नैनीताल: लॉकडाउन के दौरान प्राइवेट स्कूलों द्वारा ऑनलाइन क्लासेज के नाम पर अभिभावकों से ली जा रही फीस पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. अदालत ने आज प्रदेश के शिक्षा सचिव को विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने एलकेजी और यूकेजी के छात्रों को दी जा रही ऑनलाइन शिक्षा का आंकड़ा भी कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं. अब मामले की अगली सुनवाई 26 मई को होगी.
सुनवाई के दौरान नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह जिला और ब्लॉक स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त करें ताकि कोई भी प्राइवेट स्कूल लॉकडाउन के दौरान अभिभावकों से फीस ना ले. साथ ही कोर्ट ने सरकार से इस आदेश का प्रचार-प्रसार करने को भी कहा है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जो स्कूल अभिभावकों से जबरन फीस मांग रहे हैं, उन पर तत्काल कार्रवाई की जाए. साथ ही सभी प्राइवेट स्कूल राज्य सरकार के 2 मई 2020 के उस आदेश का पालन करें, जिसमें सरकार द्वारा फीस देने पर रोक लगाई गई है. मामले में कोर्ट ने प्रदेश के शिक्षा सचिव को विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. आदेश दिया है कि शिक्षा सचिव कोर्ट को बताएं कि प्रदेश भर में कितने छात्र-छात्राएं ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे है?
कोर्ट ने मामले की गंभीरता से समझते हुए सभी प्राइवेट स्कूलों को निर्देश दिए हैं कि वह फीस जमा करने को लेकर अभिभावकों को किसी भी प्रकार का नोटिस जारी ना करें. कोर्ट ने प्रदेश के शिक्षा सचिव से यह भी पूछा है कि उत्तराखंड में स्कूलों और अभिभावकों के पास ऑनलाइन पढ़ाई की क्या सुविधा है?
पढ़े: उत्तराखंड: होटल व्यवसाय और एडवेंचर स्पोर्ट्स को सरकार का तोहफा
बता दें कि देहरादून निवासी जिपेंद्र सिंह ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार ने सभी प्राइवेट स्कूलों को निर्देश दिए थे कि लॉकडाउन समाप्ति तक प्राइवेट स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा अभिभावकों से फीस नहीं लेंगे. अब मामले की अगली सुनवाई 26 मई को होगी.
इसके बावजूद भी उत्तराखंड के प्राइवेट स्कूल ऑनलाइन क्लासेस के नाम पर अभिभावकों से फीस मांग रहे हैं. साथ ही जबरन ऑनलाइन पढ़ाई करवा रहे हैं. जिससे बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है. याचिकाकर्ता का कहना है कि उत्तराखंड के कई क्षेत्रों में इंटरनेट की व्यवस्था नहीं है और न ही कई अभिभावकों के पास ऑनलाइन पढ़ाई के लिए गैजेट की व्यवस्था है. लिहाजा दूरदर्शन के माध्यम से सभी बच्चों की पढ़ाई करवाई जाए.