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उत्तराखंड में 8 सालों से नहीं हुई लोकायुक्त की नियुक्ति, HC ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

उत्तराखंड में पिछले आठ सालों से लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं हुई है, जिससे प्रदेश में भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लग पा रही है. लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है.

उत्तराखंड हाईकोर्ट
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Published : Sep 23, 2021, 7:36 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में लोकायुक्त नियुक्त किये जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद खंडपीठ ने उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 4 सप्ताह बाद की तिथि नियत की है.

मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई. मामले के अनुसार हल्द्वानी निवासी समाजसेवी रविशंकर जोशी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार ने 2013 में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए एक्ट बनाया था. जिसके कानून सख्त थे. लेकिन 2014 में सरकार ने इस एक्ट को वापस लेकर इसमे संशोधन कर दिया.

पढ़ें- शमशेर सिंह की याचिका पर कर्मकार बोर्ड की सचिव मधु नेगी को दस्ती नोटिस जारी, HC ने सरकार से मांगा जवाब

सरकार ने 2014 में एक्ट को संशोधित करते हुए यह शर्त रखी कि जिस दिन लोकायुक्त की नियुक्ति होगी. उसी दिन से एक्ट प्रभावी होगा. लेकिन भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए सरकार ने बीते आठ साल से उत्तराखंड में लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं की है.

प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर याचिकाकर्ता ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी, ताकि प्रदेश में हाईकोर्ट के आदेश पर लोकायुक्त की नियुक्ती हो सके और भ्रष्टाचार पर लगाम लग सके. याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए उनके पास हाईकोर्ट के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. अगर सरकार राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति कर देती तो उन्हें भ्रष्टाचार के खिलाफ मामलों में लड़ने की मदद मिल सकेगी.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में लोकायुक्त नियुक्त किये जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद खंडपीठ ने उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 4 सप्ताह बाद की तिथि नियत की है.

मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई. मामले के अनुसार हल्द्वानी निवासी समाजसेवी रविशंकर जोशी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार ने 2013 में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए एक्ट बनाया था. जिसके कानून सख्त थे. लेकिन 2014 में सरकार ने इस एक्ट को वापस लेकर इसमे संशोधन कर दिया.

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सरकार ने 2014 में एक्ट को संशोधित करते हुए यह शर्त रखी कि जिस दिन लोकायुक्त की नियुक्ति होगी. उसी दिन से एक्ट प्रभावी होगा. लेकिन भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए सरकार ने बीते आठ साल से उत्तराखंड में लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं की है.

प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर याचिकाकर्ता ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी, ताकि प्रदेश में हाईकोर्ट के आदेश पर लोकायुक्त की नियुक्ती हो सके और भ्रष्टाचार पर लगाम लग सके. याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए उनके पास हाईकोर्ट के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. अगर सरकार राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति कर देती तो उन्हें भ्रष्टाचार के खिलाफ मामलों में लड़ने की मदद मिल सकेगी.

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