हल्द्वानी: 18 महीने में तैयार होने वाला 30 बेड का निर्माणाधीन अस्पताल 6 साल बाद भी तैयार नहीं हो पाया. मरीजों को अस्पताल नहीं मिलने के चलते सरकारी भवन में अस्थाई अस्पताल तैयार कर इलाज करने का काम किया गया. वर्ष 2016 के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र नेगी, वित्त मंत्री इंदिरा हृदयेश और श्रम मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल ने प्रयासों से हल्दूचौड़ में 30 बेड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की नींव रखी गई थी.
करीब 7 करोड़ 89 लाख रुपए से बनने वाले अस्पताल के निर्माण का जिम्मा उत्तराखंड राज्य स्थापना विकास निगम को दिया गया. अस्पताल निर्माण के लिए 18 महीने का वक्त तय किया गया था, लेकिन 6 साल बाद भी अस्पताल बन कर तैयार नहीं हो सका है.
वर्तमान हालात की बात करें तो अभी तक मात्र 75% ही अस्पताल का काम हो पाया है. स्थानीय बीजेपी विधायक नवीन दुम्का ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एक साल पहले अस्पताल के उद्घाटन की बात कही थी, लेकिन विधायक के आश्वासन के महीनों बाद भी अस्पताल का काम जस का तस पड़ा हुआ है.
अस्पताल निर्माण में हो रही मानकों की अनदेखी
यही नहीं करोड़ों की लागत से बनने वाला अस्पताल मानकों को ताक पर रखकर बनाया जा रहा है. निर्माणाधीन अस्पताल के चंद कदमों की दूरी पर रेलवे लाइन है, जहां पर हर समय ट्रेनों की आवाजाही रहती है. नियमानुसार अस्पताल को रेलवे ट्रैक से कम से कम 100 मीटर दूरी पर होना चाहिए, लेकिन निर्माणाधीन अस्पताल रेलवे ट्रैक से लगा हुआ है.
आने वाले समय में अस्पताल और उसमें भर्ती होने वाले मरीजों के लिए यह किसी मुसीबत से कम नहीं है. अस्पताल के डॉक्टरों और स्टाफ के रहने के लिए करीब 4 करोड़ 51 लाख की लागत से आवासीय भवन का भी निर्माण होना है, लेकिन आवासीय भवन का भी काम ठप पड़ा है.
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मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने दी जानकारी
इस पूरे मामले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी भागीरथी जोशी का कहना है कि अस्पताल निर्माण में तेजी के लिए कार्यदाई संस्था को निर्देशित किया गया है. ठेकेदार और बजट को लेकर कुछ दिक्कत आई थी जिसको सुलझा लिया गया है. जल्द जनता को अस्पताल समर्पित कर दिया जाएगा.