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विकासनगर अवैध पातन मामले में पीसीसीएफ के शपथ पत्र पर हाईकोर्ट नाराज, दिए ये आदेश

हाईकोर्ट ने देहरादून विकासनगर में साल 2016 से 2021 के बीच एक बिल्डर द्वारा अवैध पातन मामले में प्रमुख वन संरक्षक के शपथ पत्र पर नाराजगी जताई है. साथ ही कोर्ट ने 10 दिन के भीतर पुनः शपथ पत्र पेश करने के आदेश दिए हैं. वहीं इस मामले की अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी.

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Published : Jun 16, 2023, 9:47 AM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने देहरादून विकासनगर में साल 2016 से 2021 के बीच बिल्डर द्वारा अवैध पातन के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान राज्य के प्रमुख वन संरक्षक द्वारा दिए गए शपथ पत्र पर हाईकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए 10 दिन के भीतर पुनः शपथ पत्र पेश करने के आदेश दिए हैं. जबकि हाईकोर्ट ने 13 जून को जारी आदेश में टिप्पणी की थी कि विकासनगर में बड़े स्तर पर पेड़ों के अवैध कटान के लिए सरकारी मशीनरी भी दोषी है.

गौर हो कि सुनवाई के दौरान प्रमुख वन संरक्षक वर्चुअली कोर्ट में पेश हुए, वो अगली सुनवाई में भी वर्चुअली कोर्ट में पेश होंगे. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हुई. हाईकोर्ट ने 13 जून को जारी आदेश में टिप्पणी की थी कि विकासनगर में निजी व्यक्ति द्वारा बड़े स्तर पर पेड़ों के अवैध कटान के लिए सरकारी मशीनरी भी दोषी है.
पढ़ें-गौलापार 26 हेक्टेयर भूमि पर बनेगा हाईकोर्ट, धामी कैबिनेट ने जमीन ट्रांसफर की दी मंजूरी

कोर्ट ने पीसीसीएफ द्वारा प्रस्तुत शपथ पत्र को तथ्यों से परे बताते हुए कहा कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर निचले रैंक के कार्मिक एक रेंजर व दो फारेस्ट गार्ड को दोषी माना गया है. जबकि ये पेड़ साल 2016 से 2021 के बीच कटे और उसमें किसी अधिकारी का नाम नहीं है. हाईकोर्ट ने इस मामले में कड़े निर्देश जारी किए हैं. यह जनहित याचिका देहरादून निवासी आकाश वशिष्ट द्वारा दायर की गई है. मामले की पैरवी जे सी कर्नाटक द्वारा की गई.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने देहरादून विकासनगर में साल 2016 से 2021 के बीच बिल्डर द्वारा अवैध पातन के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान राज्य के प्रमुख वन संरक्षक द्वारा दिए गए शपथ पत्र पर हाईकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए 10 दिन के भीतर पुनः शपथ पत्र पेश करने के आदेश दिए हैं. जबकि हाईकोर्ट ने 13 जून को जारी आदेश में टिप्पणी की थी कि विकासनगर में बड़े स्तर पर पेड़ों के अवैध कटान के लिए सरकारी मशीनरी भी दोषी है.

गौर हो कि सुनवाई के दौरान प्रमुख वन संरक्षक वर्चुअली कोर्ट में पेश हुए, वो अगली सुनवाई में भी वर्चुअली कोर्ट में पेश होंगे. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हुई. हाईकोर्ट ने 13 जून को जारी आदेश में टिप्पणी की थी कि विकासनगर में निजी व्यक्ति द्वारा बड़े स्तर पर पेड़ों के अवैध कटान के लिए सरकारी मशीनरी भी दोषी है.
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कोर्ट ने पीसीसीएफ द्वारा प्रस्तुत शपथ पत्र को तथ्यों से परे बताते हुए कहा कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर निचले रैंक के कार्मिक एक रेंजर व दो फारेस्ट गार्ड को दोषी माना गया है. जबकि ये पेड़ साल 2016 से 2021 के बीच कटे और उसमें किसी अधिकारी का नाम नहीं है. हाईकोर्ट ने इस मामले में कड़े निर्देश जारी किए हैं. यह जनहित याचिका देहरादून निवासी आकाश वशिष्ट द्वारा दायर की गई है. मामले की पैरवी जे सी कर्नाटक द्वारा की गई.

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