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आपराधिक मामलों के शीघ्र निस्तारण को लेकर हाईकोर्ट गंभीर, जारी की अधिसूचना - nainital high court latest news

हाईकोर्ट ने निचली अदालतों में आपराधिक मामलों के शीघ्र निस्तारण के लिए अधिसूचना जारी की है.

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आपराधिक मामलों के शीघ्र निस्तारण को लेकर हाईकोर्ट गंभीर
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Published : Oct 21, 2021, 7:54 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने निचली अदालतों में आपराधिक मुकदमों के शीघ्र निस्तारण के लिये 'उत्तराखण्ड क्रिमिनल कोर्ट प्रॉसिजर एंड प्रैक्टिस रूल्स 2021' की अधिसूचना जारी की है. जिसमें तीन दर्जन से अधिक नियम बनाये गए हैं.

हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल धनंजय चतुर्वेदी की ओर से जारी इस अधिसूचना में अभियोजन पक्ष, बचाव पक्ष एवं न्यायालय के लिये दिशा-निर्देश दिए गए हैं. अधिसूचना में कहा गया है कि क्रिमिनल कोर्ट के पीठासीन अधिकारी, जहां आवश्यक हो, प्रश्न और उत्तर प्रारूप में बयान दर्ज करेंगे. अभियोजन या बचाव पक्ष के वकील द्वारा ली गई आपत्तियां को नोट कर साक्ष्य होने पर तुरंत निर्णय लिया जाएगा.

पढ़ें- अमित शाह ने CM धामी की पीठ थपथपाई, कहा- फिर मिलेगा देवभूमि का आशीर्वाद

आरोप तय होने के बाद आरोपी की श्रेणी में केवल उनके रैंक के आधार पर संदर्भित किया जाएगा, न कि उनके नाम से. जिरह के दौरान, संबंधित गवाह का खंडन करने के लिए इस्तेमाल किए गए कोड की धारा 161 के तहत दर्ज बयानों के प्रासंगिक हिस्से को निकाला जाएगा.

पढ़ें- पुलिसकर्मियों को CM धामी ने दिया दीवाली का तोहफा, ग्रेड-पे 4600 करने का ऐलान

ऐसे मामलों में, जहां प्रासंगिक भाग नहीं निकाला जाता है, केवल भाग को ही अभियोजन या बचाव प्रदर्श के रूप में स्पष्ट रूप से चिह्नित किया जाना होगा, ताकि साक्ष्य के अन्य अस्वीकार्य भाग रिकॉर्ड का हिस्सा न हों.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने निचली अदालतों में आपराधिक मुकदमों के शीघ्र निस्तारण के लिये 'उत्तराखण्ड क्रिमिनल कोर्ट प्रॉसिजर एंड प्रैक्टिस रूल्स 2021' की अधिसूचना जारी की है. जिसमें तीन दर्जन से अधिक नियम बनाये गए हैं.

हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल धनंजय चतुर्वेदी की ओर से जारी इस अधिसूचना में अभियोजन पक्ष, बचाव पक्ष एवं न्यायालय के लिये दिशा-निर्देश दिए गए हैं. अधिसूचना में कहा गया है कि क्रिमिनल कोर्ट के पीठासीन अधिकारी, जहां आवश्यक हो, प्रश्न और उत्तर प्रारूप में बयान दर्ज करेंगे. अभियोजन या बचाव पक्ष के वकील द्वारा ली गई आपत्तियां को नोट कर साक्ष्य होने पर तुरंत निर्णय लिया जाएगा.

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आरोप तय होने के बाद आरोपी की श्रेणी में केवल उनके रैंक के आधार पर संदर्भित किया जाएगा, न कि उनके नाम से. जिरह के दौरान, संबंधित गवाह का खंडन करने के लिए इस्तेमाल किए गए कोड की धारा 161 के तहत दर्ज बयानों के प्रासंगिक हिस्से को निकाला जाएगा.

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ऐसे मामलों में, जहां प्रासंगिक भाग नहीं निकाला जाता है, केवल भाग को ही अभियोजन या बचाव प्रदर्श के रूप में स्पष्ट रूप से चिह्नित किया जाना होगा, ताकि साक्ष्य के अन्य अस्वीकार्य भाग रिकॉर्ड का हिस्सा न हों.

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