नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने लूट, डकैती और मारपीट के दो आरोपियों की जमानत खारिज करने संबंधी सेशन जज देहरादून के आदेश को सही पाते हुए उन्हें एसीजेएम की अदालत द्वारा दी गई जमानत को गलत माना है. साथ ही दोनों आरोपियों से निचली कोर्ट में आत्म समर्पण करने को कहा है. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ में हुई.
दोनों आरोपियों के खिलाफ क्लेमेंट टाउन थाना में दर्ज थे केस: मामले के अनुसार कुलदीप रंधावा और वीरसेन कश्यप के खिलाफ क्लेमेंट टाउन थाना देहरादून में आईपीसी की धारा 452, 447, 448, 427, 323, 506, 395, 397, 412 और 34 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था. उन्हें 4 फरवरी 2022 और 6 फरवरी 2022 को न्यायिक हिरासत में भेजा गया, लेकिन 60 दिनों की न्यायिक हिरासत की अवधि समाप्त होने के बाद भी आरोप पत्र प्रस्तुत न होने पर उन्होंने जमानत मांगी. जिसका सरकार ने यह कहते हुए विरोध किया था कि आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 395 शामिल है, जो आजीवन कारावास से दंडनीय है' या '10 साल तक की अवधि के लिए कठोर कारावास से दंडनीय है.
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सरकार ने सेशन जज के समक्ष की थी अपील: ऐसे में जिसमें आरोप पत्र दायर करने की अवधि 60 दिनों की बजाय 90 दिन है, लेकिन इसके बाद भी आरोपियों को जमानत दे दी गई. जिसके खिलाफ सरकार ने सेशन जज के समक्ष अपील की. सेशन जज ने 12 सितंबर 2023 को एसीजेएम के आदेश को खारिज कर दिया. आरोपी कुलदीप रंधावा और वीरसैन कश्यप ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
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