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उत्तराखंड में अब तक जारी नहीं हुआ निकाय चुनाव कार्यक्रम, हाईकोर्ट पर पहुंचा मामला

Uttarakhand civic elections उत्तराखंड में सभी निकायों का कार्यकाल खत्म हो गया है. जिसके बाद सरकार ने सभी निकायों में जिलाधिकारियों को प्रशासक नियुक्ति किया है. नैनीताल हाईकोर्ट में आज प्रदेश में निकाय चुनाव न होने वाली याचिका पर सुनवाई हुई.

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निकाय चुनाव कार्यक्रम
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 8, 2024, 8:21 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अभी तक सरकार व राज्य चुनाव आयोग द्वारा नगर पालिकाओं व निकायों का चुनाव नहीं कराए जाने के मामले पर सुनवाई की. मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खण्डपीठ ने सुनवाई के लिए 9 जनवरी की तिथि नियत की है.

मामले के अनुसार नैनिताल निवासी वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन शाह ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि नगर पालिकाओं व नगर निकायों का कार्यकाल दिसम्बर माह में समाप्त हो गया है. इसके बाद सरकार ने चुनाव कराने का कार्यक्रम घोषित नहीं किया है. उल्टा निकायों में अपने प्रशासक नियुक्त कर दिए हैं. प्रशासक नियुक्त होने की वजह से आमजन को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. निकायों के चुनाव कराने के लिए सरकार को याद दिलाने के लिए पूर्व से ही एक जनहित याचिका कोर्ट में विचाराधीन है. आज शाह ने अपनी जनहित याचिका के पक्ष में कहा सरकार को कोई अधिकार नहीं है कि वे निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद प्रशाशक नियुक्त करें. प्रसाशक तब नियुक्त किया जाता है जब कोई निकाय भंग की जाती है. उस स्थिति में भी सरकार को छः माह के भीतर चुनाव कराना आवश्यक होता है. यहां इसका उल्टा है. निकायों ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है. इसके बाद भी अभी तक चुनाव कराने का कर्यक्रम घोषित तक नहीं हुआ.

पढे़ं- इस साल पंचायत से लोकसभा तक दिखेगा राजनीतिक दंगल, उत्तराखंड के लिए चुनावी साल बना 2024

राजीव लोचन शाह ने कहा निकायों में प्रसाशक नियुक्त करना संविधान के विरुद्ध है. लोक सभा व विधान सभा के चुनाव निर्धारित तय समय में होते हैं, लेकिन निकायों के तय समय पर चुनाव क्यों नहीं हो रहे हैं? उन्होंने कहा नियमानुसार निकायों के कार्यकाल समाप्त होने से छ महीने से पहले चुनाव कार्यक्रम घोषित हो जाना चाहिए था, जो अभी तक नहीं हुआ है.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अभी तक सरकार व राज्य चुनाव आयोग द्वारा नगर पालिकाओं व निकायों का चुनाव नहीं कराए जाने के मामले पर सुनवाई की. मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खण्डपीठ ने सुनवाई के लिए 9 जनवरी की तिथि नियत की है.

मामले के अनुसार नैनिताल निवासी वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन शाह ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि नगर पालिकाओं व नगर निकायों का कार्यकाल दिसम्बर माह में समाप्त हो गया है. इसके बाद सरकार ने चुनाव कराने का कार्यक्रम घोषित नहीं किया है. उल्टा निकायों में अपने प्रशासक नियुक्त कर दिए हैं. प्रशासक नियुक्त होने की वजह से आमजन को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. निकायों के चुनाव कराने के लिए सरकार को याद दिलाने के लिए पूर्व से ही एक जनहित याचिका कोर्ट में विचाराधीन है. आज शाह ने अपनी जनहित याचिका के पक्ष में कहा सरकार को कोई अधिकार नहीं है कि वे निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद प्रशाशक नियुक्त करें. प्रसाशक तब नियुक्त किया जाता है जब कोई निकाय भंग की जाती है. उस स्थिति में भी सरकार को छः माह के भीतर चुनाव कराना आवश्यक होता है. यहां इसका उल्टा है. निकायों ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है. इसके बाद भी अभी तक चुनाव कराने का कर्यक्रम घोषित तक नहीं हुआ.

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राजीव लोचन शाह ने कहा निकायों में प्रसाशक नियुक्त करना संविधान के विरुद्ध है. लोक सभा व विधान सभा के चुनाव निर्धारित तय समय में होते हैं, लेकिन निकायों के तय समय पर चुनाव क्यों नहीं हो रहे हैं? उन्होंने कहा नियमानुसार निकायों के कार्यकाल समाप्त होने से छ महीने से पहले चुनाव कार्यक्रम घोषित हो जाना चाहिए था, जो अभी तक नहीं हुआ है.

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