नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में देहरादून पॉक्सो कोर्ट द्वारा दोषी को फांसी सजा दिए जाने के खिलाफ दायर याचिक पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ ने सरकार से दो सप्ताह में अपनी आपत्ति पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 16 नवंबर को होगी.
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ में हुई. मामले के अनुसार देहरादून के त्यूणी रोटा खड्ड के पास 2 फरवरी 2016 को क्षेत्र वासियों को एक शव पेड़ पर लटका हुआ मिला था. इसकी सूचना उन्होंने पुलिस को दी थी. पुलिस ने शव की शिनाख्त 9वीं क्लास में पढ़ने वाली नेपाली मूल की छात्रा के रूप में की थी.
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क्षेत्रवासियों ने पुलिस को यह भी बताया कि यह छात्रा को 1 जनवरी 2016 को वाहन चालक मोहम्मद अजहर निवासी अम्बाडी डाकपत्थर के साथ बाइक पर देखा गया था. पुलिस ने जब उसके घर छापा मारा तो वह फरार हो गया था. काफी खोजबीन के बाद पुलिस ने उसे 5 जनवरी 2016 हिमाचल के सिरमौर के गिरफ्तार किया था.
अभियुक्त ने पुलिस के सामने यह बयान दिया कि उसने पहले नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया और बाद में हत्या करके शव को पेड़ में लटका दिया था. ताकि लोगों को पता नहीं लग सके कि उसके साथ दुष्कर्म हुआ है. दोषी ने इस घटना को सुसाइड का रूप देने की कोशिश की. इसीलिए नाबालिग का शव उसी के दुपट्टे से लटकाया गया था. डीएनए जांच में भी इसकी पुष्टि हुई.
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मोहम्मद अजहर को देहरादून पॉक्सो कोर्ट की विशेष न्यायाधीश रमा पांडे ने 12 दिसम्बर 2018 को फांसी की सजा सुनवाई थी. साथ ही दोषी पर 70 हजार का अर्थदण्ड भी लगाया था. पॉक्सो कोर्ट ने आदेश दिया था कि जुर्माने की रकम में से 50 हजार रुपए मृतक के परिजनों और 20 हजार रुपए राजकीय खजाने में जमा कराए जाएं. देहरादून पॉक्सो कोर्ट के इस फैसले को दोषी ने नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दी है और वहां एक अपील दायर की है.