हल्द्वानी: आज पूरा विश्व अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मना रहा है. इस दिन को अंतरराष्ट्रीय कर्मचारी दिवस के नाम से भी जाना जाता है. मजदूर दिवस उन लोगों का दिन है जो अपने खून पसीने से देश के विकास में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं. बात करें उत्तराखंड की, तो यहां पर भी संगठित और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले पंजीकृत मजदूरों की संख्या 8 लाख से अधिक है, लेकिन 6 जनवरी 2016 को बंद हुई HMT के मजदूरों के लिए 'मजदूर दिवस' के कोई मायने नहीं हैं, क्योंकि यहां काम करने वाले मजदूरों को पिछले 3 साल से वेतन नहीं मिला है.
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बता दें कि अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पहली बार 1 मई, 1886 को मनाया गया, जब अमेरिका के मजदूरों ने संगठित होकर अपने हक की लड़ाई लड़ी. तो वहीं, उत्तराखंड में भी कुछ मजदूर ऐसे हैं जो आज अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. दरअसल, आगामी 08, 09 और 10 मई को काठगोदाम के रानी बाग स्थित HMT फैक्ट्री की ऑनलाइन नीलामी होने जा रही है. ऐसे में इस कंपनी में काम करने वाले मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. बदहाली का आलम तो ऐसा है कि HMT फैक्ट्री के मजदूरों को 3 साल से वेतन भी नहीं मिला है. जिससे परेशान होकर मजदूरों को फैक्ट्री गेट के सामने धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है.
बता दें, साल 2016 से एचएमटी कारखाने से उत्पादन का कार्य बंद है. पिछले 40 महीनों से कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है. 512 कर्मचारियों में से 366 कर्मचारी अब तक वीआरएस ले चुके हैं और 146 कर्मचारी अभी भी मिल प्रबंधक से वीआरएस लेने की सैद्धांतिक लड़ाई लड़ रहे हैं. बहरहाल ये मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है.
प्रदेश के पंजीकृत मजदूर
बात संगठित क्षेत्र की करें तो प्रदेश में कुल 2,927 कारखाने स्थापित हैं. इन कारखानों में स्थाई तौर पर 3 लाख 27 हजार 162 श्रमिक काम कर रहे है जबकि अस्थाई तौर पर 2 लाख 23 हजार 317 श्रमिक इन कारखानों में अपनी सेवा दे रहे हैं. बात असंगठित क्षेत्र की मजदूरों की करें तो भवन एवं संनिर्माण कर्मकार बोर्ड योजना यानी (BOCW) के तहत प्रदेश में करीब 2 लाख 60 हजार श्रमिक पंजीकृत है जो अन्य क्षेत्रों में काम करते हुए देश और प्रदेश के विकास के योगदान में अहम भूमिका निभा रहे हैं.
श्रमिकों के परिवार को मिलने वाला लाभ
उप श्रमायुक्त श्रम विभाग उत्तराखंड अशोक बाजपेई ने बताया कि सभी मजदूरों और उनके परिवारों को खुशहाली देने के लिए श्रम विभाग श्रमिकों के बच्चों के स्वास्थ्य शिक्षा और परिवार की खुशहाली के लिए सरकार योजनाएं चला रही है. श्रमिकों के बच्चों को शिक्षा के लिए ₹200 से लेकर ₹1000 तक मासिक शिक्षा प्राप्त करने वाले श्रमिकों के बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए ₹2500 प्रति माह वजीफा देने का प्रावधान है.
इसके अलावा प्रसूति के दौरान लड़की होने पर ₹25000 जबकि लड़का होने पर ₹15000 दिया जाता है. साथ ही मजदूर की कन्या के विवाह के लिए ₹100000 देने का प्रावधान भी है, जो दो पुत्रियों के विवाह तक दिया जाता है. इसके अलावा मजदूर का बच्चा स्टेट स्तर पर खेल में प्रतिभाग करता है तो ₹25000 दिया जाता है. इसके अलावा मजदूर की श्रम के दौरान मृत्यु होने पर ₹5 लाख जबकि सामान्य मृत्यु पर 3 लाख रुपए दिया जाता है.