नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्व गढ़वाल विश्वविद्यालय के 20 हजार सीटों में 16025 बच्चों को ही प्रवेश दिए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. हाईकोर्ट ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है. साथ ही जवाब दाखिल न करने पर विश्वविद्यालय के कुलपति को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं.
कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 4 सप्ताह बाद की तिथि नियत की है. पूर्व में कोर्ट ने आदेश दिए थे कि स्थिति को सुधारने की कोशिश करें, ताकि कोई भी छात्र उच्च शिक्षा से वंचित न रह जाए. मामले के अनुसार देहरादून निवासी रविंद्र जुगरान ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय की 20 हजार सीटों में से 16025 लोगों को ही प्रवेश मिल पाया. जिसका मुख्य कारण कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट रहा. इस टेस्ट का केंद्र विश्वविद्यालय द्वारा मेरठ बनाया गया.
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जिससे उत्तराखंड के युवा प्रवेश परीक्षा में शामिल नहीं हो पाए और उनको इसका पता तक नहीं चला, जबकि केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालय को इसमें छूट देने को कहा था. इसके बाद भी यह टेस्ट कराया गया और विश्वविद्यालय की हजारों सीटें खाली रह गयी. चार सौ सीट वाले महिला महाविद्यालयों में तो दो या चार छात्रों को एडमिशन दिया गया. याचिकाकर्ता का कहना है कि सभी छात्रों के भविष्य को देखते हुए विश्व विद्यालय में खाली पड़ी सीटों को भरा जाए, ताकि छात्र उच्च शिक्षा ग्रहण कर अपना भविष्य संवार सके.