ
उप श्रमायुक्त श्रम विभाग उत्तराखंड अशोक बाजपेई ने बताया कि सभी मजदूरों और उनके परिवारों को खुशहाली देने के लिए श्रम विभाग श्रमिकों के बच्चों के स्वास्थ्य शिक्षा और परिवार की खुशहाली के लिए सरकार योजनाएं चला रही है. श्रमिकों के बच्चों को शिक्षा के लिए ₹200 से लेकर ₹1000 तक मासिक शिक्षा प्राप्त करने वाले श्रमिकों के बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए ₹2500 प्रति माह वजीफा देने का प्रावधान है.

इसके अलावा प्रसूति के दौरान लड़की होने पर ₹25000 जबकि लड़का होने पर ₹15000 दिया जाता है. साथ ही मजदूर की कन्या के विवाह के लिए ₹100000 देने का प्रावधान भी है, जो दो पुत्रियों के विवाह तक दिया जाता है. इसके अलावा मजदूर का बच्चा स्टेट स्तर पर खेल में प्रतिभाग करता है तो ₹25000 दिया जाता है. इसके अलावा मजदूर की श्रम के दौरान मृत्यु होने पर ₹5 लाख जबकि सामान्य मृत्यु पर 3 लाख रुपए दिया जाता है.

Intro:स्लग-मजदूर दिवस -एचएमटी कर खाने के मजदूरों को नहीं मिला 3 साल से वेतन श्रमिक आंदोलन पर(स्पेशल)
रिपोर्टर -भावनाथ पंडित।
एंकर-सरकार श्रमिकों के हितों की बड़ी-बड़ी बातें करती हैं। 1 मई को श्रमिक दिवस मना कर सरकार मजदूरों को खुश करने की बात करती है लेकिन उत्तराखंड के काठगोदाम स्थित रानी बाग की एचएमटी घड़ी फैक्ट्री ( हिंदुस्तान मशीन टूल्स भारत सरकार उपकरण) के श्रमिकों को मजदूर दिवस का कोई माने नहीं रखता क्योंकि इन श्रमिकों के साथ पिछले 3 सालों से अन्याय हो रहा है और आवाज उठाने के बाद मिल प्रशासन ने कर खाने में ताला लगा दिया है। देखिए एक रिपोर्ट


Body: काठगोदाम के रानी बाग में 91 एकड़ में फैली एचएमटी फैक्ट्री का स्थापना 1983 किया गया जब की उत्पादन 1985 से शुरू हुआ ।यहां की घड़िया देश विदेशों में अपनी पहचान बना चुकी थी और यहां की घड़ियों की डिमांड पूरे विश्व में किया जाने लगा। करखाने में 1250 अधिक कर्मचारी काम किया करते थे। उस समय घड़ियों का स्वर्णिम दौर था कंपनी को भी जमकर मुनाफा हो रहा था और मजदूर भी खुश थे। इस यूनिट में प्रतिवर्ष 16 से 18 घटिया बनाई जाती थी लेकिन धीरे-धीरे कंपनी की वित्तीय स्थिति खराब होती गई और और फैक्ट्री बंदी की कगार से गुजरने लगी जिसके बाद मिल प्रबंधक ने 17 नवंबर 2016 से फैक्ट्री से घड़ी का उत्पादन करना बंद कर दिया।


Conclusion:गौरतलब है कि 2016 में एचएमटी कारखाने से उत्पादन का कार्य बंद है। 512 कर्मचारियों में से 366 कर्मचारी अब तक बीआरएस से ले चुके हैं और 146 कर्मचारी अभी भी मिल प्रबंधक से वीआरएस लेने की सैद्धांतिक लड़ाई लड़ रहे हैं। जबकि मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। कर्मचारियों का कहना है कि पिछले 40 महीनों से एचएमटी कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है जबकि हर माह में उनको वेतन स्लिप दी जाती है और उनका पीएफ भी काटा जाता है लेकिन मिल प्रबंधक मनमानी में उतरते हुए मजदूरों के पीएफ का भी घोटाला कर दिया और पिछले 3 साल से पीएफ को भी नहीं जमा किया। मिल के श्रमिकों का कहना है कि मिल प्रबंधक उनके साथ उत्पीड़न कर रहा है नहीं वेतन दे रहा है नहीं बीआरएस दे रहा है ऐसे में उनके आगे अब रोजी रोटी का संकट गहरा गया है ।अब गेट के सामने धरने प्रदर्शन करने को मजबूर होना पड़ रहा है। मजदूरों का कहना है कि मिल प्रबंधक अब मिल के नीलामी की भी तैयारी कर रहा है जिसकी ऑनलाइन नीलामी 8 9 10 मई को होनी है। ऐसे में अगर मिल प्रबंधक मिल की नीलामी कर देगा तो उनके आगे रोजी रोटी का संकट गहरा जाएगा।
इस पीएफ गड़बड़ी मामले में पीएफ निरीक्षक सुनील बब्बर का कहना है कि मिल प्रबंधन द्वारा पीएफ का गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है मिल प्रबंधन को खिलाफ नोटिस जारी किया गया है श्रमिकों को हितों में ध्यान में रखते हुए काम किया जाएगा।

बाइट- सुनील बाबर निरीक्षक पीएफ विभाग


बाइट- भगवान सिंह अध्यक्ष एचएमटी कामगार संघ
बाइट- मुकेश तिवारी एचएमटी महामंत्री कामगार संघ
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.