नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने उत्तराखंड परिवहन निगम कर्मचारी यूनियन को बड़ी राहत मिली है. हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने परिवहन निगम प्रबंधन को आदेश दिए हैं कि वह जल्द ही कर्मचारी यूनियन को एक करोड़ रुपए का भुगतान करें और बाकी बकाया धनराशि का प्रतिमाह इसी तरह के किस्त में भुगतान करें. अब मामले की अगली सुनवाई तीन दिसंबर को होगी.
मंगलवार को मामले में सुनवाई के दौरान कर्मचारियों के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि परिवहन निगम प्रबंधन ने कर्मचारियों की समिति का पांच करोड़ रुपए भी अब तक वापस नहीं किया है. यह पैसा कर्मचारी अपने वेतन से समिति के पास जमा करते थे. इस पैसे का उपयोग जरूरत पड़ने पर कर्मचारियों के हितों के लिए किया जाता था. पूर्व में निगम ने कर्मचारियों का 5 करोड़ रुपया ले लिया था जिसे अब तक निगम ने कर्मचारियों को वापस नहीं किया है.
जिस पर नैनीताल हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाते हुए परिवहन निगम प्रबंधन को आदेश दिए हैं कि वह जल्द से जल्द कर्मचारी यूनियन को एक करोड़ रुपए का भुगतान करें. साथ ही उत्तर प्रदेश रोडवेज द्वारा उत्तराखंड परिवहन निगम के 27 करोड़ों रुपए बकाया मामले पर भी अब तीन दिसम्बर को सुनवाई होगी.
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बता दें कि उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी संघ ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार रोडवेज कर्मचारियों के खिलाफ एस्मा लगाने जा रही है, जो नियम विरुद्ध है. क्योंकि सरकार कर्मचारियों को हड़ताल करने पर मजबूर कर रही है. सरकार न तो परिवहन निगम के संविदा कर्मचारियों को नियमित कर रहे हैं और न ही कर्मचारियों को नियमित तौर पर वेतन दे रही है, जबकि रोडवेज कर्मचारियों को ओवर टाइम का पैसा भी नहीं दिया जा रहा है. रिटायर्ड कर्मचारियों के देयो का भुगतान भी सरकार ने नहीं किया.
हाई कोर्ट पहुंचे कर्मचारी यूनियन का कहना था कि वेतन की मांग समेत अन्य भत्तों की मांग को लेकर सरकार के साथ उनका कई बार समझौता हो चुका है. बावजूद इसके सरकार उनको वेतन व अन्य भत्ते नहीं दे रही है. इन्हीं मांगों को लेकर जब कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी तो सरकार उनके खिलाफ एस्मा लगाने की तैयारी कर रही है.
याचिका में कहा गया है कि सरकार ने निगम को करीब 78 करोड़ से अधिक देने हैं. जिसमें उत्तर प्रदेश परिवहन निगम द्वारा भी उत्तराखंड परिवहन निगम को परिसंपत्तियों का 27 करोड़ का भुगतान करना हैं. याचिका में कहा गया था कि बजट के अभाव में परिवहन निगम न तो नई बस खरीद पा रहा है और न ही बसों में यात्रियों की सुविधाओं के लिए हाईकोर्ट के आदेश पर सीसीटीवी कैमरे समेत अन्य सुविधाएं दे पा रहा है.