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गोमुख में कृत्रिम झील बनने के मामले पर HC में सुनवाई, आपदा प्रबंधन विभाग के दिये ये निर्देश

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Published : Jul 29, 2022, 3:52 PM IST

गोमुख में कृत्रिम झील बनने के मामले पर आज नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने मामले में राज्य आपदा प्रबंधन विभाग को इससे संबधित रिपोर्ट अपनी बेबसाइट पर अपलोड करने के निर्देश दिये.

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HC में गोमुख में कृत्रिम झील बनने के मामले पर सुनवाई

नैनीताल: हाईकोर्ट ने गंगा के उद्गम स्थल गोमुख में कृत्रिम झील बनने व उसके खतरे की आशंका को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग को निर्देश दिए हैं कि वे अपनी वेबसाइट पर इसकी जानकारी हर महीने अपलोड करें. साथ ही खंडपीठ ने जनहित याचिका को अंतिम रूप से निस्तारित कर दिया है.

मामले के अनुसार दिल्ली निवासी अजय गौतम ने इस मामले पर जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा राज्य सरकार का आपदा प्रबंधन विभाग इस मामले पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है, जबकि वहां पर एक झील बन चुकी है. याचिकर्ता का कहना है कि समय रहते हुए इस पर कार्य नहीं किया तो पूर्व में आई दैवीय आपदाओं ती तरह एक और आपदा का सामना सरकार को करना पड़ सकता है.

पढे़ं- रक्षा बंधन का गिफ्ट: सरकार ने 3 फीसदी बढ़ाया महंगाई भत्ता, 45 हजार कर्मियों को फायदा

पहले भी सिस्टम के रहते कई लोगों को पूर्व में आपदा के दौरान अपनी जान गवानी पड़ी. हाई कोर्ट ने 2017 में सरकार को निर्देश दिए थे कि ऐसी जगहों पर अर्ली अलार्मिंग सिस्टम लगाएं जो अभी तक नहीं लगे. जिसके बाद हाईकोर्ट ने इस मामले को निस्तारित करते हुए आपदा प्रबंधन विभाग को अपनी वेबसाइट पर इसकी जानकारी हर महीने अपलोड करने के निर्देश दिये.

नैनीताल: हाईकोर्ट ने गंगा के उद्गम स्थल गोमुख में कृत्रिम झील बनने व उसके खतरे की आशंका को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग को निर्देश दिए हैं कि वे अपनी वेबसाइट पर इसकी जानकारी हर महीने अपलोड करें. साथ ही खंडपीठ ने जनहित याचिका को अंतिम रूप से निस्तारित कर दिया है.

मामले के अनुसार दिल्ली निवासी अजय गौतम ने इस मामले पर जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा राज्य सरकार का आपदा प्रबंधन विभाग इस मामले पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है, जबकि वहां पर एक झील बन चुकी है. याचिकर्ता का कहना है कि समय रहते हुए इस पर कार्य नहीं किया तो पूर्व में आई दैवीय आपदाओं ती तरह एक और आपदा का सामना सरकार को करना पड़ सकता है.

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पहले भी सिस्टम के रहते कई लोगों को पूर्व में आपदा के दौरान अपनी जान गवानी पड़ी. हाई कोर्ट ने 2017 में सरकार को निर्देश दिए थे कि ऐसी जगहों पर अर्ली अलार्मिंग सिस्टम लगाएं जो अभी तक नहीं लगे. जिसके बाद हाईकोर्ट ने इस मामले को निस्तारित करते हुए आपदा प्रबंधन विभाग को अपनी वेबसाइट पर इसकी जानकारी हर महीने अपलोड करने के निर्देश दिये.

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