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भीमताल आदमखोर आतंक: अज्ञात जानवर को मारने के आदेश पर HC ने उठाए सवाल, 28 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई

Uttarakhand High Court, Maneater Wildlife of Bhimtal, Kill Order for Unidentified Maneater in Bhimtal नैनीताल हाईकोर्ट ने हिंसक जानवर को नरभक्षी घोषित करते हुए उसे मारने के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन के आदेश पर स्वत संज्ञान लेते हुए सुनवाई की. इसी बीच कोर्ट ने वाइल्डलाइफ वार्डन को हिंसक जानवर की पहचान करने के लिए कैमरे और उसे पकड़ने के लिए पिंजरा लगाने के निर्देश दिए.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 21, 2023, 8:03 PM IST

Updated : Dec 23, 2023, 7:08 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने भीमताल में आदमखोर बाघ या गुलदार द्वारा दो लोगों को निवाला बनाने पर उन्हें वन विभाग द्वारा बिना चिन्हित किए सीधे मारने की अनुमति दिए जाने के मामले में स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई की. सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने वन विभाग से कहा कि हमलावर हिंसक जानवर की पहचान करने के लिए कैमरे और उसे पकड़ने के लिए पिंजरा लगाएं. अगर हिंसक जानवर पकड़ में नहीं आता है, तो उसे ट्रेंकुलाइज कर रेस्क्यू सेंटर भेजा जाए. कोर्ट ने ये सवाल पूछा कि जब अभी तक यह नहीं पता है कि वो बाघ है या गुलदार तो फिर मारने के आदेश कैसे दे दिए गए हैं.

इसके साथ ही कोर्ट ने वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन की धारा 11ए में वन्यजीव को मारने के आदेश पर गुरुवार तक स्थिति स्पष्ट करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 28 दिसंबर की तय की गई है. मामले में सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंदशेखर रावत, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन धनंजय और डीएफओ चंद्रशेखर जोशी उपस्थित हुए. खंडपीठ ने वन अधिकारियों से गुलदार को मारने की अनुमति देने के प्रावधान के बारे में जानकारी ली.

वन अधिकारियों ने बताया कि वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट की धारा 13ए में खूंखार हमलावर जानवर को मारने की अनुमति दी जाती है. इसके अलावा भीमताल में इसे पकड़ने और पहचान करने के लिए 5 पिंजरे और 36 कैमरे लगाए गए हैं. जिस पर न्यायालय ने उनसे पूछा कि मारने वाला गुलदार था या बाघ और उसे मारने के बजाए रेस्क्यू सेंटर भेजा जाना चाहिए. न्यायालय ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि हिंसक जानवर को मारने के लिए चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन की संतुष्टि होनी जरूरी है ना कि किसी नेता के आंदोलन की. न्यायालय ने कहा कि घर का बच्चा अगर बिगड़ जाता है तो उसे सीधे मार थोड़ी दिया जाता है. क्षेत्रवासियों के आंदोलन के बाद मारने के आदेश दे दिए।

बता दें कि, वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन की धारा 11ए के तहत तीन परिस्थितियों में किसी जानवर को मार सकते हैं. पहले उसे उस क्षेत्र से खदेड़ जाएगा, फिर ट्रेंकुलाइज कर रेस्क्यू सेंटर में रखा जाएगा और अंत में मारने जैसा अंतिम कठोर कदम उठाया जा सकता है.
पढ़े: भीमताल के ग्रामीणों ने दी 28 दिसंबर को उग्र आंदोलन की चेतावनी, 58 कैमरे और 15 पिंजरे भी आदमखोर के सामने फेल

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने भीमताल में आदमखोर बाघ या गुलदार द्वारा दो लोगों को निवाला बनाने पर उन्हें वन विभाग द्वारा बिना चिन्हित किए सीधे मारने की अनुमति दिए जाने के मामले में स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई की. सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने वन विभाग से कहा कि हमलावर हिंसक जानवर की पहचान करने के लिए कैमरे और उसे पकड़ने के लिए पिंजरा लगाएं. अगर हिंसक जानवर पकड़ में नहीं आता है, तो उसे ट्रेंकुलाइज कर रेस्क्यू सेंटर भेजा जाए. कोर्ट ने ये सवाल पूछा कि जब अभी तक यह नहीं पता है कि वो बाघ है या गुलदार तो फिर मारने के आदेश कैसे दे दिए गए हैं.

इसके साथ ही कोर्ट ने वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन की धारा 11ए में वन्यजीव को मारने के आदेश पर गुरुवार तक स्थिति स्पष्ट करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 28 दिसंबर की तय की गई है. मामले में सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंदशेखर रावत, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन धनंजय और डीएफओ चंद्रशेखर जोशी उपस्थित हुए. खंडपीठ ने वन अधिकारियों से गुलदार को मारने की अनुमति देने के प्रावधान के बारे में जानकारी ली.

वन अधिकारियों ने बताया कि वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट की धारा 13ए में खूंखार हमलावर जानवर को मारने की अनुमति दी जाती है. इसके अलावा भीमताल में इसे पकड़ने और पहचान करने के लिए 5 पिंजरे और 36 कैमरे लगाए गए हैं. जिस पर न्यायालय ने उनसे पूछा कि मारने वाला गुलदार था या बाघ और उसे मारने के बजाए रेस्क्यू सेंटर भेजा जाना चाहिए. न्यायालय ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि हिंसक जानवर को मारने के लिए चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन की संतुष्टि होनी जरूरी है ना कि किसी नेता के आंदोलन की. न्यायालय ने कहा कि घर का बच्चा अगर बिगड़ जाता है तो उसे सीधे मार थोड़ी दिया जाता है. क्षेत्रवासियों के आंदोलन के बाद मारने के आदेश दे दिए।

बता दें कि, वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन की धारा 11ए के तहत तीन परिस्थितियों में किसी जानवर को मार सकते हैं. पहले उसे उस क्षेत्र से खदेड़ जाएगा, फिर ट्रेंकुलाइज कर रेस्क्यू सेंटर में रखा जाएगा और अंत में मारने जैसा अंतिम कठोर कदम उठाया जा सकता है.
पढ़े: भीमताल के ग्रामीणों ने दी 28 दिसंबर को उग्र आंदोलन की चेतावनी, 58 कैमरे और 15 पिंजरे भी आदमखोर के सामने फेल

Last Updated : Dec 23, 2023, 7:08 PM IST
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