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देश के पहले मॉस गार्डन का जल पुरुष ने किया शुभारंभ

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Published : Nov 21, 2020, 8:30 PM IST

उत्तराखंड में देश का पहला मॉस (काई) गार्डन का शुभारंभ जल पुरुष राजेंद्र सिंह और वन अनुसंधान के मुख्य वन संरक्षक संजीव त्रिवेदी ने किया.

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देश के पहले काई गार्डन का जल पुरुष ने किया शुभारंभ

हल्द्वानी: नैनीताल के सरियाताल झील के पास में बने देश के पहले मॉस गार्डन का शुभारंभ जल पुरुष राजेंद्र सिंह और वन अनुसंधान के मुख्य वन संरक्षक संजीव त्रिवेदी ने किया. इसके साथ ही यह गार्डन पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए खोल दिया गया है. इस गार्डन में काई प्रजाति के महत्व को समझाने के लिए एक विशेष इंटरप्रिटेशन सेंटर नेचर ट्रेल और नर्सरी बनायी गयी है. करीब 10 हेक्टेयर वन भूमि में बनाई गई. गार्डन में लगभग 30 विभिन्न प्रजातियों के काई है. जिस दो प्रजाति आईयूसीएन की लुप्त पर्याय सूची में है.

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देश का पहला मॉस गार्डन.

बताया जा रहा है कि गार्डन में हीयोलिफाफा इनवोल्टा (सीमेंट मॉस) और ब्राचीथेलेसियम प्रजाति शामिल हैं. गार्डन का उद्देश्य विभिन्न प्रजातियों के काई और अन्य ब्रायोफाइट्स का संरक्षण करना और लोगों को उनका प्राकृतिक महत्व से बताना है.

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गार्डन का निरीक्षण करते जल पुरुष राजेंद्र सिंह.
मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि सरिया ताल में 10 हेक्टेयर वन भूमि में मॉस गार्डन बनाया गया है. जिसमें 30 प्रजातियों का नर्सरी बनाई गयी है. 1.25 किलोमीटर लंबी नेचर ट्रेल के दोनों तरफ काइयों की दर्जनों प्रजाति लगाई गई है. उन्होंने बताया कि यह देश का पहला काई गार्डन है. इससे यह सूचना केंद्र बनाया गया है ताकि गार्डन में आने वाले लोगों विद्यार्थियों शोधकर्ताओं वैज्ञानिकों को इसका महत्त्व का पता चल सके.

ये भी पढ़ें : गंगोत्री ग्लेशियर में कूडे़ से झील बनने का मामला, सचिव आपदा प्रबंधन को HC का नोटिस

जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि अब वन विभाग की सराहनीय पहल है, और इसमें न केवल समृद्ध जैव विविधता को संरक्षित करने की मदद मिलेगी. बल्कि आने वाली पीढ़ी भी विलुप्त हो रही काई के महत्व को समझ पाएंगे. उन्होंने कहा कि इस तरह के वनस्पतियों और गार्डन का संरक्षण उत्तराखंड के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी सरकारों और विभागों को करना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक से जनता का रिश्ता होता जा रहा है और इसे संरक्षण करना हम सभी का अधिकार हैं.

हल्द्वानी: नैनीताल के सरियाताल झील के पास में बने देश के पहले मॉस गार्डन का शुभारंभ जल पुरुष राजेंद्र सिंह और वन अनुसंधान के मुख्य वन संरक्षक संजीव त्रिवेदी ने किया. इसके साथ ही यह गार्डन पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए खोल दिया गया है. इस गार्डन में काई प्रजाति के महत्व को समझाने के लिए एक विशेष इंटरप्रिटेशन सेंटर नेचर ट्रेल और नर्सरी बनायी गयी है. करीब 10 हेक्टेयर वन भूमि में बनाई गई. गार्डन में लगभग 30 विभिन्न प्रजातियों के काई है. जिस दो प्रजाति आईयूसीएन की लुप्त पर्याय सूची में है.

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देश का पहला मॉस गार्डन.

बताया जा रहा है कि गार्डन में हीयोलिफाफा इनवोल्टा (सीमेंट मॉस) और ब्राचीथेलेसियम प्रजाति शामिल हैं. गार्डन का उद्देश्य विभिन्न प्रजातियों के काई और अन्य ब्रायोफाइट्स का संरक्षण करना और लोगों को उनका प्राकृतिक महत्व से बताना है.

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गार्डन का निरीक्षण करते जल पुरुष राजेंद्र सिंह.
मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि सरिया ताल में 10 हेक्टेयर वन भूमि में मॉस गार्डन बनाया गया है. जिसमें 30 प्रजातियों का नर्सरी बनाई गयी है. 1.25 किलोमीटर लंबी नेचर ट्रेल के दोनों तरफ काइयों की दर्जनों प्रजाति लगाई गई है. उन्होंने बताया कि यह देश का पहला काई गार्डन है. इससे यह सूचना केंद्र बनाया गया है ताकि गार्डन में आने वाले लोगों विद्यार्थियों शोधकर्ताओं वैज्ञानिकों को इसका महत्त्व का पता चल सके.

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जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि अब वन विभाग की सराहनीय पहल है, और इसमें न केवल समृद्ध जैव विविधता को संरक्षित करने की मदद मिलेगी. बल्कि आने वाली पीढ़ी भी विलुप्त हो रही काई के महत्व को समझ पाएंगे. उन्होंने कहा कि इस तरह के वनस्पतियों और गार्डन का संरक्षण उत्तराखंड के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी सरकारों और विभागों को करना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक से जनता का रिश्ता होता जा रहा है और इसे संरक्षण करना हम सभी का अधिकार हैं.

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