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विकासनगर अवैध पेड़ कटान मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई, जानें क्या हुआ - Illegal tree felling in Vikasnagar

साल 2016 से 2021 के बीच विकासनगर में अवैध रूप से हजारों पेड़ काटे गये. इस मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका यार की गई. जिस पर आज सुनवाई हुई.

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विकासनगर अवैध पेड़ कटान मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई
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Published : Jun 15, 2023, 9:55 PM IST

नैनीताल: उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने विकासनगर देहरादून में वर्ष 2016 से 2021 के बीच एक बिल्डर द्वारा अवैध रूप से हजारों पेड़ काट देने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान हाईकोर्ट ने राज्य के प्रमुख वन संरक्षक द्वारा दिये गए शपथ पत्र पर असन्तोष व्यक्त किया. साथ ही 10 दिन के भीतर पुनः शपथ पत्र पेश करने के निर्देश दिए हैं.

प्रमुख वन संरक्षक सुनवाई के दौरान वर्चुअली कोर्ट में पेश हुए. उन्हें अगली सुनवाई में भी कोर्ट में वर्चुअली कोर्ट में पेश होने को कहा गया है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ में हुई.

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हाईकोर्ट ने 13 जून को जारी आदेश में टिप्पणी की है कि विकासनगर में बड़े स्तर पर पेड़ों के अवैध कटान के लिये निजी व्यक्ति के लिये सरकारी मशीनरी भी दोषी है. कोर्ट ने पीसीसीएफ द्वारा प्रस्तुत शपथ पत्र को तथ्यों से परे बताते हुए कहा कि दोषियों के खिलाफ कार्यवाही के नाम पर निचले रैंक के कार्मिक एक रेंजर व दो फारेस्ट गार्ड को दोषी माना गया है, जबकि ये पेड़ 2016 से 2021 के बीच कटे. उसमें किसी अधिकारी का नाम नहीं है. हाईकोर्ट ने इस मामले में कड़े निर्देश जारी किये हैं. यह जनहित याचिका देहरादून निवासी आकाश वशिष्ट ने दायर की गई है. मामले की पैरवी जेसी कर्नाटक द्वारा की गई.

पढे़ं- गौलापार 26 हेक्टेयर भूमि पर बनेगा हाईकोर्ट, धामी कैबिनेट ने जमीन ट्रांसफर की दी मंजूरी

नैनीताल: उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने विकासनगर देहरादून में वर्ष 2016 से 2021 के बीच एक बिल्डर द्वारा अवैध रूप से हजारों पेड़ काट देने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान हाईकोर्ट ने राज्य के प्रमुख वन संरक्षक द्वारा दिये गए शपथ पत्र पर असन्तोष व्यक्त किया. साथ ही 10 दिन के भीतर पुनः शपथ पत्र पेश करने के निर्देश दिए हैं.

प्रमुख वन संरक्षक सुनवाई के दौरान वर्चुअली कोर्ट में पेश हुए. उन्हें अगली सुनवाई में भी कोर्ट में वर्चुअली कोर्ट में पेश होने को कहा गया है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ में हुई.

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हाईकोर्ट ने 13 जून को जारी आदेश में टिप्पणी की है कि विकासनगर में बड़े स्तर पर पेड़ों के अवैध कटान के लिये निजी व्यक्ति के लिये सरकारी मशीनरी भी दोषी है. कोर्ट ने पीसीसीएफ द्वारा प्रस्तुत शपथ पत्र को तथ्यों से परे बताते हुए कहा कि दोषियों के खिलाफ कार्यवाही के नाम पर निचले रैंक के कार्मिक एक रेंजर व दो फारेस्ट गार्ड को दोषी माना गया है, जबकि ये पेड़ 2016 से 2021 के बीच कटे. उसमें किसी अधिकारी का नाम नहीं है. हाईकोर्ट ने इस मामले में कड़े निर्देश जारी किये हैं. यह जनहित याचिका देहरादून निवासी आकाश वशिष्ट ने दायर की गई है. मामले की पैरवी जेसी कर्नाटक द्वारा की गई.

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