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विस से बर्खास्त कर्मचारियों की बहाली मामला: अवमानना याचिका पर HC में सुनवाई

हाईकोर्ट (Nainital High Court) के आदेश के बाद भी विधानसभा से बर्खास्त कर्मचारियों (Reinstatement of employees dismissed from assembly) की अभी तक बहाली नहीं हो पाई है. इस मामले में दायर अवमानना याचिका पर आज कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसके बाद कोर्ट ने 24 नवंबर को सुनवाई की अगली तिथि नियत की है.

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विस से बर्खास्त कर्मचारियों की बहाली मामला
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Published : Nov 21, 2022, 9:28 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Nainital High Court ) ने कोर्ट के आदेश होने के बाद भी विधानसभा से निकाले गए कर्मचारियों को नौकरी में बहाल (Reinstatement of employees dismissed from assembly) नहीं किए जाने के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर आज सुनवाई (Hearing on contempt petition) की. मामले को सुनने के बाद वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ ने अगली सुनवाई 24 नवम्बर की तिथि नियत की है.

मामले के अनुसार भूपेंद्र सिंह बिष्ठ व 13 अन्य ने अवमानना याचिका दायर की. जिसमें बताया गया कि कोर्ट ने पिछली 15 अक्टूबर उनके निलंबन आदेश पर रोक लगा दी थी. उनको उनके पदों पर नियुक्ति देने को कहा था. बावजूद इसके विधानसभा में उनको नियुक्ति अब तक नहीं दी गई है.
पढे़ं- कैबिनेट बैठक में 18 प्रस्तावों पर लगी मुहर

पूर्व याचिकाकर्ताओं ने याचिका दायर कर कहा था कि विधानसभा में 2002 से 2015 कई पदों पर बैकडोर से भर्ती की गई थी. उनमें से सरकार ने इन नियुक्तियों को वैध मानकर उन्हें नियमित कर दिया था, परन्तु 2015 के बाद लगे कर्मचारियों की नियुक्ति को गलत मानते हुए उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था, लेकिन हाई कोर्ट ने सरकार के इस आदेश पर रोक लगा दी थी. साथ ही उन्हें बहाल करने के आदेश दिए थे.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Nainital High Court ) ने कोर्ट के आदेश होने के बाद भी विधानसभा से निकाले गए कर्मचारियों को नौकरी में बहाल (Reinstatement of employees dismissed from assembly) नहीं किए जाने के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर आज सुनवाई (Hearing on contempt petition) की. मामले को सुनने के बाद वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ ने अगली सुनवाई 24 नवम्बर की तिथि नियत की है.

मामले के अनुसार भूपेंद्र सिंह बिष्ठ व 13 अन्य ने अवमानना याचिका दायर की. जिसमें बताया गया कि कोर्ट ने पिछली 15 अक्टूबर उनके निलंबन आदेश पर रोक लगा दी थी. उनको उनके पदों पर नियुक्ति देने को कहा था. बावजूद इसके विधानसभा में उनको नियुक्ति अब तक नहीं दी गई है.
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पूर्व याचिकाकर्ताओं ने याचिका दायर कर कहा था कि विधानसभा में 2002 से 2015 कई पदों पर बैकडोर से भर्ती की गई थी. उनमें से सरकार ने इन नियुक्तियों को वैध मानकर उन्हें नियमित कर दिया था, परन्तु 2015 के बाद लगे कर्मचारियों की नियुक्ति को गलत मानते हुए उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था, लेकिन हाई कोर्ट ने सरकार के इस आदेश पर रोक लगा दी थी. साथ ही उन्हें बहाल करने के आदेश दिए थे.

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